Saturday, February 14, 2015

प्रेम दिवस


प्यार नहीं मोहताज़ किसी दिन का 
यह है एक अनवरत प्रवाह 
मरुथल हो या गंगा का शीतल जल,
रहता है प्रेम अव्यक्त 
नहीं मांगता कोई प्रतिदान,
चाहे न चलें लेकर हाथों में हाथ 
पर दूर कब होता है साथ 
सुख में या दुःख में,
मौन प्रयास सुगम बनाने का 
रास्ता एक दूसरे का,
क्या ज़रुरत ऐसे प्यार को 
इंतज़ार किसी एक दिन का.

...कैलाश शर्मा 

23 comments:

  1. सुन्दर सार्थक प्रस्तुति...

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  2. प्रेम ही परमेश्वर है । सार्थक प्रस्तुति ।

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  3. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-02-2015) को "कुछ गीत अधूरे रहने दो..." (चर्चा अंक-1890) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    पाश्चात्य प्रेमदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. सही बात...प्रेम दिवस पर बहुत सुंदर और सटीक रचना...

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  5. बस प्रेम होना चाहिये ।

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  6. सुंदर, अति सुंदर

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  7. बिल्कुल सही कहा आप नें सर।बहुत सुन्दर।

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  8. बहुत सुंदर ...नमस्ते भैया

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  9. बिलकुल सच कहा आपने ! सार्थक प्रस्तुति !

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  10. एकदम सही ! सुंदर रचना।
    ~सादर शुभकामनाएँ

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  11. बस प्रेम होना चाहिये, ​किसी विशेष दिन नहीं बल्कि हर वक्त और हर दिन ​

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  12. बहुत ही सुंदर रचना। वैसे वेलेन्‍टाइन डे को भारत में प्रेम दिवस के रूप में मनाना चाहिए। वैसे भी इस देश में तो प्रेम ज़र्रे ज़र्रे में बसा है। इसका अंग्रेजी दिन का भारतीयकरण हो जाए तो क्‍या कहने।

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    1. मैं आपसे सहमत हूँ । आपके विचार वरेण्य है ।

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  13. Prem mohtaj nahi kisi din vishesh ka.

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  14. Prem mohtaj nahi kisi din vishesh ka.

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  15. प्यार को किसी एक दिन सीमित कर हम उसे व्यावसायिक जामा पहना रहे हैं... अच्छा प्रश्न , सुंदर कवितांकन

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  16. आज कल जहां तेज़ी का ज़माना है वहां एक दिन प्रेम को भी याद कर लें ... ऐसे ही कुछ लोगों के लिए है ये प्रेम दिवस ...

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  17. व्यवसाय का दिवस है यह..भला प्रेम को एक दिन में बाँधा जा सकता है? सुन्दर रचना.

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