Kashish - My Poetry
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Saturday, September 24, 2016
संवेदनहीनता
दफ्न हैं अहसास
मृत हैं संवेदनाएं,
घायल इंसानियत
ले रही अंतिम सांस
सड़क के किनारे,
गुज़र जाता बुत सा आदमी
मौन करीब से.
नहीं है अंतर गरीब या अमीर में
संवेदनहीनता की कसौटी पर.
...
©कैलाश शर्मा
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