Wednesday, September 26, 2012

मत नफ़रत की राह सुझाओ

मत नफ़रत की राह सुझाओ,
तुम्हें मिलाने दिल भेजा है.

मंदिर मस्ज़िद की दीवारें 
क्यों इंसां के बीच खड़ी हो.
एक तत्व है सब प्राणी में,
राम रहीम में अंतर क्यों हो.

रंग एक है लाल लहू का,
सुख दुख एक बराबर सहते.
घर जलता है जब भी कोई,  
आंसू सभी एक से बहते.

मैं कुरान की पढूं आयतें,
तुम गीता संदेश सुनाओ.
पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर 
ईसू अल्लाह राम बुलाओ.

मंदिर की घंटी की धुन में 
स्वर अज़ान के जो मिल जायें.
भूल जायेंगे हम सब झगड़े
सच्चे दिल से गर ये सुन पायें.

सिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है,
न अलगाव दिलों में लाओ.
दीवारों से मुक्त बनो तुम,
कण कण में दर्शन कर पाओ.

कैलाश शर्मा 

35 comments:

  1. सर आपने इतना सुन्दर लिखा है की बार-२ पढने को दिल करता है. बेहतरीन सर

    ReplyDelete
  2. सुन्दर अभिव्यक्ति शर्मा जी, बेहतरीन पंक्तियां .............रंग एक है लाल लहू का,
    सुख दुख एक बराबर सहते.
    घर जलता है जब भी कोई,
    आंसू सभी एक से बहते.

    ReplyDelete
  3. सुभानाल्लाह.....बहुत ही खुबसूरत ।

    ReplyDelete
  4. सिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है,
    न अलगाव दिलों में लाओ.
    दीवारों से मुक्त बनो तुम,
    कण कण में दर्शन कर पाओ.
    प्रेरक भाव लिए रचना का प्रत्‍येक शब्‍द मन को छूता हुआ ...
    आभार इस उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति के लिए

    ReplyDelete
  5. मैं कुरान की पढूं आयतें,
    तुम गीता संदेश सुनाओ.
    पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
    ईसू अल्लाह राम बुलाओ...sach ke aage murkhon kee bheed hai,samajhte hi nahi

    ReplyDelete
  6. एक तत्व है सब प्राणी में,
    राम रहीम में अंतर क्यों हो.
    बहुत सुंदर एवं सार्थक संदेश देती हुई रचना ...!!

    बहुत सुंदर ...!!

    ReplyDelete
  7. सुंदर दर्शन और सुंदर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  8. bahut bahut khoobsurat sandesh deti dhara-pravaah rachna.

    utkrisht prastuti.

    ReplyDelete
  9. मिल जुल कर रहना सीखें हम..

    ReplyDelete
  10. मैं कुरान की पढूं आयतें,
    तुम गीता संदेश सुनाओ.
    पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
    ईसू अल्लाह राम बुलाओ...बहुत सुन्दर विचार संदेशपरक कविता बहुत बढ़िया बधाई आपको

    ReplyDelete
  11. वाह,,,बहुत सुंदर भाव,,,,

    मैं कुरान की पढूं आयतें,
    तुम गीता संदेश सुनाओ.
    पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
    ईसू अल्लाह राम बुलाओ.

    RECENT POST : गीत,

    ReplyDelete
  12. संदेश देती सुंदर रचना |
    मेरी नई पोस्ट:-
    ♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥

    ReplyDelete
  13. .

    सिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है
    न अलगाव दिलों में लाओ
    दीवारों से मुक्त बनो तुम
    कण कण में दर्शन कर पाओ

    सच्चा शब्द-साधक समाज को अपनी रचनाओं के माध्यम से ऐसे ही राह दिखाता है …

    आदरणीय कैलाश जी आपकी रचना बहुत महत्वपूर्ण है…
    आभार !
    नमन !!

    शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  14. मैं कुरान की पढूं आयतें,
    तुम गीता संदेश सुनाओ.
    पहुंचेगी आवाज़ वहीं पर
    ईसू अल्लाह राम बुलाओ.

    बहुत सुन्दर सन्देश

    ReplyDelete
  15. बहुत ही सार्थक सन्देश देती सुन्दर अभिव्यक्ति
    सादर
    मधुरेश

    ReplyDelete
  16. शायद हर इंसान जो दिल में प्यार का जज़्बा रखता है ..यही चाहता होगा ..लेकिन अफ़सोस की सियासत में ऐसे लोग क्यों नहीं पाए जाते.....

    ReplyDelete
  17. हम क्या बनाने आए थे क्या बना बैठे
    कहीं मंदिर तो कहीं मस्जिद बना बैठे
    हमसे तो अच्छी है जात परिंदों की
    कभी मंदिर तो कभी मस्जिद पे जा बैठे...

    ReplyDelete
  18. अच्छा सन्देश देती हुई रचना...

    ReplyDelete
  19. भूल जायेंगे हम सब झगड़े
    सच्चे दिल से गर ये सुन पायें.
    सही कहा है, आपने इस आवाज़ को दिल से सुनने की जरुरत है...गहन भाव...आभार

    ReplyDelete
  20. bahut badhiya shodon ka samagam...dhnywad kabhi samay mile to mere blog http://pankajkrsah.blogspot.com pe padharen swagat hai

    ReplyDelete

  21. सिर्फ़ प्रेम की राह सत्य है,
    न अलगाव दिलों में लाओ.
    दीवारों से मुक्त बनो तुम,
    कण कण में दर्शन कर पाओ.

    इसी सत्य सभी जानते हें फिर पता नहीं क्यों लोगों के बहकावे में आकर अपने ही भाइयों को दुश्मन समझ कर खून बहाते हैं
    बहुत सुंदर भावों को प्रस्तुत किया है. .

    ReplyDelete
  22. काश कि यह समझें हम ..बहुत सुन्दर .

    ReplyDelete
  23. सोचने को कहती हुई अति सुन्दर रचना..

    ReplyDelete
  24. काश आपकी कविता की सोच जैसा भारत एक बार फिर से निर्माण हो ...

    ReplyDelete
  25. काश, ऐसा हो सके - फिर तो सारी दुनिया
    चैन की साँस ले सकेगी !

    ReplyDelete
  26. रंग एक है लाल लहू का,
    सुख दुख एक बराबर सहते.
    घर जलता है जब भी कोई,
    आंसू सभी एक से बहते.

    संग संग जीना ही तो जीवन है.....

    ReplyDelete
  27. काश सभी ही ऐसा सोचें तो इस दुनियां की तस्वीर ही बदल जाये | आभार |

    ReplyDelete
  28. agar boond apni boondta chhod kar or sagar apni sagarta chhod kar ek jat ko mante hai vo hai pani ki jaat.

    Kash insaan bhi khudrat ke sandesh ko samjhe ki

    jab bande me noor khuda ka hai
    phir banda rab se juda hai kyun?
    or rab ki koi jaat nahin.

    Yahin batati hai meri post KYUN???? please read it.

    http://udaari.blogspot.in

    ReplyDelete
  29. बहुत ही खुबसूरत और अति सुन्दर रचना. काश ऐसा हो.

    ReplyDelete
  30. उत्तम कृति के लिए हार्दिक बधाई कैलाश जी |
    आशा

    ReplyDelete
  31. बहुत सुन्दर कृति

    ReplyDelete