tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post7202638458864835976..comments2024-02-12T14:29:39.696+05:30Comments on Kashish - My Poetry: सीढ़ियांKailash Sharmahttp://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-65854917324495832712015-06-06T17:47:25.278+05:302015-06-06T17:47:25.278+05:30वाह आज के प्रतिस्पर्धा युग की सबसे कटु देन ,सादर ...वाह आज के प्रतिस्पर्धा युग की सबसे कटु देन ,सादर प्रणाम आदरणीय सर जी । <br />सुनीता शर्मा 'नन्ही'https://www.blogger.com/profile/17734502488420747181noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-27540686382153155472015-04-26T14:04:38.150+05:302015-04-26T14:04:38.150+05:30सटीक प्रस्तुति सटीक प्रस्तुति Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-11226967918057912512015-04-26T13:20:48.294+05:302015-04-26T13:20:48.294+05:30आगे बढने की दौड में कितना कुछ पीछे छूट जाता है.
...आगे बढने की दौड में कितना कुछ पीछे छूट जाता है. <br /><br />सुंदर प्रस्तुति.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-52824345607558610432015-04-26T12:26:51.755+05:302015-04-26T12:26:51.755+05:30सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
मे...सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..<br />मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...JEEWANTIPShttps://www.blogger.com/profile/17470194490274952584noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-71137750983880349502015-04-24T23:35:12.222+05:302015-04-24T23:35:12.222+05:30कितना सही कहा आपने कि आगे बढ़ने ही होड़ में हम कित...कितना सही कहा आपने कि आगे बढ़ने ही होड़ में हम कितना कुछ खो देते हैं।कहकशां खानhttp://natkhatkahani.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-30172602645271539872015-04-24T19:29:31.834+05:302015-04-24T19:29:31.834+05:30यही तो विडम्बना है. लोग साथ चलना भूल गए हैं.यही तो विडम्बना है. लोग साथ चलना भूल गए हैं.Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-27115031667483899502015-04-24T16:11:23.873+05:302015-04-24T16:11:23.873+05:30आगे बढ़ने की दोड़ का शायद यही साइड इफैक्ट है सर। ...आगे बढ़ने की दोड़ का शायद यही साइड इफैक्ट है सर। आगे बढ़ेगे तो अपने छूट जाएंगे और नहीं बढ़ेगे तो अपने छोड़ जाएंगे। क्या कहते हो सर जी? आपकी कविता बहुत पसंद आई सर जी।वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-22149785702142249872015-04-24T16:11:00.117+05:302015-04-24T16:11:00.117+05:30आगे बढ़ने की दोड़ का शायद यही साइड इफैक्ट है सर। ...आगे बढ़ने की दोड़ का शायद यही साइड इफैक्ट है सर। आगे बढ़ेगे तो अपने छूट जाएंगे और नहीं बढ़ेगे तो अपने छोड़ जाएंगे। क्या कहते हो सर जी? आपकी कविता बहुत पसंद आई सर जी।वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-86016440982574553702015-04-24T15:37:24.938+05:302015-04-24T15:37:24.938+05:30 खो जाती स्वाभाविक हँसी
बनावटी मुखोटे के अन्दर,
खो... खो जाती स्वाभाविक हँसी<br />बनावटी मुखोटे के अन्दर,<br />खो जाता अन्दर का छोटा बच्चा<br />अहम् की भीड़ में।<br />और ये अंतर धीरे धीरे बढ़ता ही जाता है और जितना अंतर बढ़ता है उतना ही आदमी अकेला होता जाता है ! जब तक पीछे मुड़कर देखता है पुरानी सीढ़ियां , पुराने रिश्ते अदृश्य हो चुके होते हैं ! शानदार पंक्तियाँ आदरणीय शर्मा जी Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-32676352390885628522015-04-24T03:05:54.020+05:302015-04-24T03:05:54.020+05:30सच ही तो है। हमारे ही कितने साथी हमें छोड जाते हैं...सच ही तो है। हमारे ही कितने साथी हमें छोड जाते हैं, या हम से छूट जाते हैं। Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-75119064442461547062015-04-23T10:38:56.687+05:302015-04-23T10:38:56.687+05:30Very nice post.. & welcome to my new blog pos...Very nice post.. & welcome to my new blog postSanjuhttps://www.blogger.com/profile/00171018255400064717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-34876836786167724662015-04-23T07:15:53.323+05:302015-04-23T07:15:53.323+05:30यही होता है - लेकिन जान-समझ कर भी इंसान कुछ कर नही...यही होता है - लेकिन जान-समझ कर भी इंसान कुछ कर नहीं पाता,कैसी बेबसी1प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-89573097386802468422015-04-22T21:16:05.893+05:302015-04-22T21:16:05.893+05:30क्या खोया क्या पाया ...सुन्दर ,सटीक यथार्थ विवेचन ...क्या खोया क्या पाया ...सुन्दर ,सटीक यथार्थ विवेचन !ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-36051458749053291592015-04-22T14:50:13.396+05:302015-04-22T14:50:13.396+05:30सचमुच अकेलेपन का कारण अहम ही तो है सचमुच अकेलेपन का कारण अहम ही तो है Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-86656181282284804542015-04-22T14:46:37.491+05:302015-04-22T14:46:37.491+05:30सही कहा। इस आगे बढ़ने की दौड़ में न जाने क्या-क्या...सही कहा। इस आगे बढ़ने की दौड़ में न जाने क्या-क्या छूट चुका है।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-40095364078990088862015-04-22T13:25:08.086+05:302015-04-22T13:25:08.086+05:30खो जाती स्वाभाविक हँसी
बनावटी मुखोटे के अन्दर,
खो ...खो जाती स्वाभाविक हँसी<br />बनावटी मुखोटे के अन्दर,<br />खो जाता अन्दर का छोटा बच्चा<br />अहम् की भीड़ में।<br />बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें. Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-41014330731306000122015-04-21T15:49:16.238+05:302015-04-21T15:49:16.238+05:30भावपूर्ण.
अपने निजी आस्तित्व की खोज में
अपनत्व के ...भावपूर्ण.<br />अपने निजी आस्तित्व की खोज में<br />अपनत्व के खम्डहरों पर चलते रहे<br />बहुत देर हो जाएगी और---<br />खंडहरों के भी रेगिस्तान हो जाएगें--<br />मन के - मनकेhttps://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-37071097617868701712015-04-21T13:57:14.941+05:302015-04-21T13:57:14.941+05:30कभी कभार आगे बढ़ जाने पर वापिस लौटना नामुमकिन सा लग...कभी कभार आगे बढ़ जाने पर वापिस लौटना नामुमकिन सा लगता हैं:-(<br />अच्छी रचना सर!!Http://meraapnasapna.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/12965133373301154994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-27476066416876037072015-04-20T22:28:53.958+05:302015-04-20T22:28:53.958+05:30खो जाती स्वाभाविक हँसी
बनावटी मुखोटे के अन्दर,
खो ...खो जाती स्वाभाविक हँसी<br />बनावटी मुखोटे के अन्दर,<br />खो जाता अन्दर का छोटा बच्चा<br />अहम् की भीड़ में।<br /><br />वाह यथार्थ के करीब की अभिव्यक्ति।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-87098069974689581642015-04-20T22:28:45.938+05:302015-04-20T22:28:45.938+05:30खो जाती स्वाभाविक हँसी
बनावटी मुखोटे के अन्दर,
खो ...खो जाती स्वाभाविक हँसी<br />बनावटी मुखोटे के अन्दर,<br />खो जाता अन्दर का छोटा बच्चा<br />अहम् की भीड़ में।<br /><br />वाह यथार्थ के करीब की अभिव्यक्ति।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-8676182977622158822015-04-20T21:35:44.065+05:302015-04-20T21:35:44.065+05:30सच ही है आगर चलते चलते बहुत कुछ छूट जाता है पीछे सच ही है आगर चलते चलते बहुत कुछ छूट जाता है पीछे रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-87290374409163364822015-04-20T21:35:13.652+05:302015-04-20T21:35:13.652+05:30सच ही है आगर चलते चलते बहुत कुछ छूट जाता है पीछे सच ही है आगर चलते चलते बहुत कुछ छूट जाता है पीछे रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-60928282165777051262015-04-20T21:03:29.217+05:302015-04-20T21:03:29.217+05:30आज के आपा-धापी जीवन का जीवंत प्रस्तुतिकरण, इस सुंद...आज के आपा-धापी जीवन का जीवंत प्रस्तुतिकरण, इस सुंदर रचना पर आपको बधाईRamesh kumar chauhanhttps://www.blogger.com/profile/00086481509183214047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-23456410000590669412015-04-20T17:22:35.730+05:302015-04-20T17:22:35.730+05:30पीछा समेटते हुए आगे बढ़ना चाल को धीरे कर देता है पर...पीछा समेटते हुए आगे बढ़ना चाल को धीरे कर देता है पर रिश्तों को मजबूत ... पर आज की रेस में कोई इसे देखना नहीं चाहता ... गहरी रचना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-10148393348573167872015-04-20T15:58:17.109+05:302015-04-20T15:58:17.109+05:30बहुत सुन्दर
सीढी चढ्ते समय लोगो से व्यवहार ये सोच...बहुत सुन्दर<br /><br />सीढी चढ्ते समय लोगो से व्यवहार ये सोच कर करना चाहिये कि लौट्ते समय यही लोग रास्ते मे मिलेगेTayal meet Kavita sansarhttps://www.blogger.com/profile/17952442465975870232noreply@blogger.com