Friday, March 22, 2013

क्षणिकाएं


   (१)
ज़िन्दगी की क़िताब      
पीले पड़ गए पन्ने 
चाहता हूँ पढ़ना
एक बार फ़िर.

लगता है डर
पलटने में पन्ने,
कहीं बिखर न जायें
भुरभुरा कर
और बिखर जायें यादें
फिर चारों ओर.

   (२)
मत उछालो       
मेरे अहसासों को
समझ पत्थर,
ग़र टूटे फ़िर  
चुभने लगेंगे दिल में
किरचें बन कर.

   (३)
अब मेरे अहसास
न मेरे बस में,
देख कर तुमको
न जाने क्यूँ
ढलना चाहते 
शब्दों में.

   (४)
 तुम्हारा मौन
उठा देता तूफ़ान
मन के शांत सागर में,
अब तो कर दो
इसे मुखर
कुछ पल को.

   (५)
डूब रहा अंतर्मन           
मौन के समंदर में,
अब तो प्रिय कुछ पल को
मौन मुखर होने दो.

...कैलाश शर्मा 

39 comments:

  1. कहीं बिखर न जायें
    भुरभुरा कर
    और बिखर जायें यादें
    फिर चारों ओर.

    जीवन यादों को संग साथ लिए आगे बढ़ता रहता है..कोमल अहसासों से ओतप्रोत सुंदर क्षणिकाएँ !

    ReplyDelete
  2. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 23/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. कोमल अहसासों से युक्त बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं कैलाश जी ! हर क्षणिका मन को छू जाती है ! बहुत सुंदर !

    ReplyDelete
  4. मन को भाती सुंदर क्षणिकाए,,,,बहुत उम्दा कैलाश जी,,,,

    RecentPOST: रंगों के दोहे ,

    ReplyDelete
  5. मौन मुखर की कामना सहित.....बहुत भावपरक क्षणिकाएं।

    ReplyDelete
  6. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  7. अनुपम भाव संयोजन से सुसजित सुंदर क्षणिकाएं...

    ReplyDelete
  8. कोमल अहसासों से युक्त क्षणिकाएं

    ReplyDelete
  9. सुन्दर सुन्दर....बेहद सुन्दर क्षणिकाएं...

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  10. अन्तस्थल से निकली बेहद भावपूर्ण क्षणिकाएं!
    बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर क्षणिकाएँ!
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  12. दिल के अहसास दर्शाती और कुलबुलाती यादें .....
    शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  13. अर्थपूर्ण क्षणिकाएं

    ReplyDelete
  14. डूब रहा अंतर्मन
    मौन के समंदर में,
    अब तो प्रिय कुछ पल को
    मौन मुखर होने दो.


    सुन्दर क्षणिकाएं

    ReplyDelete
  15. बहुत ही खूबसूरत है क्षणिकाएँ,आभार.

    ReplyDelete
  16. मौन ही बूँद-बूँद कर क्षणिकाओँ में बरस गया है !

    ReplyDelete
  17. मत उछालो
    मेरे अहसासों को
    समझ पत्थर,
    ग़र टूटे फ़िर
    चुभने लगेंगे दिल में
    किरचें बन कर.
    NAM KO KSHANIKAYEN HAEN.par dil ko chu jati haen.

    ReplyDelete
  18. सभी के सभी शानदार.....पहला वाला सबसे अच्छा ।

    ReplyDelete
  19. वाह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर सभी ---
    तुम्हारा मौन
    उठा देता तूफ़ान
    मन के शांत सागर में,
    अब तो कर दो
    इसे मुखर
    कुछ पल को.

    ReplyDelete
  20. मौन बहे स्मृतियाँ सारी,
    गति की सीमा गति से हारी।

    ReplyDelete
  21. सभी एकदम बेहतरीन है शानदार ...
    :-)

    ReplyDelete
  22. सुन्दर, भावपूर्ण !
    सादर
    मधुरेश

    ReplyDelete
  23. वाह! बहुत ख़ूब! होली की हार्दिक शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  24. जिंदगी की किताब , एहसास , और मौन के मुखर होने की ख्वाहिश !
    सिमटी है पूरी जिंदगी इसी में !
    बेहतरीन !

    ReplyDelete
  25. अब तो इन अहसासों के ढहने के ही दिन है। सार्थक रचना।

    ReplyDelete
  26. सुन्दर क्षणिकाएँ

    ReplyDelete
  27. लगता है डर
    पलटने में पन्ने,
    कहीं बिखर न जायें
    भुरभुरा कर
    और बिखर जायें यादें
    फिर चारों ओर...

    बहुत खूब ... यादें उड़ जायंगी इन पन्नों से ... संभाल के रखना ...
    लाजवाब भाव ...

    ReplyDelete
  28. खुबसूरत क्षणिकाएं...

    ReplyDelete
  29. मत उछालो
    मेरे अहसासों को
    समझ पत्थर,
    ग़र टूटे फ़िर
    चुभने लगेंगे दिल में
    किरचें बन कर.

    bahut hi sundar lajbab ......sadar aabhar sir

    ReplyDelete
  30. मौन हौ गया है मुखर । बहुत सुंदर क्षणिकाएं ।

    ReplyDelete
  31. सुंदर और सार्थक क्षणिकायें
    कम शब्दों में गहरी बात
    बधाई

    ReplyDelete
  32. बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!

    ReplyDelete