चाँद छुप जाओ बादलों में अभी,
कहीं ज़माने की तुम्हें नज़र न लगे।
प्यार का अर्थ कहाँ समझा है इस दुनियाँ ने,
पाक़ दामन में भी है दाग लगा कर छोड़ा।
ज़िस्म के रिश्ते को ही बस प्यार समझते ये हैं,
रूह के रिश्तों को कभी प्यार से नहीं जोड़ा।
अभी न लाओ अधर पर दिल की बातें,
कहीं ज़माने को यह न गुनाह लगे।
जाति, मज़हब के लिए खून बहा सकते हैं,
प्यार के साथ को न हाथ बढ़ाता कोई।
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
दंगों में जली बस्ती न बनाता कोई।
चलो आज और नयी डगर ढूंढें,
मंज़िलों का किसी को पता न लगे।
मूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
चलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो।
क़दम न रोकें जहां ज़ंजीर झूठे रिश्तों की,
जहां न प्यार की किस्मत में बस नसीहत हो।
अभी छुपा लो सितारों को अपने दामन में,
सजाना जूड़े में जहां पर कोई नज़र न लगे।