tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post6946165762602087743..comments2024-02-12T14:29:39.696+05:30Comments on Kashish - My Poetry: बरगद का दर्दKailash Sharmahttp://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comBlogger46125tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-30333453129883002812011-07-01T04:35:24.418+05:302011-07-01T04:35:24.418+05:30बरगद का दर्द समझा तो किसी ने ....
बेहतरीन !बरगद का दर्द समझा तो किसी ने ....<br />बेहतरीन !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-6017795757139478042011-06-30T21:25:08.850+05:302011-06-30T21:25:08.850+05:30bhaavuk karti rachnaa...
bahut sundar..bhaavuk karti rachnaa...<br /><br />bahut sundar..amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-5103173553409518882011-06-30T15:04:45.563+05:302011-06-30T15:04:45.563+05:30बरगद को लेकर जिस ओर आपने इशारा करने की कोशिश की है...बरगद को लेकर जिस ओर आपने इशारा करने की कोशिश की है, मुझे लगता है कि उसे सभी ने समझा है। दरअसल युवाओं को लगता है कि बरगद की जड़ें बहुत मजबूत हैं,लिहाजा वो पानी देने से भी भागते हैं।<br /><br />युवा और बच्चे<br />खो गये हैं दूर<br />कंक्रीट के जंगल में<br />और भूल गये हैं रस्ता<br />बरगद तक वापिस आने का.<br /><br />बहुत सुंदर रचना हैमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-81124621345410088832011-06-29T22:19:22.145+05:302011-06-29T22:19:22.145+05:30बरगद के माध्यम से कड़वा सच बयाँ कर दिया है...बरगद के माध्यम से कड़वा सच बयाँ कर दिया है...rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-12361608128838689532011-06-29T17:09:03.271+05:302011-06-29T17:09:03.271+05:30बच्चों को बरगद तक ले जाने की ज़िम्मेदारी हमारी ही ...बच्चों को बरगद तक ले जाने की ज़िम्मेदारी हमारी ही है|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-80295119746378719412011-06-28T23:11:34.503+05:302011-06-28T23:11:34.503+05:30barag ke bahane jivan-darshan diya hai aapane. bad...barag ke bahane jivan-darshan diya hai aapane. badhai, sarthak kavita k liye.girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-7303641324694288202011-06-28T21:48:11.030+05:302011-06-28T21:48:11.030+05:30बुजुर्गों के साये से दूर भागती युवावस्था शहर के कि...बुजुर्गों के साये से दूर भागती युवावस्था शहर के किसी अपार्टमेन्ट में 2-BHK या 3-BHK की छत को ही अपने सिर पर छाया समझ बैठी है जहाँ न तो जमीं अपनी है न ही छत .बरगद की पीड़ा भला कौन समझे ?अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-14963190261984548502011-06-28T20:46:14.389+05:302011-06-28T20:46:14.389+05:30बेचारा बरगद...बेचारा बरगद...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-5819661671586618952011-06-28T20:17:08.357+05:302011-06-28T20:17:08.357+05:30शर्मा जी!
प्रणाम!
वटवृक्ष हमारी परम्परा का, हमारी ...शर्मा जी!<br />प्रणाम!<br />वटवृक्ष हमारी परम्परा का, हमारी संस्कृति का, हमारी दार्शनिक विचारधाराओं का प्रतीक है। सबको आत्मसात् करने वाला, सबका संरक्ष करने वाला, सबका सहयोगी है यह। इसकी शाखायें हमारे क्षैतिज दर्शनधारा को व्यक्त करती हैं। जिस प्रकार इसकी शाखायें एक साथ इस विशाल वृक्ष को अपने ऊपर टिकाये रहती हैं, उसी प्रकार हमारी सनातन संस्कृति को, हमारे बौद्धिक परम्परा को चार्वाक से लेकर अद्वैत वेदान्त तक विभिन्न दर्शनधारायें साथ-साथ मिलकर वाद-विवाद से परस्पर सहयोग करके टिकाये हुए हैं, जीवब्न्त बनाये हुए हैं उसके प्रवह को।<br /><br />आज परिस्थितियाँ बदल गयी हैं। भले ही युवा पीढ़ी समय से कदम मिलाअकर चलने की होड़ में बरगद को भुला दे, उसकी शीतल छांव को भुला दे। परन्तु बरगद के दिन फिर बहुरेगें।<br />आज भी एक थके हुए पथिक के लिये बरगद वैसे ही सुखदायक और आत्मीय है, जैसे पहले था।<br /><br /><br />कंक्रीट के जम्गलों ने बरगद को दूर गाँव तक ही सीमित कर दियाअ है......हा‘ं उसकी जगह घरों में बोनसाई अवश्य सज गयी है।<br /><br />बहुत ही मार्मिक कविता है।<br />आपने अपने अनुभव को बहुत मर्मस्पर्शी शब्द दिये हैं , जिससे कविता सीधे हृदय तक जाती है।Mukeshhttps://www.blogger.com/profile/10419400047507603499noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-80516639728650531282011-06-28T17:01:11.168+05:302011-06-28T17:01:11.168+05:30बहुत मार्मिक रचना, बरगद के बहाने आज के बदलते हुए ह...बहुत मार्मिक रचना, बरगद के बहाने आज के बदलते हुए हालात पर गहरा दुःख झलकता है आपकी कविता में..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-55276433268245673352011-06-28T13:01:53.941+05:302011-06-28T13:01:53.941+05:30अपनत्व भरा बरगद खो गया है कंक्रीट के परायेपन के...अपनत्व भरा बरगद खो गया है कंक्रीट के परायेपन के जंगल में उदास झुर्री दार चेहरे ताकते हैं उस राह को जो कहीं दूर खो गयी है...बहुत सुन्दर संवेदनशील रचना...कोटि कोटि शुभकामनाएं....अनुभूतिhttps://www.blogger.com/profile/17816337979760354731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-7460371773260733612011-06-27T20:23:05.109+05:302011-06-27T20:23:05.109+05:30आप भी मेरी तरह पर्यावरण-प्रेमी लगते हैं.
बरगद पर ब...आप भी मेरी तरह पर्यावरण-प्रेमी लगते हैं.<br />बरगद पर बेहतरीन रचना.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-43430742819496827912011-06-27T18:37:51.060+05:302011-06-27T18:37:51.060+05:30इस भाव पूर्ण रचना के लिए नमन करता हूँ आपकी लेखनी क...इस भाव पूर्ण रचना के लिए नमन करता हूँ आपकी लेखनी को....मेरी ह्रदय से बधाई स्वीकारें...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-7894164465223329582011-06-27T14:29:08.403+05:302011-06-27T14:29:08.403+05:30बरगद के माध्यम से बहुत अच्छा सन्देश देती पोस्ट.......बरगद के माध्यम से बहुत अच्छा सन्देश देती पोस्ट........शानदार|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-74207701708601697192011-06-27T12:17:46.912+05:302011-06-27T12:17:46.912+05:30बेहद भावमय करती शब्द रचना ।बेहद भावमय करती शब्द रचना ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-13084807965279572432011-06-27T10:38:29.567+05:302011-06-27T10:38:29.567+05:30बहुत सुन्दरता से आपने बरगद के दर्द को शब्दों में प...बहुत सुन्दरता से आपने बरगद के दर्द को शब्दों में पिरोया है! शानदार रचना!<br />मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-<br />http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-21686804410882222042011-06-27T07:14:45.795+05:302011-06-27T07:14:45.795+05:30बरगद एक पेड़ नहीं परंपरा है. बरगद एक पेड़ नहीं पू...बरगद एक पेड़ नहीं परंपरा है. बरगद एक पेड़ नहीं पूरी संग्कृति है. इसका सूना हो जाना अपने पतन के शुरूआत होने का संकेत है. सोचनीय और कारण खोजने के लिए पूरी ऊर्जा के साथ झकझोरती काय वाणी. क्या हम सम्वेद्स्नशील रह गए हैं जो सुने इस दर्द को/ बाते इसके एहसास और अंतर्मन की पीड़ा को? देखना है इस बत ब्रिक्ष जिस्न्र पता नहीं कितनों का रराण किया है बच्पाब से बुढापे तद, क्या आज हम उसका ऋण चुकायेंगे याकन्नी काट जायेंगे? एहसान फरामोश और कृतघ्न कहलायेंगे? हम तो ठहरे मानव, धरती की सर्वोत्क्रिस्ट . रचना इस तुच्छ वृक्ष के बहकावे में क्यों आयेंगे? फिर भी है आशा, एक प्रत्याशा जो आगे बढकर आएगा, फर्ज अपना निभाएगा. ऐसे ही लोग होते हैं जो कहलाते हैं साधु और फ़कीर, कुछ उन्हें असभ्य और भिखारी भी कह देते हैं, लेकिन वे यह नहीं देखते पूरे साम्राज्य को त्याग कर फ़कीर चाँद बना है. उसके पास है पूँजी सामर्थ्य पूरी जगत की सुनने और सेवा करने के लिए. <br /><br />बधाई बहुत बधाई इस प्यारी किन्तु सम्वेदन्शीएल रचना के लिए. बहुत पसंत आयी यह कविता....जो प्रकृति और संस्कृति से प्रति उपेक्षा को रेखान्तित करती है, कुछ करने को प्रेरित करती है.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-77804517376866408172011-06-26T22:48:12.189+05:302011-06-26T22:48:12.189+05:30वाकई हम लोग अकेले से रह गए हैं ...सब चले गए उन ऊंच...वाकई हम लोग अकेले से रह गए हैं ...सब चले गए उन ऊंचे जंगलों में आनंद खोजने !<br />शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-49669359069948046802011-06-26T19:48:55.580+05:302011-06-26T19:48:55.580+05:30bargad ko prateek roop me lena bahut hi sateek pra...bargad ko prateek roop me lena bahut hi sateek prayog raha. aajkal ke buzurgo ke akelepan ka dard bahut bariki se ukera hai.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-84726230222375946852011-06-26T19:27:23.513+05:302011-06-26T19:27:23.513+05:30ओह्ह....बहुत सुन्दर...दर्द उभर कर आया है...ओह्ह....बहुत सुन्दर...दर्द उभर कर आया है...Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-24136742266026345612011-06-26T18:52:21.239+05:302011-06-26T18:52:21.239+05:30बरगदऋ संस्कार और संस्कृति का प्रतीक,
इस बरगद की ओर...बरगदऋ संस्कार और संस्कृति का प्रतीक,<br />इस बरगद की ओर अब कोई झांकता भी नहीं।<br />शर्मा जी, इस रचना में एक सभ्यता की पीड़ा समाई हुई है।<br />इस श्रेष्ठ कविता के लिए आभार।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-30932598949669320062011-06-26T17:47:27.474+05:302011-06-26T17:47:27.474+05:30युवा और बच्चे
खो गये हैं दूर
कंक्रीट के जंगल में
औ...युवा और बच्चे<br />खो गये हैं दूर<br />कंक्रीट के जंगल में<br />और भूल गये हैं रस्ता<br />बरगद तक वापिस आने का.<br /><br />बहुत ही भावुक रचना..... हार्दिक बधाई।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-36637213900394430592011-06-26T16:15:01.476+05:302011-06-26T16:15:01.476+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (27-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-61255193856576556482011-06-26T14:10:35.994+05:302011-06-26T14:10:35.994+05:30बरगद के मध्यम से कितना कुछ कह दिया ... ज़माने का क...बरगद के मध्यम से कितना कुछ कह दिया ... ज़माने का कडुवा सच ... लाजवाब ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-85969742643062850022011-06-26T11:41:16.070+05:302011-06-26T11:41:16.070+05:30गुम-सुम सा आज, गांव का बरगद अपना |
पीपल पेड़ का ...गुम-सुम सा आज, गांव का बरगद अपना |<br /><br />पीपल पेड़ का बाकी निशान नहीं प्यारे ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com