Pages

Tuesday, March 12, 2019

मरुधर में बोने सपने हैं


कुछ दर्द अभी तो सहने हैं,
कुछ अश्क़ अभी तो बहने हैं।

मत हार अभी मांगो खुद से,
मरुधर में बोने सपने हैं।

बहने दो नयनों से यमुना,
यादों को ताज़ा रखने हैं।

नींद दूर है इन आंखों से,
कैसे सपने अब सजने हैं।

बहुत बचा कहने को तुम से,
गर सुन पाओ, वह कहने हैं।

कुछ नहीं शिकायत तुमने की,
यह दर्द हमें भी सहने हैं।

हमने मिलकर जो खाब बुने,
अब दफ़्न अकेले करने हैं।

...©कैलाश शर्मा

19 comments:

  1. आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २३५० वीं बुलेटिन ... तो पढ़ना न भूलें ...

    तेरा, तेरह, अंधविश्वास और ब्लॉग-बुलेटिन " , में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  2. वाह लाजवाब उम्दा ।

    ReplyDelete
  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  4. भावपूर्ण रचना

    ReplyDelete
  5. कुछ नहीं शिकायत तुमने की,
    यह दर्द हमें भी सहने हैं।
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब...।

    ReplyDelete
  6. बहुत बचा कहने को तुम से,
    गर सुन पाओ, वह कहने हैं।
    बहुत खूब आदरणीय .....लाजवाब

    ReplyDelete
  7. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/03/113.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  8. सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  9. मत हार अभी मांगो खुद से,
    मरुधर में बोने सपने हैं।
    बहुत ही सुंदर ,सादर नमस्कार

    ReplyDelete
  10. आपके ब्लॉग पर आकर, मुझे बेहतरीन अनुभूति हुई। आपकी रचनाओं में तथ्य परक कुछ बातें हैं जो बार-बार पाठकों को यहाँ खींच लाएगी। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय । शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर रचना।
    नयी पोस्ट; शाहरुख खान मेरे गाँव आये थे।

    ReplyDelete
  12. बहुत खूब कुछ उम्मीद और आने वाले समय को निमंत्रण देते शेर हैं ...
    सुन्दर लिखा है ...

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,कैलाश जी।

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर और बेहतरीन रचना....आप को होली की शुभकामनाएं...

    ReplyDelete