tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post5762647416953282549..comments2024-02-12T14:29:39.696+05:30Comments on Kashish - My Poetry: इतना दर्द मिला अपनों सेKailash Sharmahttp://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comBlogger46125tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-73959161018989239992011-05-24T19:13:09.180+05:302011-05-24T19:13:09.180+05:30इतना दर्द मिला अपनों से,
दुश्मन से ही प्यार हो गया...इतना दर्द मिला अपनों से,<br />दुश्मन से ही प्यार हो गया.<br />मुस्कानों ने छला है इतना,<br />आँसू से इक़रार हो गया.<br /><br /> dhanyavad jiudaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-65879784371472476492011-05-24T13:46:53.832+05:302011-05-24T13:46:53.832+05:30बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! दर्द बयान करती हुई भावपूर्ण...बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! दर्द बयान करती हुई भावपूर्ण रचना ! आपकी रचना पढ़कर आँखें नम हो गयी! बेहतरीन प्रस्तुती!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-19693817061213251022011-05-24T13:31:25.499+05:302011-05-24T13:31:25.499+05:30intense pain, very beautifully depicted by your wo...intense pain, very beautifully depicted by your words.<br />lovely post !!!Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-2537136583476030782011-05-24T11:29:14.475+05:302011-05-24T11:29:14.475+05:30कब तक बात करूँ मैं खुद से,
मेरा स्वर तुम साथ ले गय...कब तक बात करूँ मैं खुद से,<br />मेरा स्वर तुम साथ ले गयी.<br />जिंदा हूँ मैं सिर्फ़ इस लिये,<br />चित्रगुप्त की बही खो गयी.<br /><br />bahut marmik rachna kailash ji ........ <br /><br />mafi chahungi bahar safar me idhar ke din gujare hain jisse blog se dur rahi .........डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-72079510556646342122011-05-23T18:55:22.275+05:302011-05-23T18:55:22.275+05:30दुनियां की इस भीड़ भाड़ में,
कितना आज अकेला पाता.
...दुनियां की इस भीड़ भाड़ में,<br />कितना आज अकेला पाता.<br />रात बिताता इंतज़ार में,<br />सूरज मगर अँधेरा लाता.<br /><br />सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभारSawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/14297388415522127345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-34248815364843267322011-05-23T15:05:50.720+05:302011-05-23T15:05:50.720+05:30रचना के सभी बंद सुन्दर ....
तनहाई के दर्द का भावप...रचना के सभी बंद सुन्दर ....<br /><br />तनहाई के दर्द का भावपूर्ण चित्रण ..सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-29099365265189347002011-05-23T11:25:56.554+05:302011-05-23T11:25:56.554+05:30कब तक बात करूँ मैं खुद से,
मेरा स्वर तुम साथ ले गय...कब तक बात करूँ मैं खुद से,<br />मेरा स्वर तुम साथ ले गयी.<br />जिंदा हूँ मैं सिर्फ़ इस लिये,<br />चित्रगुप्त की बही खो गयी.<br /><br />बेहतरीन अभिव्यक्ति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-32219552053450644692011-05-23T09:06:47.510+05:302011-05-23T09:06:47.510+05:30इतना दर्द मिला अपनों से,
दुश्मन से ही प्यार हो गया...इतना दर्द मिला अपनों से,<br />दुश्मन से ही प्यार हो गया.<br />मुस्कानों ने छला है इतना,<br />आँसू से इक़रार हो गया.<br /><br />क्या कहना इन पंक्तियों का सच्चाई को सामने लाती हुई ....आपका आभारकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-31087773073845409772011-05-23T06:20:02.517+05:302011-05-23T06:20:02.517+05:30हृदयस्पर्शी रचना। दर्द कविता में सहजता से बहता है।...हृदयस्पर्शी रचना। दर्द कविता में सहजता से बहता है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-64761325275076799522011-05-22T23:31:02.457+05:302011-05-22T23:31:02.457+05:30मन की व्यथा को सामने लाती बेहद सशक्त रचना । वाह......मन की व्यथा को सामने लाती बेहद सशक्त रचना । वाह...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-39346209279319721432011-05-22T21:09:03.009+05:302011-05-22T21:09:03.009+05:30ekakipan ko khoobsorati se prastute kiya hai....ekakipan ko khoobsorati se prastute kiya hai....kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-76879032866276273252011-05-22T17:08:43.810+05:302011-05-22T17:08:43.810+05:30बहुत सुंदर जी,वाह! वाह! वाह!
लेकिन कैलाश जी चित्र ...बहुत सुंदर जी,वाह! वाह! वाह!<br />लेकिन कैलाश जी चित्र गुप्त की बही तो मिल गई है.<br />पर उसमें आपका नाम कहीं नहीं है.<br />उनके पास 'स्वर' रहने पर भी आपकी बातें बहुत अच्छी लग रहीं हैं.<br />सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.<br />मेरे ब्लॉग पर भी अपनी कृपा वृष्टि कीजियेगा.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-74605327682282735022011-05-22T12:19:17.067+05:302011-05-22T12:19:17.067+05:30"कब तक बात करूँ मैं खुद से,
मेरा स्वर तुम सा..."कब तक बात करूँ मैं खुद से,<br />मेरा स्वर तुम साथ ले गयी.<br />जिंदा हूँ मैं सिर्फ़ इस लिये,<br />चित्रगुप्त की बही खो गयी"<br /><br />बहुत बहुत बहुत बहुत ही दर्द भरा गीत है । संवेदनशील और म्रर्मस्पर्शी ।डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-12827336964201041312011-05-22T11:04:57.556+05:302011-05-22T11:04:57.556+05:30कविता की हर पंक्ति में मानवीय संवेदनाओं से सिक्त भ...कविता की हर पंक्ति में मानवीय संवेदनाओं से सिक्त भावनाओं का सजीव शब्दांकन है| बधाई| चित्रगुप्त की बही, आँसू से इकरार, सूरज मगर ................. वाली अभिव्यक्तियाँ काफी रोचक हैं| बधाई|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-39510410528292320502011-05-22T10:32:52.641+05:302011-05-22T10:32:52.641+05:30दिल की गहराइयों से भावनाएं उभर कर आयी हैं इस कविता...दिल की गहराइयों से भावनाएं उभर कर आयी हैं इस कविता में . बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएंSwarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-10039626820839796292011-05-22T09:42:23.849+05:302011-05-22T09:42:23.849+05:30भावमयी सुंदर रचना।भावमयी सुंदर रचना।अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-80975327491856529462011-05-22T09:13:21.418+05:302011-05-22T09:13:21.418+05:30कब तक बात करूँ मैं खुद से,
मेरा स्वर तुम साथ ले ग...कब तक बात करूँ मैं खुद से,<br />मेरा स्वर तुम साथ ले गयी.<br />जिंदा हूँ मैं सिर्फ़ इस लिये,<br />चित्रगुप्त की बही खो गयी<br />वाह ! ! ! बिलकुल अभिनव कल्पना.एकाकी का अद्भुत अतिरेक.<br />आपको पढ़ कर सद्यज पंक्तियाँ समर्पित कर रहा हूँ....<br />पहले समझा करता था मैं<br />एकाकी बस दुःख देती है.<br />अब जाना कि कोलाहल में<br />एकाकी ही सुख देती है.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-11440185463477547112011-05-22T08:13:20.607+05:302011-05-22T08:13:20.607+05:30जीवन तो नित संग्राम है
कहीं दृश्य नययाभिराम है
तो ...जीवन तो नित संग्राम है<br />कहीं दृश्य नययाभिराम है<br />तो मचा कहीं कोहराम है.<br />कह लो जीवन या मौत उसे<br />वह गति में एक विराम है.<br />हर तिमिर के बाद आता है सवेरा<br />आएगा आएगा अब उज्ज्वल सबेरा.<br /><br />इस विराम की एक विशेषता<br />देता है अवसर एक सुनहरा.<br />शोधन और परिशोधन का<br />परिवर्द्धन और संशोधन का.<br />लक्ष्य को फिर से पा जाने का<br />नभ में फिर से छा जाने का.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-22410883392519146392011-05-22T07:07:41.720+05:302011-05-22T07:07:41.720+05:30इतना दर्द मिला अपनों से,
दुश्मन से ही प्यार हो गया...इतना दर्द मिला अपनों से,<br />दुश्मन से ही प्यार हो गया.<br />मुस्कानों ने छला है इतना,<br />आँसू से इक़रार हो गया.<br /><br />दर्द यदि दर्द बन कर रहे तो ही ठीक है , मिठास की सम्भावनाये बनी रहती है परन्तु यदि वह जीवन लेने पर तुल जाय तो उस दर्द को क्या कहा जाय? अपनों को तो हत्यारा भी नहीं कह सकते. चुपके चुपके सहने और घुट -घुट कर मरने, तिल -तिल कर जलने, उद्देश्यहीन जीवन का चित्रण दर्द की स्याही में लेखनी डुबो डुबो कर लिखा गया है. अपनत्व से भटक कर पराया घर में आश्रय मिलता है तो थोड़ी राहत है मगर वहाँ भी दर्द मिले तो अच्छा है, कम से कम घर वापसी की सम्भावन्नाये तो रहेंगी. बहुत ही गहरी रचना. याद आ रहा है पंकज उधास की गजल - जिन्दगी और गम दोनों हैरान हैं.., दम निकलने न पाए तो मैं क्या करूँ? चित्रगुप्त की बही खो जाने का बहाना एक नया बिम्ब प्रयोग भी है जो साहित्य को समृद्ध करेगा.....इसे कॉपी कर के रख लिया है मैंने.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-12455047502904524752011-05-21T21:29:32.247+05:302011-05-21T21:29:32.247+05:30कब तक बात करूँ मैं खुद से,
मेरा स्वर तुम साथ ले ग...कब तक बात करूँ मैं खुद से,<br />मेरा स्वर तुम साथ ले गयी,<br />जिंदा हूँ मैं सिर्फ़ इस लिये,<br />चित्रगुप्त की बही खो गयी।<br /><br />ओह, अकेलेपन की व्यथा इस गीत में मुखरित हो गई है।<br />यह गीत अनेक हृदयों के साथ तादात्म्य स्थापित करने में सक्षम है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-2272373284648617822011-05-21T15:59:46.778+05:302011-05-21T15:59:46.778+05:30दर्द बयां करती खूबसूरत रचना, आपकी लेखनी बहुत बड़ी ब...दर्द बयां करती खूबसूरत रचना, आपकी लेखनी बहुत बड़ी बात कह जाती है|संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-82759103541240841222011-05-21T15:15:10.617+05:302011-05-21T15:15:10.617+05:30जब दर्द की इन्तहा हो जाती है तब ऐसा स्वर उमड़ता है...जब दर्द की इन्तहा हो जाती है तब ऐसा स्वर उमड़ता है, मार्मिक कविता !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-2210728797436725952011-05-21T13:45:52.912+05:302011-05-21T13:45:52.912+05:30कब तक बात करूँ मैं खुद से,
मेरा स्वर तुम साथ ले गय...कब तक बात करूँ मैं खुद से,<br />मेरा स्वर तुम साथ ले गयी.<br />जिंदा हूँ मैं सिर्फ़ इस लिये,<br />चित्रगुप्त की बही खो गयी.<br /><br />अकेलेपन का दर्द बयां करती, भावपूर्ण रचना.......संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-75841532303256114342011-05-21T13:35:27.517+05:302011-05-21T13:35:27.517+05:30Bahut sundar bhaav...Bahut sundar bhaav...Mahesh Barmate "Maahi"https://www.blogger.com/profile/13000510161576828440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-67928527901779883292011-05-21T13:29:38.831+05:302011-05-21T13:29:38.831+05:30इतना दर्द मिला अपनों से,
दुश्मन से ही प्यार हो गया...इतना दर्द मिला अपनों से,<br />दुश्मन से ही प्यार हो गया.<br />मुस्कानों ने छला है इतना,<br />आँसू से इक़रार हो गया.<br /><br />शानदार रचना के लिये बधाई स्वीकारें।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com