रंग खिले चहुँ और प्रकृति में
सब कहते आया वसंत है.
बोझ सिरों पर जब जीवन का,
उनको कैसा, क्या वसंत है.
मन में हो अल्हाद नहीं जब, कैसे कहूँ मनायें होली.
एक तरफ़ दौलत की लाली,
इधर है चहरों पर पीलापन.
उधर गूँजते गीत फाग के,
इधर झोंपड़ी में सूनापन.
घोर निराशा जब आँखों में, कैसे कहूँ मनायें होली.
चुरा लिया है जब फूलों से
भ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
रंग नहीं जीवन में हो जब, कैसे कहूँ मनायें होली.
एक तरफ दौलत की लाली
ReplyDeleteइधर है चेहरों पर पीलापन
उधर गूंजते गीत फाग के
इधर झोपडी में सूनापन
घोर निराशा जब आँखों में ,कैसे कहूं मनायें होली |
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आम और ख़ास के बीच की खाई के कारण उपजी विसंगति को उजागर करता हुआ आपका भावपूर्ण , मानवीय संवेदनाओं का सार्थक होली गीत ह्रदय पर दस्तक देने में पूर्ण समर्थ है |
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होली पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ...
एक तरफ़ दौलत की लाली,
ReplyDeleteइधर है चहरों पर पीलापन.
उधर गूँजते गीत फाग के,
इधर झोंपड़ी में सूनापन
जन जन की बात कह दी आपने.
होली या किसी भी त्यौहार की महत्ता तभी है समाज का हर एक व्यक्ति उस खुशी को दिल से महसूस करे.
सादर
चुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
रंग नहीं जीवन में हो जब, कैसे कहूँ मनायें होली.
गीत सामयिक भी है और वर्तमान परिस्थियों को बाखूबी रेखांकित भी कर रहा है. मुझे बहुत प्यारा लगा.
निराशा है , मगर दूर हो ...
ReplyDeleteयही दुआ कर सकते हैं ...
वर्तमान परिस्थितयों के मद्देनजर सटीक कविता !
आज के समय के कटु सत्य का सटीक चित्रण !
ReplyDeleteयशवन्त जी की बातों से पूर्णत:सहमत । जब सब मना सकें तभी त्योहार आने चाहिये ,अन्यथा अपराध बोध होता है ...
चुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
रंग नहीं जीवन में हो जब, कैसे कहूँ मनायें होली.
आज के सत्य को कहती अच्छी रचना ...पर होली तो मना ही लीजिए
इन रंगों का शोर सुने वे, इतना हो,
ReplyDeleteहम भी देखें दमखम उनमें जितना हो।
कविता में व्यक्त आपकी संवेदनशीलता को नमन । जब घर-घर खुशहाली हो तभी त्योहारों का पूर्ण आनंद है।
ReplyDeleteजीवन की विसंगतियों का बेहतरीन चित्रण किया है आपने । आभार...
ReplyDeleteब्लागराग : क्या मैं खुश हो सकता हूँ ?
अरे... रे... आकस्मिक आक्रमण होली का !
चुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
रंग नहीं जीवन में हो जब, कैसे कहूँ मनायें होली.
वर्तमान परिस्थियों को बखूबी रेखांकित किया है आपने अपनी रचना में , प्रभावशाली रचना ... होली की हार्दिक शुभकामनायें ...
आद. कैलाश जी,
ReplyDeleteएक तरफ़ दौलत की लाली,
इधर है चहरों पर पीलापन.
उधर गूँजते गीत फाग के,
इधर झोंपड़ी में सूनापन.
घोर निराशा जब आँखों में, कैसे कहूँ मनायें होली.
आज आपने यथार्थ की होली खेलने पर मजबूर कर दिया !
शुभकामनाएँ !
होली की शुभकामनाये
ReplyDeleteमजेदार । गुझिया अनरसे जैसा ।
ReplyDeleteकैलाश जी आपको होली की शुभकामनायें ।
कृपया इसी टिप्पणी के प्रोफ़ायल से मेरा ब्लाग
सत्यकीखोज देखें ।
happy holi ''''''
ReplyDeletesunder rachna
वर्तमान परिस्थितयों के मद्देनजर सटीक कविता|
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाये|
bhavmayi uchastariya kavya ,bahut sundar . hol ki bahut -2 badhayiyan .
ReplyDeleteआपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
ReplyDeletehttp://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html
एक तरफ़ दौलत की लाली,
ReplyDeleteइधर है चहरों पर पीलापन.
उधर गूँजते गीत फाग के,
इधर झोंपड़ी में सूनापन
सुंदर ...अर्थपूर्ण... प्रासंगिक विचार... बेहतरीन कविता
चुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
रंग नहीं जीवन में हो जब, कैसे कहूँ मनायें होली.
Ye sach hai...phirbhee ham tyohaar manate hain....shayad in teej tyoharon se yatharth kee vedana kuchh kam ho jatee hogee!
आज की सच्चाई को बयां करती हुई रचना , बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteयथार्थ को दर्शित करती सुंदर अभिव्यक्ति ,जिसमे आक्रोशित मन का करुण क्रंदन सुनाई पड़ रहा है .आपको और सभी ब्लोगर जन को होली की हार्दिक शुभ कामनाएँ.
ReplyDeleteमेरी पोस्ट 'ऐसी वाणी बोलिए'पर आपका इन्तजार है ,कृपया अपने अमूल्य विचारों से अनुग्रहित करें.
कैलाश जी , क्या खूब कहा है आपने . बिलकुल आज की सच्ची सच्चाई आपने बयाँ कर दी . सुंदर प्रस्तुति. होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteचुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
अब इनकी होली भी बदरंग होने का समय आ गया है. पाप का घड़ा कभी तो फूटेगा. सुंदर सच्ची प्रस्तुति.
होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
चुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
सही कहा आपने।
यथार्थवादी कविता, फिर भी होली तो होली ही है न !
ReplyDeleteआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (19.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
उत्सव हमेशा नयी शक्ति और आत्मविश्वास देते हैं. उत्सव केवल उमंग नहीं बल्कि उर्जा भी हैं. जीवन के दोनों कोणों के संतुलन में होली का चित्रांकन खूबसूरत है. होली की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteएक तरफ़ दौलत की लाली,
ReplyDeleteइधर है चहरों पर पीलापन.
उधर गूँजते गीत फाग के,
इधर झोंपड़ी में सूनापन.
घोर निराशा जब आँखों में, कैसे कहूँ मनायें होली.....
वर्तमान का यथार्थ है आपकी कविता में ....
रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !
चुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
रंग नहीं जीवन में हो जब, कैसे कहूँ मनायें होली.
bahut khoob ....!!
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteसादर
होली के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआशा
चुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
रंग नहीं जीवन में हो जब, कैसे कहूँ मनायें होली
एकदम सटीक शर्मा साहब !
आपको भी होली की ढेरों शुभकामनाये !
कमाल की रचना। बहुत मनभावन लगा। और चिंता भी जायज़ है।
ReplyDeleteहैप्पी होली!
आपको होली पर हार्दिक शुभकामनायें भाई जी !
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
ReplyDeleteआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
यथार्थ का संवेदनशील चित्रण्………………आपको और आपके पूरे परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteचिंता जायज है ,अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteसुरक्षित , शांतिपूर्ण और प्यार तथा उमंग में डूबी हुई होली की सतरंगी शुभकामनायें ।
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteसादर
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर आपके आने का बहुत बहुत आभार.
ReplyDeleteआपको और आपके समस्त परिवार को होली की हार्दिक शुभ कामनायें.
होली की शुभकामनायें....
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteएक तरफ़ दौलत की लाली,
ReplyDeleteइधर है चहरों पर पीलापन.
उधर गूँजते गीत फाग के,
इधर झोंपड़ी में सूनापन...
बहुत सही कहा है आपने ... आज के माहोल को परख कर लिखा है ...
पर शायद ऐसी बातों को भुलाने ले लिए ही तो है होली का त्योहार ......
आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....
नेह और अपनेपन के
ReplyDeleteइंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
aapko Holi parv ki hardik shubhkamnayen .
ReplyDeleteप्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
ReplyDelete==========================
देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteचुरा लिया है जब फूलों से
ReplyDeleteभ्रष्ट राजनेताओं ने रंग सारा.
स्वप्न बंद हैं स्विस बैंकों में,
बचा नयन में बस जल खारा.
रंग नहीं जीवन में हो जब, कैसे कहूँ मनायें होली.
बहुत सुंदर रचना आपको होली पर्व की बधाई हो
आदरणीय कैलाश जी भाई साहब
ReplyDeleteसादर नमन !
एक तरफ़ दौलत की लाली,
इधर है चहरों पर पीलापन.
उधर गूँजते गीत फाग के,
इधर झोंपड़ी में सूनापन.
घोर निराशा जब आँखों में, कैसे कहूँ मनायें होली.
आपकी मानवीय संवेदनाएं प्रशंसनीय हैं …
आपकी लेखनी धन्य है …
हार्दिक बधाई !
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
रंगदें हरी वसुंधरा , केशरिया आकाश !
इन्द्रधनुषिया मन रंगें , होंठ रंगें मृदुहास !!
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आज का यथार्थ यही है।
ReplyDeleteचिंतन के लिए उकसाती हुई रचना।
होली पर्व की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं।
Behad Umda...lajawab...
ReplyDeletemujhe bhi aaj kal likhne ka marz hua hai...to holi pechaar panktiyan likhin thi..
आया कलयुग मानस के अब ह्रदय में होलिका रहती है
ले गोद में बालक प्यारे को,अग्नि वेदी पे जा बैठी है
उठ जा मानुस,प्रेम सहित हरी के नाम को कर ले याद
तभी दहन होगी ये होलिका,तभी बचेंगे भक्त प्रहलाद
kahiyega kaisi lagi...
हर छन्द अपने आप में सम्पूर्ण व एक गहरा भाव लिये है.
ReplyDeleteAaj ki visangtiyon ka yatharth chitran . ...sashakt rachana...shubhkamna..
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