जग में जब सुनिश्चित
केवल जन्म और मृत्यु
क्यों कर देते विस्मृत
आदि और अंत को,
हो जाते लिप्त
केवल जन्म और मृत्यु
क्यों कर देते विस्मृत
आदि और अंत को,
हो जाते लिप्त
अंतराल में
केवल उन कृत्यों में
जो देते क्षणिक सुख
और भूल जाते उद्देश्य
इस जग में आने का।
केवल उन कृत्यों में
जो देते क्षणिक सुख
और भूल जाते उद्देश्य
इस जग में आने का।
बहुत है अंतर ज़िंदगी गुज़ारने
और ज़िंदगी जीने में,
और ज़िंदगी जीने में,
कभी जी कर भी वर्षों तक,
कभी जी लेते भरपूर ज़िंदगी
केवल एक पल में।
...©कैलाश शर्मा