Friday, May 11, 2012

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद ( छठी - कड़ी)


द्वितीय अध्याय
(सांख्य योग - २.२३-२८)

शस्त्र नहीं छिन्दित कर सकते,

अग्नि जला न इसको सकती.
जल गीला न करे आत्मा,
सुखा वायु न इसको सकती.


स्थिर, अचल, व्याप्त है सब में, 
है यह नित्य, अमर, अविनाशी.
शोक किसलिए करते अर्जुन,
यह अमूर्त,अचिन्त्य, अविकारी.


जब शरीर से जन्मा कहते,
मृत्यु मानते तन मरने से.
अगर सोचते हो तुम ऐसा,
उचित नहीं शोक करने से.


जन्म लिया, उसको मरना है,
मरने पर फ़िर जन्म वो लेता.
अपरिहार्य जब जन्म मृत्यु है,
कहो पार्थ शोक फ़िर कैसा ?


जन्म पूर्व अव्यक्त हैं प्राणी,
लेता स्थूल रूप जन्म लेने पर.
मृत्यु करे अव्यक्त उन्हें फ़िर,
करते शोक हो अर्जुन क्यों कर.


                .......क्रमशः 
कैलाश शर्मा 

14 comments:

  1. शस्त्र नहीं छिन्दित कर सकते,
    अग्नि जला न इसको सकती.
    जल गीला न करे आत्मा,
    सुखा वायु न इसको सकती.

    सुंदर बहुत सुंदर .....प्रस्तुति

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

    ReplyDelete
  2. स्थिर, अचल, व्याप्त है सब में,
    है यह नित्य, अमर, अविनाशी.
    शोक किसलिए करते अर्जुन,
    यह अमूर्त,अचिन्त्य, अविकारी.

    अद्भुत

    ReplyDelete
  3. खूबसूरत प्रस्तुति ||

    ReplyDelete
  4. जन्म लिया, उसको मरना है,
    मरने पर फ़िर जन्म वो लेता.
    अपरिहार्य जब जन्म मृत्यु है,
    कहो पार्थ शोक फ़िर कैसा ?
    गहन विचार ...प्रभावी पोस्ट....

    ReplyDelete
  5. पढ़ते समय संस्कृत श्लोक घिर रहे थे..

    ReplyDelete
  6. स्थिर, अचल, व्याप्त है सब में,
    है यह नित्य, अमर, अविनाशी.
    शोक किसलिए करते अर्जुन,
    यह अमूर्त,अचिन्त्य, अविकारी.

    गहन विचार खूबसूरत

    ReplyDelete
  7. जन्म लिया, उसको मरना है,
    मरने पर फ़िर जन्म वो लेता.
    अपरिहार्य जब जन्म मृत्यु है,
    कहो पार्थ शोक फ़िर कैसा ?
    ....गहन विचार प्रशंसनीय प्रस्तुति |बधाई

    ReplyDelete
  8. स्थिर, अचल, व्याप्त है सब में,
    है यह नित्य, अमर, अविनाशी.
    शोक किसलिए करते अर्जुन,
    यह अमूर्त,अचिन्त्य, अविकारी.
    काव्य अनुवाद की अपने वेगवती धारा गत्यात्मकता आपने बना दी है .नपे तुले पारिभाषिक शब्द भी सहज चले आ रहें हैं .मौखिक गीता ज्ञान भी .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 12 मई 2012
    क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
    क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    ReplyDelete
  9. सुंदर विचार और सुंदर प्रस्तुति.

    आभार.

    ReplyDelete
  10. संस्कृत के श्लोकों को हिन्दी में प्रस्तुत करने के लिए साधुवाद सर जी

    ReplyDelete