नहीं फाग के स्वर
आते हैं,
ढोलक ढप हैं मौन हो
गए,
अब उत्साह नहीं है
मन में
अब होली में रंग
नहीं है.
न मिठास बाक़ी
रिश्तों में,
मिलते हैं गले अज़नबी
जैसे,
रंग गुलाल हैं पहले
ही जैसे
प्रेम पगे पर रंग
नहीं हैं.
महंगाई सुरसा सी
बढ़ती,
है गरीब की थाली
खाली,
कैसे ख़ुमार छाये
होली का
जब गिलास में भंग
नहीं है.
गुझिया का खोया
मिलावटी,
मुस्कानें बनावटी
लगतीं,
आगे बढ़ते हाथ हैं
मिलते,
दिल में पर उमंग
नहीं है.
शहरों की सडकों पर
टेसू
पैरों तले हैं कुचले
जाते,
काले पीले चेहरे के
रंग में
भौजी का वह रंग नहीं
है.
एक बार लौट सकें
पीछे
एक बार वह होली
पायें,
ख़्वाब कहाँ हो सकते
पूरे
अब वे साथी संग नहीं
हैं.
*****होली की हार्दिक शुभकामनायें*****
कैलाश शर्मा
सच है आज के वर्तमान हालातों में कोई भी रंग सच्चा नहीं है हर चीज़ में मिलावट है चाहें रिश्ते हों या रंग पकवान हो या भंग, काश पहले वाला माहौल आज भी कायम होता तो होली का मज़ा ही कुछ और होता।
ReplyDeleteफिर भी एक परंपरा के रूप में ही सही होली तो मानना ही है शायद अपने ही प्रयास से फिर एक बार वो रिश्तों की मिठास लौट आए। इसलिए हमारी ओर से आपको एवं आपके सम्पूर्ण परिवार को होली की ढेर सारी अनेका अनेक हार्दिक शुभकामनायें।
शहरों की सडकों पर टेसू
ReplyDeleteपैरों तले हैं कुचले जाते,
काले पीले चेहरे के रंग में
भौजी का वह रंग नहीं है.........बहुत मर्मपरक।
एक बार लौट सकें पीछे
एक बार वह होली पायें,
ख़्वाब कहाँ हो सकते पूरे
अब वे साथी संग नहीं हैं.............बहुत ही अपना सा दर्द भाव लिए हुए पंक्तियां, आशा है आपकी कामना पूर्ण हो। होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
बहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति,होली की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteउम्दा, हाँ, किसी के लिए मृत्यु का अहसान है और किसी के लिए मृत्यु पर अहसान है। खैर, मंगलमय होली की हार्दिक शुभकामनाए !
ReplyDeleteरंग नहीं है, स्वाद नहीं है,
ReplyDeleteदिन तो आया, फाग नहीं है।
संवेदनशील ...
ReplyDeleteत्योहारों का मलतब खुशी है ओर अगर वो नज़र न आए तो स्वाभाविक है ऐसी सोच ...
परिवार सहित होली मुबारक हो !
ReplyDeleteस्वस्थ रहें!
सबसे पहले... "आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!" :-)
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात लिखी है आपने! बहुत दुख होता है ये सब देखकर...! वो बचपन वाली होली जाने कहाँ खो गयी...:(
मगर एक बात कहना चाहेंगे सर......माना आज सबकुछ ग़लत हो रहा है....मगर फिर भी, कोई ना कोई वजह तो होगी....जिसको सोचकर आप मुस्कुरा सकते हैं! तो मुस्कुराइये.....कि होली का माहौल है! अपने आस-पास सभी लोग खुश हैं!:-)
~सादर!!!
सहमत हूँ !!
Deleteमाँ होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें !!
होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें !!
ReplyDeleteशहरों की सडकों पर टेसू
ReplyDeleteपैरों तले हैं कुचले जाते,
काले पीले चेहरे के रंग में
भौजी का वह रंग नहीं है.....sacchi bat...
शिकवा शिकायत को छोड़िये
ReplyDeleteहोली पर दिलों को जोड़िए
होली की आपको भी शुभकामनाएँ...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
ReplyDeleteहोली का रंग अनेक : होली की शुभकामनाएं
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामंनाएँ!
सुंदर भावपूर्ण
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
होली की शुभकामनायें
बहुत उम्दा रचना,,आपने सच कहा कि होली में पहले जैसा उत्साह नही रहा सब बनावटी सा लगता है..
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post : होली में.
इतना सब कुछ होने के बाद भी ....एक उम्मीद बाकि है ......होली की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसच कहा आपने , फिर भी त्योहार पास आते-आते मान मे उमंग तो आ ही जाती है ...होली मुबारक आपको
ReplyDeleteहोली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें ! बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना ! सच में त्यौहारों का मनाया जाना बस एक सतही रस्म अदायगी सा ही रह गया है ! ना मन में उमंग होती है ना बाहर कुछ सच्चा सा लगता है !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना .....शुभकामनायें आपको भी
ReplyDeleteबच्चे कुंठित न हो जायें मुक्त मन से होली खेल सकें- होली ज़रूर मनायें !
ReplyDeleteरंगों के त्यौहार होली की ढेरों शुभकामनायें......सादर
ReplyDeleteबहुत ही भाव पूर्ण सृजन ...होली की हार्दिक शुभकामनयें .......
ReplyDeleteबहुत उम्दा | आपको होली की बहुत बहुत हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteरंगों का पर्व आपकी खुशियों को हज़ार गुना कर दे, होली की शुभ कामनाएं
ReplyDeleteआगे बढ़ते हाथ हैं मिलते,
ReplyDeleteदिल में पर उमंग नहीं है.
सुन्दर भाव पूर्ण रचना सच ही है ,कहाँ अब वोह होली ,तुकबंदी में कहना चाहूँगा
.न तो है वोह फाग
,है भी तो नहीं कोई राग
,न कोई रहा अब उन्माद,
है जिनमे वे करते हैं बस फसाद.
your writings speak out the truth that is hidden & you write it so well with ur a words of hues to open a million minds....Happiest Holi Wishes Kailash sharmaji..GOD<3U
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति......अब हर जगह यही हाल है अपने शहरों से दूर महानगरों में सब ऐसे ही है अब तो औपचारिकता मात्र ........होली की हार्दिक शुभकामनायें।
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ReplyDeleteदो-चार दिन ही सही इसी बहाने खुश हो लेते हैं सभी ..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ......
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कुछ कमी तो बचपन के पीछे छूट जाने की वजह से भी है ...कविता बढ़िया लगी ..
ReplyDeleteसही कहा है आपने इस मिलावटी और बनावटी दुनिया में वह पहले जैसा रंग कहाँ... होली की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteगुझिया का खोया मिलावटी,
ReplyDeleteमुस्कानें बनावटी लगतीं,
आगे बढ़ते हाथ हैं मिलते,
दिल में पर उमंग नहीं है.
सही कहा है आपने !!
होली की बहुत बहुत मुबारक
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अब की होली
मैं जोगन तेरी होली !!
sach kaha apne.....holi ki shubhkamnayein
ReplyDeleteबहुत सुंदर यथार्थवादी अभिव्यक्ति ,सादर नमस्कार भाईसाहब !होली की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति । आपको और आपके पूरे परिवार को रंगों के त्योहार होली की शुभ कामनाएँ
ReplyDeleteबहुत बढिया रचना, शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteअप्रतिम! बहुत सुन्दर ढंग से आपने आज की होली की सच्चाई को रेखांकित किया है।
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