tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post3087300617344230003..comments2024-02-12T14:29:39.696+05:30Comments on Kashish - My Poetry: श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (१२वीं-कड़ी)Kailash Sharmahttp://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-19878394945994514302012-07-16T06:59:32.194+05:302012-07-16T06:59:32.194+05:30postingan yang bagus.......postingan yang bagus.......obat jerawathttp://www.lakubos.com/2012/03/nayla.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-80975466979940365562012-06-08T21:50:56.957+05:302012-06-08T21:50:56.957+05:30सुन्दरम मनोहरं ,बढ़िया तरीके से संपन्न हुआ दूसरा अ...सुन्दरम मनोहरं ,बढ़िया तरीके से संपन्न हुआ दूसरा अध्याय .बधाई .<br />कृपया यहाँ भी पधारें -<br />फिरंगी संस्कृति का रोग है यह<br />प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति को भी यह रोग लग जाता है .<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/<br /><br />ram ram bhai<br />शुक्रवार, 8 जून 2012<br />जादू समुद्री खरपतवार क़ा<br />बृहस्पतिवार, 7 जून 2012<br />कल का ग्रीन फ्यूल होगी समुद्री शैवाल<br />http://veerubhai1947.blogspot.in/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-56271847427343168822012-06-08T21:46:47.609+05:302012-06-08T21:46:47.609+05:30नदियाँ हैं जल भरती रहतीं,
पर सागर कब मर्यादा तजता....नदियाँ हैं जल भरती रहतीं,<br />पर सागर कब मर्यादा तजता.<br />स्थिर मन ही शान्ति है पाता,<br />कामी जन न शान्ति है लभता.<br /><br />सुन्दरम मनोहरं ,बढ़िया तरीके से संपन्न हुआ दूसरा अध्याय .बधाई .<br />कृपया यहाँ भी पधारें -<br />फिरंगी संस्कृति का रोग है यह<br />प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति को भी यह रोग लग जाता है .<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/<br /><br />ram ram bhai<br />शुक्रवार, 8 जून 2012<br />जादू समुद्री खरपतवार क़ा<br />बृहस्पतिवार, 7 जून 2012<br />कल का ग्रीन फ्यूल होगी समुद्री शैवाल<br />http://veerubhai1947.blogspot.in/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-90445771940047685252012-06-06T12:33:04.306+05:302012-06-06T12:33:04.306+05:30सब प्रभु की इच्छा पर निर्भर है....आभारसब प्रभु की इच्छा पर निर्भर है....आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-82505009069209920522012-06-06T10:59:12.539+05:302012-06-06T10:59:12.539+05:30बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिय...बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....<br /><br /><a href="http://indiadarpan.blogspot.com" rel="nofollow"><br />इंडिया दर्पण</a> पर भी पधारेँ।India Darpanhttps://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-22941194967889166592012-06-06T07:00:44.013+05:302012-06-06T07:00:44.013+05:30बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति.बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-86236556115015049742012-06-05T17:27:26.547+05:302012-06-05T17:27:26.547+05:30राग द्वेष से जो विमुक्त हो
संसारिक विषयों को भोगता...राग द्वेष से जो विमुक्त हो<br />संसारिक विषयों को भोगता.<br />कर लेता वश में जो इन्द्रिय,<br />वह ज्ञानी आनन्द भोगता.<br /><br />इन्द्रिय सुखों से निरत रहने वाला ही ज्ञानी होता है और वही शाश्वत सुख भोगता है।<br /><br /><a href="http://niraamish.blogspot.in/2012/06/vegetaianism-and-global-warming.html#comment-form" rel="nofollow">निरामिष: शाकाहार संकल्प और पर्यावरण संरक्षण (पर्यावरण दिवस पर विशेष)</a>सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-18364715926525964452012-06-05T16:57:41.979+05:302012-06-05T16:57:41.979+05:30अहंकार, मोह विहीन वह ज्ञानी
परम शान्ति अधिकारी हो...अहंकार, मोह विहीन वह ज्ञानी <br />परम शान्ति अधिकारी होता.<br /><br />ज्ञानवर्धक ...शांतिप्रदायक ...बहुत सफल ...उत्तम प्रयास ...!!<br />बहुत आभार ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-18165716876926033582012-06-05T09:58:53.624+05:302012-06-05T09:58:53.624+05:30बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिय...बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....<br /><br /><a href="http://indiadarpan.blogspot.com" rel="nofollow"><br />इंडिया दर्पण</a> पर भी पधारेँ।India Darpanhttps://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-22037993202361791372012-06-05T09:32:29.240+05:302012-06-05T09:32:29.240+05:30पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने की प्रतीक्षा..पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने की प्रतीक्षा..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-19872975439275776692012-06-05T03:58:14.931+05:302012-06-05T03:58:14.931+05:30पार्थ! इन्द्रियां हैं जिसकी
निगृहीत विषयों से होती...पार्थ! इन्द्रियां हैं जिसकी<br />निगृहीत विषयों से होती.<br />ऐसे सन्यासी की बुद्धि<br />पूर्णमेव प्रतिष्ठित होती<br /><br />मूल अर्थ को रख कर की गई सुंदर पद्य रचना ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-1410020379885641932012-06-05T00:33:22.192+05:302012-06-05T00:33:22.192+05:30paramshanti or sansarik vyavhar ko abhivyakt karti...paramshanti or sansarik vyavhar ko abhivyakt karti post.sangitahttps://www.blogger.com/profile/15885937167669396107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-57982940339567247692012-06-04T21:49:13.838+05:302012-06-04T21:49:13.838+05:30पठनीय,,संग्रहणीय,,सुंदर श्रंखला. प्रस्तुति,,,,कैला...पठनीय,,संग्रहणीय,,सुंदर श्रंखला. प्रस्तुति,,,,कैलाश जी ,,,,,<br /> <br />RECENT POST .... <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_31.html#links" rel="nofollow">काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-16935133111249425912012-06-04T20:29:37.451+05:302012-06-04T20:29:37.451+05:30sari srakhlaye sangrah karne wali hai .........kai...sari srakhlaye sangrah karne wali hai .........kailash jiसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-16848882701534798962012-06-04T18:09:51.439+05:302012-06-04T18:09:51.439+05:30संग्रहणीय श्रंखला..संग्रहणीय श्रंखला..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-24006330960605100552012-06-04T17:58:34.024+05:302012-06-04T17:58:34.024+05:30राग द्वेष से जो विमुक्त हो
संसारिक विषयों को भोगता...राग द्वेष से जो विमुक्त हो<br />संसारिक विषयों को भोगता.<br />कर लेता वश में जो इन्द्रिय,<br />वह ज्ञानी आनन्द भोगता.<br /><br /><br />पाता परम शान्ति साधक,<br />सब दुखों का नाश है होता.<br />बुद्धि प्रतिष्ठित होती उसकी <br />प्रसन्नचित साधक जो होता.<br /><br />बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति… <br /><br /><a href="http://rajpurohitsamaj-s.blogspot.in/2012/05/blog-post_21.html#comment-form/" rel="nofollow"><br />Rajpurohit Samaj<br /></a> पर पधारेँ.... मुझे खुशी होगी .Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-19984901152514804222012-06-04T16:49:57.942+05:302012-06-04T16:49:57.942+05:30ब्रह्मनिष्ठ मन की यह स्थिति,
इसे प्राप्त कर मोह न ...ब्रह्मनिष्ठ मन की यह स्थिति,<br />इसे प्राप्त कर मोह न होता.<br />मृत्यु पूर्व कुछ क्षण स्थित हो <br />ब्रह्म लीन वह जन है होता……………अद्भुत चित्रणvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-60912288601631886812012-06-04T14:46:44.950+05:302012-06-04T14:46:44.950+05:30ब्रह्मनिष्ठ मन की यह स्थिति,
इसे प्राप्त कर मोह न ...ब्रह्मनिष्ठ मन की यह स्थिति,<br />इसे प्राप्त कर मोह न होता.<br />मृत्यु पूर्व कुछ क्षण स्थित हो <br />ब्रह्म लीन वह जन है होता.<br /><br />बहुत सुन्दर प्रस्तुति... आभारसंध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-35554562101240837492012-06-04T14:26:09.897+05:302012-06-04T14:26:09.897+05:30सभी कामनाओं को तज कर,
भोगों के प्रति जो निस्पृह हो...सभी कामनाओं को तज कर,<br />भोगों के प्रति जो निस्पृह होता.<br />अहंकार, मोह विहीन वह ज्ञानी <br />परम शान्ति अधिकारी होता.<br />बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति...<br />अति सुन्दर:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-68843640337915826362012-06-04T13:49:44.615+05:302012-06-04T13:49:44.615+05:30अद्दभुत प्रस्तुति कैलाश जीअद्दभुत प्रस्तुति कैलाश जीRajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-48266519412470118422012-06-04T13:37:06.789+05:302012-06-04T13:37:06.789+05:30ब्रह्मनिष्ठ मन की यह स्थिति,
इसे प्राप्त कर मोह न ...ब्रह्मनिष्ठ मन की यह स्थिति,<br />इसे प्राप्त कर मोह न होता.<br />मृत्यु पूर्व कुछ क्षण स्थित हो <br />ब्रह्म लीन वह जन है होता.....वाह: बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आभार..कैलाश जी..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-33778150790163427952012-06-04T13:00:17.973+05:302012-06-04T13:00:17.973+05:30सभी कामनाओं को तज कर,
भोगों के प्रति जो निस्पृह हो...सभी कामनाओं को तज कर,<br />भोगों के प्रति जो निस्पृह होता.<br />अहंकार, मोह विहीन वह ज्ञानी <br />परम शान्ति अधिकारी होता.<br />बहुत ही बढिया... प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com