tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post2395931414737388871..comments2024-02-12T14:29:39.696+05:30Comments on Kashish - My Poetry: आज तेरी याद फिर क्यों आ गयीKailash Sharmahttp://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comBlogger46125tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-26572687560759516112012-11-18T21:55:54.375+05:302012-11-18T21:55:54.375+05:30अब सतायेगा अकेलापन बहुत,
याद बन चिंगारी ज़लाने...अब सतायेगा अकेलापन बहुत,<br />याद बन चिंगारी ज़लाने आगयी.<br />बहुत खूब कहा कैलाश जी ।नादिर खान https://www.blogger.com/profile/02357024049446530444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-16550768698468910972011-06-05T15:23:23.342+05:302011-06-05T15:23:23.342+05:30"हो गया अभ्यस्त तपती धूप का,
आज फ़िर काली..."हो गया अभ्यस्त तपती धूप का,<br />आज फ़िर काली घटा क्यों छा गयी."<br />क्या बात है !डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-83703600999689693792011-06-03T11:51:57.350+05:302011-06-03T11:51:57.350+05:30आदरणीय कैलाश जी
सादर अभिवादन !
एक सलवट से ...<b><i>आदरणीय कैलाश जी </i></b> <br />सादर अभिवादन !<br /> <br /><b>एक सलवट से भी बिस्तर था अजाना ही रहा,<br />स्वप्न उठते थे नयन में, तन कुंवारा ही रहा.<br />तोड़ने को मौन सागर की लहर सिर पटकती थीं,<br />कर्णवेधी शोर से पर मन अविचलित ही रहा.<br /> </b> <br /><b> </b> बहुत गहरे भाव लिए' अंतर को छू लेने वाला गीत ... <br /> सुन्दर शब्द ! सुन्दर भाव !<br />शानदार रचना. <br /><b> </b> आपकी लेखनी को प्रणाम !<br /><br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! <br /></a></b> <br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-90914442183820028732011-06-02T21:59:10.435+05:302011-06-02T21:59:10.435+05:30कर दिया था दफ़्न खुद को कब्र में,
क्यों सताने तेरी...कर दिया था दफ़्न खुद को कब्र में,<br />क्यों सताने तेरी आहट आ गयी.<br /><br />बेहद शानदार लाजवाब .....Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-44504940137750618162011-06-02T21:23:26.101+05:302011-06-02T21:23:26.101+05:30अब सतायेगा अकेलापन बहुत,
याद बन चिंगा...अब सतायेगा अकेलापन बहुत,<br /> याद बन चिंगारी ज़लाने आगयी.---- वाह शर्माजी क्या बात है....सुन्दर विरह गीत... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-14668478357884366132011-06-02T10:34:15.131+05:302011-06-02T10:34:15.131+05:30बहुत सुन्दर रचना
धन्यवाद.बहुत सुन्दर रचना<br /> धन्यवाद.Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/14297388415522127345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-7734127981277385952011-06-01T20:27:37.871+05:302011-06-01T20:27:37.871+05:30उंगलियां तुम पर उठें न यही है प्रेम की परिभाषा। शो...उंगलियां तुम पर उठें न यही है प्रेम की परिभाषा। शोर से मन अविचलित रहना बहुत बडी बात । मोम पत्थर कैसे बन सकता है । उत्तम रचनाBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-34694346356081004672011-05-31T18:34:35.883+05:302011-05-31T18:34:35.883+05:30विरह-व्यथा ...बहुत सुंदर रचना ..प्रभावी ...बधाईविरह-व्यथा ...बहुत सुंदर रचना ..प्रभावी ...बधाईAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-1761586773197607602011-05-31T16:46:48.888+05:302011-05-31T16:46:48.888+05:30जितने सुन्दर शब्द उतने ही सुन्दर भाव...अप्रतिम रचन...जितने सुन्दर शब्द उतने ही सुन्दर भाव...अप्रतिम रचना...बधाई स्वीकारें<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-23658293352901990422011-05-30T20:48:19.744+05:302011-05-30T20:48:19.744+05:30झूठ था शायद, तुम्हारा नाम विस्मृत कर दिया,
मेज़ से...झूठ था शायद, तुम्हारा नाम विस्मृत कर दिया,<br />मेज़ से फोटो हटाने से क्या रिश्ता मिट गया?<br />बन न पाया था मैं पत्थर, लाख कोशिश मैंने की,<br />आज बस क्षण एक में, यह भरम भी मिट गया....<br /><br />Very touching lines, making me emotional.<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-45106872477202536142011-05-30T17:11:38.821+05:302011-05-30T17:11:38.821+05:30बहुत सुन्दर गीत...
विरह-वियोग चरम पर ....बहुत सुन्दर गीत...<br /><br />विरह-वियोग चरम पर ....सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-39877069566036360752011-05-30T16:32:40.676+05:302011-05-30T16:32:40.676+05:30वाह ...बहुत ही गहरी बात ...वाह ...बहुत ही गहरी बात ...सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-43744934841505666062011-05-30T16:25:03.886+05:302011-05-30T16:25:03.886+05:30कर दिया था दफ़्न खुद को कब्र में,
क्यों ...कर दिया था दफ़्न खुद को कब्र में,<br /> क्यों सताने तेरी आहट आ गयी.<br /><br />वाह शर्मा जी वाह| सुंदर काव्यात्मक प्रस्तुति| शब्द संयोजन बहुत ही जबरदस्त है इस रचना में| बधाई|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-73610037405082102722011-05-30T16:18:23.909+05:302011-05-30T16:18:23.909+05:30एक सलवट से भी बिस्तर था अजाना ही रहा,
स्वप्न उ...एक सलवट से भी बिस्तर था अजाना ही रहा,<br />स्वप्न उठते थे नयन में, तन कुंवारा ही रहा.<br />तोड़ने को मौन सागर की लहर सिर पटकती थीं,<br />कर्णवेधी शोर से पर मन अविचलित ही रहा...<br /><br />बहुत खूब ... अकेलेपन की यंत्रणा को झेलती लाजवाब रचना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-22051916024780002672011-05-30T08:21:35.570+05:302011-05-30T08:21:35.570+05:30मन के व्यथा को आपने अद्भुत तरीके से शब्दों में प्र...मन के व्यथा को आपने अद्भुत तरीके से शब्दों में प्रकाश किया है ... बहुत सुन्दर !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-88324411029676729402011-05-30T00:22:31.124+05:302011-05-30T00:22:31.124+05:30बहुत सुंदर विरह भरी रचना,
धन्यवाद|
- विवेक जैन vi...बहुत सुंदर विरह भरी रचना,<br />धन्यवाद| <br />-<a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-12666757964271003522011-05-29T17:42:42.840+05:302011-05-29T17:42:42.840+05:30बहुत खूब विरह की व्यथा|बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|बहुत खूब विरह की व्यथा|बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-92193335950900797752011-05-29T14:57:15.159+05:302011-05-29T14:57:15.159+05:30आज तेरी याद फिर क्यों आ गयी,
शाम से ही फ़िर उदासी...आज तेरी याद फिर क्यों आ गयी,<br />शाम से ही फ़िर उदासी छा गयी.<br /><br />यादों पर आपके गीत का प्यारा सा मुखड़ा पढ़कर किसी का एक शेर याद आ गया.शेर है:-<br /><br />याद में तेरी जहाँ को भूलता जाता हूँ मैं.<br />भूलने वाले कभी तुझको भी याद आता हूँ मैं.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-74947541471382576372011-05-29T14:12:39.148+05:302011-05-29T14:12:39.148+05:30अब सतायेगा अकेलापन बहुत,
याद बन चिंगा...अब सतायेगा अकेलापन बहुत,<br /> याद बन चिंगारी ज़लाने आगयी.<br /><br />वाकई उत्तम भावाभिव्यक्ति...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-390738683711305882011-05-29T13:06:00.725+05:302011-05-29T13:06:00.725+05:30'क्रन्तिस्वर'पर व्यक्त आपकी सद्भावनाओं के ...'क्रन्तिस्वर'पर व्यक्त आपकी सद्भावनाओं के लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद.<br />कवितायें अच्छी हैं.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-68666831074042692992011-05-29T09:12:44.081+05:302011-05-29T09:12:44.081+05:30मूँद करके नयन, विस्मृत कर दिये थे मिलन क्षण,
नयन ...मूँद करके नयन, विस्मृत कर दिये थे मिलन क्षण, <br />नयन रीते हो गये, सब बह गये थे अश्रु कण।<br />उंगलियां तुम पर उठें न, कर दिया खुद को अजाना,<br />दर्द खुद ही सह लिये, करने को चुकता प्रेम ऋण।<br /><br />प्रेम, स्मृति और पीड़ा का गहन रिश्ता है। इसी मूल भाव को आपने इस गीत में कुशलता के साथ अभिव्यक्त किया है।<br />इस उत्तम रचना के लिए बधाई, शर्मा जी।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-45754551626818753022011-05-29T00:07:07.601+05:302011-05-29T00:07:07.601+05:30बड़ा अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर, आप जैसे प्रतिभाश...बड़ा अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर, आप जैसे प्रतिभाशाली ब्लॉग लेखको का "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" परिवार में स्वागत है. इस साझा मंच में योगदान के लिए हमें मेल भेंजे.. editor.bhadohinews@gmail.comहरीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-83874905598444704902011-05-28T22:20:51.119+05:302011-05-28T22:20:51.119+05:30सही कहा आपने। तस्वीर हटाने मात्र से ही रिश्ते खत्म...सही कहा आपने। तस्वीर हटाने मात्र से ही रिश्ते खत्म नही होते। सुदंर रचना।Amit Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01787361968548267283noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-84670162669531499612011-05-28T15:00:02.077+05:302011-05-28T15:00:02.077+05:30सुन्दर.....विरह का दर्द लफ़्ज़ों में उतर आया है......सुन्दर.....विरह का दर्द लफ़्ज़ों में उतर आया है......लाजवाब|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-90038121402572831452011-05-28T08:55:34.507+05:302011-05-28T08:55:34.507+05:30बहुत उत्तम रचना, बधाई।बहुत उत्तम रचना, बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com