Pages

Thursday, March 22, 2018

ज़िंदगी


जग में जब सुनिश्चित
केवल जन्म और मृत्यु
क्यों कर देते विस्मृत
आदि और अंत को,
हो जाते लिप्त
अंतराल में 
केवल उन कृत्यों में 
जो देते क्षणिक सुख
और भूल जाते उद्देश्य 
इस जग में आने का।


बहुत है अंतर ज़िंदगी गुज़ारने
और ज़िंदगी जीने में,
रह जाती अनज़ान ज़िंदगी 
कभी जी कर भी वर्षों तक,
कभी जी लेते भरपूर ज़िंदगी 
केवल एक पल में।


...©कैलाश शर्मा