Thursday, October 01, 2015

उम्र

उम्र नहीं केवल एक जोड़
हर वर्ष बढ़ते हुए कुछ अंकों का,
बढ़ते जाना अंकों का
नहीं है अर्थ
हो जाना व्यर्थ पिछले अंकों का,
उम्र नहीं केवल एक अंक
उम्र है संग्रह अनुभवों का,
उम्र है उत्साह
कदम अगला उठाने का,
उम्र है एक द्रष्टि
अँधेरे के परे प्रकाश देख पाने की,
उम्र है एक सोच
प्रति पल एक नयी उपलब्धि की।

नहीं रखता कोई अर्थ
अंको का छोटा या बड़ा होना,
उम्र है केवल एक अनुभूति
अंको से परे जीवन की
जहाँ खो देते अंक
अस्तित्व अपने होने का।

....©कैलाश शर्मा

23 comments:

  1. उम्र की सकारात्मक एवं सार्थक व्याख्या।

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  2. इन अंकों की सोचो तो कर्म कहाँ हो पाता है ... बाहर आना ही पड़ता है इस सोच से ...

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  3. उम्र नहीं केवल एक अंक
    उम्र है संग्रह अनुभवों का,
    उम्र है उत्साह
    कदम अगला उठाने का,
    उम्र है एक द्रष्टि

    ...बहुत सुन्दर .. सकारात्मक सोच जरुरी है

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  4. एक सकारात्मक व सार्थक सृजन ..बहुत उम्दा

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-10-2015) को "तलाश आम आदमी की" (चर्चा अंक-2117) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, लकीर बड़ी करनी होगी , मे आपकी कमाल की पोस्ट का सूत्र हमने अपनी बुलेटिन में पिरो दिया है ताकि मित्र आपकी पोस्ट तक और आप उनकी पोस्टों तक पहुंचे ..आप आ रहे हैं न ...
    --

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  7. सुंदर और सार्थक रचना ।

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  8. उम्र है केवल एक अनुभूति
    अंको से परे जीवन की
    जहाँ खो देते अंक
    अस्तित्व अपने होने का।

    सच कहा है उम्र अनुभवों का संग्रह है.

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  9. सम्यक - सार्थक - सटीक - समाधान ।

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  10. sach kaha apne....bahut sundar rachna

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  11. बहुत ही सुंदर और सार्थक रचना।

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  12. उम्र है उत्साह
    कदम अगला उठाने का,
    उम्र है एक द्रष्टि
    अँधेरे के परे प्रकाश देख पाने की,
    उम्र है एक सोच
    प्रति पल एक नयी उपलब्धि की।
    ​मुझे लगता है कि अगर हम इन अंकों को दिमाग में रखते हैं तो स्पष्ट रूप से ये हमारे क्षमता और शक्ति को कमतर करते जाते हैं ! सुन्दर अभिव्यक्ति

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  13. वक़्त
    ना जाने कब कैसे वक़्त बे साख्ता उड़ा
    जैसे पंख फैलाये आसमां में फाख्ता उड़ा
    मिट गयी ना जाने कैसी कैसी हस्तियां
    जब जब जिससे भी इसका वास्ता पड़ा
    बदलने चले थे कई सिकंदर और कलंदर
    ख़ाक हुए जिसकी राह मैं यह रास्ता पड़ा
    मत कर गुरूर अपनी हस्ती पर ऐ RAAJ
    कुछ पल उसे देदे सामने जो फ़कीर खड़ा

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