Thursday, February 23, 2012

जब ढाई आखर न जानो

                            आए हमको ज्ञान सिखाने,
                            ऊधो प्रेम मर्म क्या जानो.
                            पोथी पढ़ना व्यर्थ गया सब
                            जब ढाई आखर न जानो.


                            दूर कहाँ हमसे कब कान्हा,
                            प्रतिपल आँखों में बसता है.
                            प्रेम विरह में तपत रहत तन,
                            लेकिन मन शीतल रहता है.


                            तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
                            मीठी विरह कशक क्या जानो.


                            नहीं ज्ञान को जगह तुम्हारे,
                            रग रग कृष्ण प्रेम पूरित है.
                            प्राण हमारे गए श्याम संग,
                            इंतजार में तन जीवित है.


                            केवल ज्ञान नदी सूखी सम,
                            प्रेम हृदय का भी पहचानो.


                            आयेंगे वापिस कान्हा भी,
                            यही आस काफ़ी जीवन को.
                            मुरली स्वर गूंजत अंतस में,
                            नहीं और स्वर भाए मन को.


                            ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
                            प्रेम भाव की महिमा जानो.


                                            कैलाश शर्मा 

40 comments:

  1. प्रेम न जाना , प्रेम ना जीया तो सारा जीवन निस्सार

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  2. प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति........

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  3. केवल ज्ञान नदी सूखी सम,
    प्रेम हृदय का भी पहचानो.
    सही है प्रेम बिना जीवन नीरस होता है... सुन्दर भाव... आभार

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  4. वाह ...बहुत ही बहुत बढि़या ।

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  5. छलक रहा है प्रेम हृदय का उदगार..

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  6. पोथी पढ़ना व्यर्थ गया सब
    जब ढाई आखर न जानो.
    prem tan se rah gayaa hai
    man to bechaaraa nepathy mein rah gaya
    uttam rachnaa

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  7. बहुत ही सुन्दर भाव| धन्यवाद।

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  8. आयेंगे वापिस कान्हा भी,
    यही आस काफ़ी जीवन को.
    मुरली स्वर गूंजत अंतस में,
    नहीं और स्वर भाए मन को.


    ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
    प्रेम भाव की महिमा जानो.
    Bahut badhiya!

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  9. है प्रेम जगत मे सार और कुछ सार नही…………प्रेम का पाठ जिसने पढ लिया बस उसने ही जीवन जी लिया …………भक्तिमयी बेहद खूबसूरत रचना।

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  10. आयेंगे वापिस कान्हा भी,
    यही आस काफ़ी जीवन को.
    मुरली स्वर गूंजत अंतस में,
    नहीं और स्वर भाए मन को.

    बहुत बढि़या

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  11. सहज अर्थों में प्रेम की परिभाषा

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  12. ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
    प्रेम भाव की महिमा जानो.

    बहुत ही सुन्दर भाव!

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  13. प्रेममद छाके पग परत कहाँ के कहाँ...

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  14. ढाई अक्षर प्रेम के बगैर जीवन नीरस है,
    बहुत अच्छी प्रस्तुति,.....

    MY NEW POST...आज के नेता...

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  15. तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
    मीठी विरह कशक क्या जानो.waah...

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  16. वाह बेहद खूबसूरत है रचना बधाई

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  17. वाह!!!
    बहुत सुन्दर..भावभीनी...
    सादर.

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  18. तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
    मीठी विरह कशक क्या जानो.

    बहुत सुंदर बात कही.....

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  19. उद्धव तुमने ठीक न कीन्हा,
    सच्चा प्रेम नहीं क्यों चीन्हा ?

    बढ़िया !

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  20. प्राणी मात्र के लिए मन में प्रेम ही दुनिया का उद्धार कर सकता है।

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  21. सबसे ऊँची प्रेम सगाई...सुंदर रचना !

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  22. तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
    मीठी विरह कसक क्या जानो.

    राधा कृष्ण के प्रेम की ऊँचाइयों को स्पर्श करती पावन रचना.

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  23. तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
    मीठी विरह कसक क्या जानो.

    राधा कृष्ण के प्रेम की ऊँचाइयों को स्पर्श करती पावन रचना.

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  24. बहूत हि सुंदर
    प्रेमपगी रचना है,,
    बेहतरीन अभिव्यक्ती..

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  25. yadi aap mere dwara sampadit kavy sangrah mein shamil hona chahti hain to sampark karen
    rasprabha@gmail.com

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  26. दूर कहाँ हमसे कब कान्हा,
    प्रतिपल आँखों में बसता है.
    प्रेम विरह में तपत रहत तन,
    लेकिन मन शीतल रहता है.


    तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
    मीठी विरह कशक क्या जानो.

    गोपियों की विरह-व्यथा आपके शब्दों का आश्रय पा कर जीवंत हो गई है।

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  27. नहीं ज्ञान को जगह तुम्हारे,
    रग रग कृष्ण प्रेम पूरित है.
    प्राण हमारे गए श्याम संग,
    इंतजार में तन जीवित है.

    SHARMA JI NISCHAY HI YH RACHANA ANTAR MAN KO CHHOOTI HAI ....SADAR BADHAI

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  28. प्यार के रंगों से लबरेज खूबसूरत रचना.

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  29. bahut sunder bhav liye shaandaar prastuti.bahut badhaai aapko.

    आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३२) में शामिल किया गया है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप सबका आशीर्वाद और स्नेह इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /इस मीट का लिंक है
    http://hbfint.blogspot.in/2012/02/32-gayatri-mantra.html

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  30. ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
    प्रेम भाव की महिमा जानो.

    अनुपम भक्ति भावपूर्ण प्रस्तुति.
    पढकर मन मग्न हो गया है.
    बहुत बहुत आभार जी.

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  31. ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
    प्रेम भाव की महिमा जानो.
    उधौ मन नाहीं दस बीस ,एकहू था जो गया श्याम संग
    गोपी भाव के सामने उद्धव हतप्रभ रह गए .अच्छी रचना .

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  32. प्रेम और विश्वास ही तो इस जीवन का सार हैं

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