tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post9137493524825130681..comments2024-02-12T14:29:39.696+05:30Comments on Kashish - My Poetry: जीने दो सिर्फ़ एक नारी बन करKailash Sharmahttp://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-88074752421041488352011-03-16T13:24:26.610+05:302011-03-16T13:24:26.610+05:30आदरणीय कैलाश जी
नमस्कार !
इन सभी बंधनों से,
और अह...आदरणीय कैलाश जी <br />नमस्कार !<br />इन सभी बंधनों से,<br />और अहसास करने दो<br />क्या होता है<br />जीना<br />सिर्फ़ एक नारी बनकर.....<br /><br />बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई। अच्छी रचना हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-78237225075673526882011-03-11T07:31:14.278+05:302011-03-11T07:31:14.278+05:30priya sharma sahab
pranam !
pahale ...priya sharma sahab <br /> pranam !<br />pahale mafi ,der se dussahas karne ki . dusara itani bhavya kavita se rubaru hone ki / ek kalamkar ke hanthon kalmbadh kavita jarur puchhati<br />hogi sajaya kaise . wastav men dil ko angikar <br />karati prastuti. aabhar.udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-27679369688398092452011-03-11T00:45:07.541+05:302011-03-11T00:45:07.541+05:30मैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इ...मैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए लिखने का वक़्त नहीं मिला और आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी!<br />आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!<br />बहुत सुन्दर और उम्दा रचना लिखा है आपने ! बेहतरीन प्रस्तुती!<br /> आपकी लेखनी को सलाम !Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-4156365513174120702011-03-10T22:00:42.618+05:302011-03-10T22:00:42.618+05:30बहुत बढ़िया नया अंदाज़ !! शुभकामनायें !बहुत बढ़िया नया अंदाज़ !! शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-18337898582458181212011-03-10T21:12:11.415+05:302011-03-10T21:12:11.415+05:30सुन्दर कविता है ।सुन्दर कविता है ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-27626855024761955522011-03-10T16:31:38.699+05:302011-03-10T16:31:38.699+05:30Sarthak rachna.
Badhayi.
---------
पैरों तले जमीन ...Sarthak rachna.<br />Badhayi.<br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">पैरों तले जमीन खिसक जाए!</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-58415648026893612462011-03-09T06:50:37.033+05:302011-03-09T06:50:37.033+05:30mahila divas par sunder prastutikaran , badhaimahila divas par sunder prastutikaran , badhaiMinoo Bhagiahttps://www.blogger.com/profile/18351562434440592523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-37842054527489008812011-03-09T06:40:22.181+05:302011-03-09T06:40:22.181+05:30बहुत ही सुंदर कविता और बिम्ब बधाई सर |बहुत ही सुंदर कविता और बिम्ब बधाई सर |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-82897233914850431272011-03-09T00:28:45.431+05:302011-03-09T00:28:45.431+05:30मुक्त कर दो मुझे
कुछ क्षण को
इन सभी बंधनों से,
और ...मुक्त कर दो मुझे<br />कुछ क्षण को<br />इन सभी बंधनों से,<br />और अहसास करने दो<br />क्या होता है <br />जीना<br />सिर्फ़ एक नारी बनकर.....<br /><br />बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई। अच्छी रचना है ....Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-17642712213254394502011-03-08T18:15:19.852+05:302011-03-08T18:15:19.852+05:30कैलाश जी इस कविता का आरंभ होता है 'देवी' श...कैलाश जी इस कविता का आरंभ होता है 'देवी' शब्द से, और अंत में कविता विश्राम पाती है 'नारी' शब्द के साथ| बीच में सारा का सारा नारी का संसारिक अनुभव वो भी युगों युगों वाला| ये आप की गहन विचार धारा और भाव प्रवणता का सशक्त उदाहरण है| आप जैसे अग्रजों से हम लोग बहुत कुछ सिख सकते हैं|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-77660819584541119402011-03-08T17:40:54.864+05:302011-03-08T17:40:54.864+05:30आद. कैलाश जी,
क्यों थमा दी
प्रेम, ममता और त्याग
की...आद. कैलाश जी,<br />क्यों थमा दी<br />प्रेम, ममता और त्याग<br />की वैसाखियाँ<br />मेरे हाथों में,<br />होने दो मुझे भी खड़ा<br />अपने पैरों पर.<br /><br /><br />मुक्त कर दो मुझे<br />कुछ क्षण को<br />इन सभी बंधनों से,<br />और अहसास करने दो<br />क्या होता है <br />जीना<br />सिर्फ़ एक नारी बनकर.<br /><br />मैं नहीं समझता हूँ नारी पीड़ा को इस अंदाज़ में किसी ने प्रस्तुत किया है !<br />बहुत ही प्रभावशाली ! शब्द शब्द मन की संवेदना को छू गए !<br />आभारज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-67955261206935469622011-03-08T14:00:02.041+05:302011-03-08T14:00:02.041+05:30कैलाश जी ,
बहोत सुंदर रचना , बधाई स्वीकारे .
और मे...कैलाश जी ,<br />बहोत सुंदर रचना , बधाई स्वीकारे .<br />और मेरी रचना "महोब्बत ठहर जाती है" उस पर आप की टिपण्णी के लिए बहोत बहोत धन्यवाद्<br /><br />पलकPalak.phttps://www.blogger.com/profile/16511892248965500053noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-90874533993467497882011-03-08T13:19:24.750+05:302011-03-08T13:19:24.750+05:30महिला दिवस पर आपकी रचना दुबारा पढ़ी और आज लगा कि कि...महिला दिवस पर आपकी रचना दुबारा पढ़ी और आज लगा कि कितनी आत्मीयता से आपने नारी के पूरे इतिहास को खोल कर रख दिया है अतीत में बहुत जुल्म हुआ है नारी पर लेकिन अब और नहीं, हमें अपनी पहचान स्वयं निर्मित करनी होगी ! आभार!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-39262452785660400612011-03-08T10:50:56.119+05:302011-03-08T10:50:56.119+05:30क्यू थमा दी मु्झे प्रेम ममता और त्याग की बैसाखियां...क्यू थमा दी मु्झे प्रेम ममता और त्याग की बैसाखियां,<br /> मुझे भी अपने पैरों पर खड़ा होने दिजिये।<br /><br />बेहतरीन अभिव्यक्ति, ख़ूबसूरत रचना मुबारकबाद कैलाश जी।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-79983390282887465432011-03-08T08:55:13.521+05:302011-03-08T08:55:13.521+05:30बहुत सुन्दर और सच्ची कविता है
बेटी, पत्नी और माँ ...बहुत सुन्दर और सच्ची कविता है <br />बेटी, पत्नी और माँ बनकर<br />जी रही हूँ सदियों से,<br />पर नहीं जी पायी<br />एक दिन के लिए भी<br />सिर्फ़ अपने लिये<br />केवल<br />एक नारी बनकर<br /><br />सच है एक महिला सब कुछ है माँ ,बहन बेटी ,पत्नि यहां तक कि देवी बस वो एक नारी ही नहीं है <br />उस के क्षमा ,दया ,त्याग जैसे गुणों का सम्मान करने की जगह इन गुणों की आड़ ले कर उस का लाभ उठाया जाता है लेकिन इन बातों के लिये मेरी दृष्टि में पुरुष वर्ग से ज़्यादा महिला वर्ग ही ज़िम्मेदार है <br />कैलाश जी,सुंदर अभिव्यक्ति !<br />मैं तो आप के विचार से सह्मत हूंइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-56239572931477017182011-03-08T08:13:21.138+05:302011-03-08T08:13:21.138+05:30नमस्कार आपकी रचना बहुत अच्छी है । लेकिन नारी की पह...नमस्कार आपकी रचना बहुत अच्छी है । लेकिन नारी की पहचान ममता , स्नेह , करूणा ,धैर्य है । कहते हैं ब्रह्मा जी जब सृष्टि की रचना कर रहे थे तो किसी ने उनसे पूछा धरती पर भगवान कहां रहेंगें ? भगवान ने कहा मैं हर मां के दिल में रहूंगा । जब कोई मेरे दर्शन करना चाहे तो ममतामयी मां से मिल ले । <br /> आपका रसबतिया में स्वागत है शर्मा जी । अपना स्नेह बनाए रखिएगा-सर्जना शर्मा-https://www.blogger.com/profile/14905774396390857560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-47165221799632934572011-03-08T08:12:06.732+05:302011-03-08T08:12:06.732+05:30नारी ह्रदय की व्यथा कहती भावपूर्ण रचना| धन्यवाद|नारी ह्रदय की व्यथा कहती भावपूर्ण रचना| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-62208723203071367562011-03-07T21:42:41.052+05:302011-03-07T21:42:41.052+05:30मुक्त कर दो मुझे
कुछ क्षण को
इन सभी बंधनों से,
और ...मुक्त कर दो मुझे<br />कुछ क्षण को<br />इन सभी बंधनों से,<br />और अहसास करने दो<br />क्या होता है <br />जीना<br />सिर्फ़ एक नारी बनकर.<br /><br />बेहद ही खुबसुरत तरीके से आपने नारी मन की वेदना को उकेरा है।Amit Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01787361968548267283noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-50360668248902770472011-03-07T20:56:22.930+05:302011-03-07T20:56:22.930+05:30बहुत ही सुन्दर ! नारी की व्यथा का बखूबी चित्रण किय...बहुत ही सुन्दर ! नारी की व्यथा का बखूबी चित्रण किया है आपने.Arvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-11506669162828581842011-03-07T20:51:25.783+05:302011-03-07T20:51:25.783+05:30चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति...चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 08-03 - 2011<br />को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..<br /><br />http://charchamanch.uchcharan.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-79055635954766901402011-03-07T19:43:46.954+05:302011-03-07T19:43:46.954+05:30मुक्त कर दो मुझे
कुछ क्षण को
इन सभी बंधनों से,
और ...मुक्त कर दो मुझे<br />कुछ क्षण को<br />इन सभी बंधनों से,<br />और अहसास करने दो<br />क्या होता है <br />जीना<br />सिर्फ़ एक नारी बनकर.<br /><br />बहुत खूब.धीरेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/12020246777509347843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-14045093336328322122011-03-07T19:02:28.893+05:302011-03-07T19:02:28.893+05:30प्रेरित करने वाली बहुत खूबसूरत रचना है । आपका बहुत...प्रेरित करने वाली बहुत खूबसूरत रचना है । आपका बहुत बहुत आभार ।DR.ASHOK KUMARhttps://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-34312788915770372172011-03-07T18:13:03.732+05:302011-03-07T18:13:03.732+05:30मुक्त कर दो मुझे
कुछ क्षण को
इन सभी बंधनों से,
और ...मुक्त कर दो मुझे<br />कुछ क्षण को<br />इन सभी बंधनों से,<br />और अहसास करने दो<br />क्या होता है <br />जीना<br />सिर्फ़ एक नारी बनकर.<br /><br />bahut sunder...!Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)https://www.blogger.com/profile/13896147864138128006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-8296156392374701092011-03-07T16:11:06.251+05:302011-03-07T16:11:06.251+05:30बहुत सुंदर ... आपने तो नारी की हर व्यथा कथा अपनी क...बहुत सुंदर ... आपने तो नारी की हर व्यथा कथा अपनी कविता में कह दी ...Dr Xitija Singhhttps://www.blogger.com/profile/16354282922659420880noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-656664819046369289.post-63592764307268815432011-03-07T14:30:41.618+05:302011-03-07T14:30:41.618+05:30बेटी, पत्नी और माँ बनकर
जी रही है सदियों से,
और जी...बेटी, पत्नी और माँ बनकर<br />जी रही है सदियों से,<br />और जी सकती है,<br />सदियों तक<br />पर उसे कभी नगरवधू<br />तो कभी देवदासी जैसे नाम न दो... <br />नारी तो है ही त्याग, ममता और बलिदान की मूर्ती बदले में सिर्फ और सिर्फ प्रेम और आदर की चाह रखती है... नारी ह्रदय की व्यथा कहती भावपूर्ण रचना... आभारसंध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.com