Kashish - My Poetry
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Wednesday, October 23, 2019
जीवन यात्रा
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कितनी दूर चला आया हूँ , कितनी दूर अभी है जाना। राह है लंबी या ये जीवन , नहीं अभी तक मैंने जाना। नहीं किसी ने राह सुझाई , भ्रमित...
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Saturday, September 21, 2019
चादर सन्नाटे की
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चारों ओर पसरा है सन्नाटा मौन है श्वासों का शोर भी , उघाड़ कर चाहता फेंक देना चीख कर चादर मौन की, लेकिन अंतस का सूनापन खींच कर ...
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Thursday, August 08, 2019
क्षणिकाएं
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बन न पाया पुल शब्दों का , भ्रमित नौका अहसासों की मौन के समंदर में , खड़े है आज भी अज़नबी से अपने अपने किनारे पर। **** अनछुआ...
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Saturday, July 06, 2019
मेरी जीवन अभिलाषा हो
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तुम संबल हो , तुम आशा हो , तुम जीवन की परिभाषा हो। शब्दों का कुछ अर्थ न होता , उन से जुड़ के तुम भाषा हो। जब भी गहन अँधेरा छा...
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Wednesday, June 05, 2019
जीवन ऐसे ही चलता है
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कुछ घटता है , कुछ बढ़ता है , जीवन ऐसे ही चलता है। इक जैसा ज़ब रहता हर दिन , नीरस कितना सब रहता है। मन के अंदर है जब झांका , ...
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Friday, May 03, 2019
क्षणिकाएं
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गीला कर गया आँगन फिर से , सह न पाया बोझ अश्क़ों का , बरस गया। **** बहुत भारी है बोझ अनकहे शब्दों का , ख्वाहिशों की लाश की ...
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Wednesday, April 17, 2019
बेटियां
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यादों में जब भी हैं आती बेटियां , आँखों को नम हैं कर जाती बेटियां। आती हैं स्वप्न में बन के ज़िंदगी , दिन होते ही हैं गुम जाती ब...
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