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Thursday, August 25, 2011

मैं भी अन्ना, तुम भी अन्ना

बेहतर होगा
पहनना काले कपडे 
नेताओं को,
छुपे रहेंगे दाग
उसमें आसानी से.


                ******

भ्रष्टाचार बसा है जिनकी नस नस में,
दूर करेंगे वह इसको, यह आस व्यर्थ है.
कौन बनाता फांसी फंदा अपने हाथों से, 
बनें भेड़िया शाकाहारी,यह आस व्यर्थ है.

                ******

जन जन की आवाज़ न खाली जायेगी,
निकल चुकी शमशीर न वापिस जायेगी.
मत भूलो की तुम जनता के सेवक हो,
सत्ता गरूर को जनता धूल चटायेगी.

                ******

मैं भी अन्ना, तुम भी अन्ना,
नहीं सिर्फ़ एक नाम है अन्ना.
हर आँखों के सपने हैं अन्ना,
जन जन की आवाज़ है अन्ना.
          

39 comments:

  1. बहुत सही आह्वान्…………बिल्कुल सही कह रहे है आप

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  2. आह्वान् करती... सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...

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  3. देश को दीमक की तरह चाटता भ्रष्टाचार।

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  4. अनुनाद करती हुई प्रभावी रचनाएँ..

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  5. शुक्रवार --चर्चा मंच :

    चर्चा में खर्चा नहीं, घूमो चर्चा - मंच ||
    रचना प्यारी आपकी, परखें प्यारे पञ्च ||

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  6. प्रेरणादायी पंक्तियाँ ! काश देश के सत्ताधारियों को जनता की आवाज सुनाई दे और इस हालात से देश जल्दी उबर जाये.

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  7. वाह! कैलाश जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
    आपकी सुन्दर ओजपूर्ण
    प्रस्तुति से हार्दिक आनंद हुआ है.
    आभार.

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  8. बिल्कुल सही कहा है ... फंसी का फंदा कौन बनाएगा ... सारे मुक्तक अच्छे और सटीक हैं

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  9. मैं भी अन्ना, तुम भी अन्ना,
    नहीं सिर्फ़ एक नाम है अन्ना.
    हर आँखों के सपने हैं अन्ना,
    जन जन की आवाज़ है अन्ना.
    ...laajawab!

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  10. हर आँखों के सपने हैं अन्ना,
    जन जन की आवाज़ है अन्ना....

    Very well said Kailash ji.

    .

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  11. मैं भी अन्ना, तुम भी अन्ना,
    नहीं सिर्फ़ एक नाम है अन्ना.
    हर आँखों के सपने हैं अन्ना,
    जन जन की आवाज़ है अन्ना....
    सुन्दर...ओजपूर्ण प्रस्तुति !

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  12. बहुत सुन्दर ओजपूर्ण प्रस्तुति...
    आभार...

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  13. बहुत सुंदर, जय हिन्द ।

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  14. सुन्दर अभिव्यक्ति.शुभकामनायें .

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  15. आज का सच लिखा है आपने ... आज सभी अन्ना बने हुवे हैं ... देखने कब तक परीक्षा लेगी ये सरकार ....

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  16. सुन्दर ओजपूर्ण प्रस्तुति.......

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  17. बहुत ही सुन्दर रचना
    हमें अन्ना जी के साथ जरुर चलना चाहिए .....

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  18. मैं भी अन्ना, तुम भी अन्ना,
    नहीं सिर्फ़ एक नाम है अन्ना.
    हर आँखों के सपने हैं अन्ना,
    जन जन की आवाज़ है अन्ना.
    bahut sahi kaha aapne..is ojpoorn rachna ke liyae badhai.....

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  19. मैं भी अन्ना, तुम भी अन्ना,
    नहीं सिर्फ़ एक नाम है अन्ना.
    हर आँखों के सपने हैं अन्ना,
    जन जन की आवाज़ है अन्ना.

    अन्ना ने अनशन समाप्त कर दिया....लेकिन ....

    जन जन की आवाज़ न खाली जायेगी,
    निकल चुकी शमशीर न वापिस जायेगी.
    मत भूलो की तुम जनता के सेवक हो,
    सत्ता गरूर को जनता धूल चटायेगी.

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  20. जन जन की आवाज़ न खाली जायेगी,
    निकल चुकी शमशीर न वापिस जायेगी.
    मत भूलो की तुम जनता के सेवक हो,
    सत्ता गरूर को जनता धूल चटायेगी.
    Bahut badhiya!

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  21. सुन्दर रचना।
    इंकलाब जिन्दाबाद।

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  22. आह्वान् करती... सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति.
    जिन्दाबाद..

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  23. Anna hi Anna :)
    Well crafted... very witty

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  24. यह सिर्फ़ एक नाम नहीं है। यह सिर्फ़ एक नारा नहीं है।
    एक क्रांति है। एक विश्वास है। एक आस्था है। लोगों की आकांक्षा है।

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  25. भ्रष्टाचार बसा है जिनकी नस नस में,
    दूर करेंगे वह इसको, यह आस व्यर्थ है.
    कौन बनाता फांसी फंदा अपने हाथों से,
    बनें भेड़िया शाकाहारी,यह आस व्यर्थ है.

    बिलकुल खरी खरी सच्ची बात कह दी है आपने ! महीनों से लोकपाल बिल पर जो इतना बेनतीजा विमर्श हो रहा है उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ यही मानसिकता काम कर रही है ! बहुत ही बेहतरीन रचनाएं हैं सारी ! बधाई एवं आभार !

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  26. भ्रष्टाचार बसा है जिनकी नस नस में,
    दूर करेंगे वह इसको, यह आस व्यर्थ है.
    कौन बनाता फांसी फंदा अपने हाथों से,
    बनें भेड़िया शाकाहारी,यह आस व्यर्थ है.
    बड़े मार्मिक शब्दों ,से सजी यथार्थ परक उद्वेलित करती रचना को सम्मान ........ बधाईयाँ जी /

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  27. श्रेष्ठ रचनाओं में से एक ||
    बधाई ||

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  28. सुन्दर ओजपूर्ण प्रस्तुति.......

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  29. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  30. जन जन की आवाज़ न खाली जायेगी,
    निकल चुकी शमशीर न वापिस जायेगी.
    मत भूलो की तुम जनता के सेवक हो,
    सत्ता गरूर को जनता धूल चटायेगी.
    ...वाह!

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  31. वाह,एकदम अन्नामय हो गया वातावरण.

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  32. जन जन की आवाज़ न खाली जायेगी,
    निकल चुकी शमशीर न वापिस जायेगी....

    बहुत सुन्दर... सर
    सादर...

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  33. सुन्दर और सार्थक आह्वान्.........

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  34. "बेहतर होगा
    पहनना काले कपडे
    नेताओं को,
    छुपे रहेंगे दाग
    उसमें आसानी से."

    क्या बात है !

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  35. Sabhee muktak achche. par ye wala Janjan kee awaj hai Anna ekdam samayik hai.

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  36. जहां देखो वहीं है अन्ना
    जनता काफी जागरूक हो गई है इस बार तो

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  37. अन्ना जन-जन की आवाज हैं।
    उन्होने आधा युद्ध जीत लिया है।
    शुभकामनाएं।

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