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Tuesday, July 13, 2010

आयेगा कहाँ से गाँधी


हिन्दू भी यहाँ है , मुस्लिम भी यहाँ है,
हर धर्म के अनुयायी की पहचान यहाँ है.
मंदिर मैं मिले हिन्दू,मस्जिद मैं मुसल्मन थे,
वह घर मिला मुझको, इन्सान जहाँ है.


बच्चा जो हुआ पैदा, हिन्दू था मुस्लिम था,
संयोग है बस इतना,घर हिन्दू था या मुस्लिम था.
एक रंग था माटी का, बचपन था जहाँ बीता,
यह भेद हुआ फिर कब, यह हिन्दू था वह मुस्लिम था.


तलवार या खंजर का, कोई धर्म नहीं होता,
बहता है जो सडकों पर वह सिर्फ लहू होता.
हिन्दू का या मुस्लिम का,जलता है जो घर,घर है,
उठती हुई लपटों, मैं कुछ फर्क नहीं होता.


नफरत की इस आंधी को अब कौन सुलायेगा,
कट्टरता की यह होली कब प्रह्लाद बुझाएगा,
क्या मज़हबी दानव को गाँधी का लहू कम था,
आयेगा कहाँ से गाँधी, जब भी वह लहू मांगेगा.


16 comments:

  1. Very true, We all are Hindus, Muslims etc. Probably none of us is an Indian.
    Well written.

    Uday Mohan

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  2. हिन्दू का या मुस्लिम का,जलता है जो घर,घर है,
    उठती हुई लपटों, मैं कुछ फर्क नहीं होता

    बिल्कुल सही लिखा है ...बहुत अच्छी रचना

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  3. गाँधी अपने भीतर होता है. उसे जगाना पड़ता है. इंसानियत लहूलुहान होती है तो गाँधी को हम याद कर लेते हैं. सुंदर रचना.

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  4. बच्चा जो हुआ पैदा, हिन्दू था न मुस्लिम था,
    संयोग है बस इतना,घर हिन्दू था या मुस्लिम था.

    बहुत सही बात कही है सर जी

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  5. कितना सही कहा है आपने.
    बहुत सुन्दर रचना.

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  6. अन्तर की पीड़ा शब्दों में ढल गये....
    सुन्दर रचना...
    सादर....

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  7. शोचनीय प्रश्न है पर कहाँ मानता है इंसान ..इसलिए बन बैठा है हैवान....इंसान से इंसान का भेद ..जमीन से जमीन का भेद ..
    धर्म को मनुष्यता में नहीं आतंकित करने का साधन बनाते ये लोग
    ..किस धर्म के हैं...क्योंकि इंसान को मिटाने का तों कोई भी धर्म नहीं होता....बहुत ही भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ..सादर शुभ कामनायें !!

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  8. तलवार या खंजर का, कोई धर्म नहीं होता,
    बहता है जो सडकों पर वह सिर्फ लहू होता.
    हिन्दू का या मुस्लिम का,जलता है जो घर,घर है,
    उठती हुई लपटों, मैं कुछ फर्क नहीं होता.

    बहुत ही सशक्त एवं सार्थक रचना है कैलाश जी ! कविता के हर जज्बे से सहमत हूँ मैं भी !

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  9. खून बहाने वालों का कहाँ कोई ईमान

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  11. इंसानियत के समान तत्वों को तलाशती रचना .एकता से प्रेरित मानव मात्र के धर्म की जो नींव है .

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  12. बच्चा जो हुआ पैदा, हिन्दू था न मुस्लिम था,
    संयोग है बस इतना,घर हिन्दू था या मुस्लिम था............

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  13. नमन आदरणीय सर 🙏😔🙏😔🙏🙏🙏

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  14. सादर नमन🙏🙏🙏🙏
    लाजवाब सृजन

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