गुम हो गये हैं शब्द
जीवन के कोलाहल में,
बैठे हैं मौन
तकते एक दूजे को,
कहने को बहुत कुछ
एक दूसरे की नज़रों में
पर नहीं चाहते तोड़ना
मौन अहसासों का,
छुपाते एक दूसरे से
जीवन के कोलाहल में,
बैठे हैं मौन
तकते एक दूजे को,
कहने को बहुत कुछ
एक दूसरे की नज़रों में
पर नहीं चाहते तोड़ना
मौन अहसासों का,
छुपाते एक दूसरे से
दर्द अंतस का,
अश्क़ आँखों के,
भय अकेलेपन के भविष्य का।
अश्क़ आँखों के,
भय अकेलेपन के भविष्य का।
अहसास होने या न होने का
हो जाता और भी गहन
एक दूजे के मन में
जीवन के सूनेपन में।
हो जाता और भी गहन
एक दूजे के मन में
जीवन के सूनेपन में।
....कैलाश शर्मा
ये स्थिति सर्वव्यापी हो गई है। आपने इस स्थिति को शब्द देकर इस पर सोचने-विचारने का अवसर प्रदान किया है। गहन अनुभूति है जीवन की दुखदायी मीमांसा का इस सूनेपन में।
ReplyDeleteएकान्त का पीड़ासित शब्दचित्र।
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeletebahut sundar rachna hardik badhai
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeletebahut sundar rachna hardik badhai aapko kailash ji
ReplyDeleteशिथिल मन नीरवता नहीं तोड़ पता ....उदासी घेर लेती है तब ...!!
ReplyDeleteसुंदर रचना ...!!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन 7 फरवरी वर्षगांठ और वैवाहिक वर्षगांठ सब एक साथ मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteमन का जुड़ाव किसी के न होने के अहसास को बहुत गहरा बना देता है ....सच है
ReplyDeleteइस दौड़ भाग ज़माने में अपनी जिंदगी कहीं खो सी गयी है .....बोलना बहुतकुछ चाह कर भी बोल नहीं पाते.... सही शब्दों के साथ सूनापन चित्रित ..... बहुत सुंदर ....!!
ReplyDeleteएक ऐसी स्थिति जिससे शायद सबको गुजरना होता है . आपने इसे एक प्रवाह में बाँध कर सुन्दर रचना रूप दे दिया है.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteदर्द अंतस का भय भविष्य के अकेलेपन का।।।।।.......
ReplyDeleteमार्मिक।
गुम हो गये हैं शब्द
ReplyDeleteजीवन के कोलाहल में,
बैठे हैं मौन... ek duje ko nhi bs akele ka sunapn jhelte.....
bahut khub kailash....
बहुत ही सुन्दर अभिवयक्ति..
ReplyDeleteक्या बात है...
ReplyDeleteअहसास होने या न होने का
ReplyDeleteहो जाता और भी गहन
एक दूजे के मन में
जीवन के सूनेपन में....behatareen par man thoda udaas ho gaya
आप तथा सभी मित्रों को वसंत-मॉस की हृदयात मधुर वधाइयां ! सब को चहेतों से मीठा मीठा प्यार मिओलता रहे !
ReplyDeleteअच्छे भावात्मक प्रस्तुतीकरण हेतु वधाई !
बहुत सुंदर भावनाएं और शब्द भी.
ReplyDeleteभय अकेलेपन के भविष्य का उन्हें आज भी मौन किये है … गहन भाव
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteमौन अहसास बहुत कुछ कहते हैं ! शुभकामनायें
ReplyDeleteअहसास होने या न होने का
ReplyDeleteहो जाता और भी गहन
एक दूजे के मन में
जीवन के सूनेपन में।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
बहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteमौन ....यादों का सफ़र ..
ReplyDeleteशुभकामनायें!
sach ko bayan karti post .aabhar
ReplyDeleteअहसास होने या न होने का
ReplyDeleteहो जाता और भी गहन
एक दूजे के मन में
जीवन के सूनेपन में।
..............बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
मौन को मुखरित करती सुन्दर रचना |
ReplyDeleteउदासी को बड़ी शिद्दत के साथ परिभाषित किया है रचना में ! बहुत ही गहन एवँ प्रभावशाली प्रस्तुति !
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