दर्द जिसकी दवा नहीं होती,
ज़िंदगी फ़िर सजा नहीं होती।
चाँद आगोश में छुपा जब हो,
नींद भी नींद है नहीं होती।
ज़िंदगी साथ में गुज़र पाती,
चाँद की चांदनी नहीं रोती।
कुछ तो कह कर जो गये होते,
तस्कीने दिल कुछ हुई होती।
दर्द हर दिल का बाशिंदा है,
दर्द बिन ज़िंदगी नहीं होती।
...©कैलाश शर्मा