Saturday, April 20, 2013

२००वीं पोस्ट - हैवानियत


                                     (चित्र गूगल से साभार)
क्यों पसरती जा रही
हैवानियत इंसानों में,
क्यों घटता जा रहा अंतर
मानव और दानव में,
क्यों हो गया मानव
घृणित दानव से भी?

भूल गया सभी रिश्ते और उम्र
दिखाई देती केवल एक देह,
बेमानी हो गए शब्द
प्रेम, वात्सल्य और स्नेह,
आँखों में है केवल भूख
झिंझोड़ने की एक देह,
कानून व्यवस्था सब बेमानी
बंधी हुई है पट्टी आँखों पर,
देखने तमाशा जुड़ जाती भीड़
पर बढ़ता नहीं कोई हाथ
करने को सामना.

नहीं आयेगी कोई दुर्गा
करने दानव दलन,
उठना होगा तुम्हें ही
बनना होगा दुर्गा
करने दानवों का शमन,
उठाओ खड्ग और खप्पर
पीने को लहू इन रक्तबीजों का,
गिरने न पाए लहू की
एक बूँद भी पृथ्वी पर,
पैदा न हो पाए फिर कोई
रक्तबीज धरा पर.

......कैलाश शर्मा 

29 comments:

  1. इंसान की इस कारस्तानी से तो हैवान की हैवानियत
    भी शर्मिंदा होगी....

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  2. उठाओ खड्ग और खप्पर......यही होना चाहिए अब।

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  3. वाकई बहुत भयावह स्थिति है.

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  4. पीने को लहू इन रक्तबीजों का,
    गिरने न पाए लहू की
    एक बूँद भी पृथ्वी पर,
    पैदा न हो पाए फिर कोई
    रक्तबीज धरा पर.

    बहुत उम्दा भावअभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  5. २०० वीं पोस्ट के लिए बहुत २ बधाई शुभकामनाए,कैलाश जी,,,

    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  6. प्रखर पोस्ट (और 200वीं भी)के लिए बधाई.

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    साझा करने के लिए आभार...!
    --
    200वीं पोस्ट की बधाई हो

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  8. मन दहला देने वाला परिदृश्य प्रस्तुत कर रहा है आज के दौर का समाज । गहरी अभिव्यक्ति

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  9. सर,
    आज आँखों में फिर नमी है,
    दिल एक दर्द है...
    क्यूँ इतने मजबूर, लाचार और बेबस हैं हम इंसान...
    हैवानियत के आगे....???
    ~सादर!!!

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  10. शुरू करना होगा एक नया समर
    इन नाराधर्मी पिशाचों के खिलाफ
    समेत कर अपनी शक्ति सारी...
    २०० वीं पोस्ट के लिए बधाई और शुभकामनाएं

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  11. बहुत सुन्दर.गहरी अभिव्यक्ति...२०० वीं पोस्ट के लिए बधाई और शुभकामनाएं

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  12. जीवन की गहन अनुभूति
    आज के संदर्भ की
    विचारपूर्ण भावुक
    सार्थक रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

    aapko badhai or shubhkamnayen

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  13. सच्चा आह्वान ..... शुभकामनायें

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  14. Sorry Sir!
    भावनाओं में बह कर भूल ही गये थे हम...
    "२००वीं पोस्ट के लिए आपको हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ!" :)
    ~सादर!!!

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  15. सचमुच इतनी शर्मनाक एवँ भयावह स्थिति है कि साँस लेना भी दूभर हो चुका है अब ! कैसे हर नारी को दुर्गा बना दें समझ नहीं आता ! फिर मासूम बच्चियों को कैसे अपनी रक्षा करना सिखाएं ! बच्चियों के साथ साये की तरह रहना होगा हमें तभी बचा पायेंगे उन्हें ! लेकिन कब तक ?

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  16. भाव पूर्ण रचना है ... ओर समझ नहीं आता कैसे सुधार होगा ... जुल्म की हद बढती ही जा रही है ...
    बधाई आपको २०० पोस्ट की ...

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  17. सही कहा आपने अब खुद को ही खड़ग उठान होगा ....

    200वीं पोस्ट की बधाई

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  18. २०० वीं पोस्ट और बेहद संवेदनशील प्रस्तुति के लिये बहुत मुबारकबाद.

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  19. sach me ... bahut hee dukhad pahloo bantaa jaa raha hai aaj samaaj me ...aaj koi bahar se durga chandi nahi aayegi... aaj hame chandi ban utarana hoga

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  20. २०० वीं पोस्ट बहुत ही ...... संवेदनशील प्रस्तुति कैलाश जी

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  21. संवेदनशील रचना...
    २००वीं रचना की बधाई...

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  22. पीने को लहू इन रक्तबीजों का,
    गिरने न पाए लहू की
    एक बूँद भी पृथ्वी पर,
    पैदा न हो पाए फिर कोई
    रक्तबीज धरा पर......
    २००वीं रचना की बधाई.
    latest post सजा कैसा हो ?
    latest post तुम अनन्त
    l

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  23. पीने को लहू इन रक्तबीजों का,
    गिरने न पाए लहू की
    एक बूँद भी पृथ्वी पर,
    पैदा न हो पाए फिर कोई
    रक्तबीज धरा पर.

    बेहतरीन आह्वान

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  24. सार्थक प्रस्तुति

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  25. ab tho yahi karna hoga...aur koi upai nahi....sundar sarthak prastuti

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