Saturday, September 24, 2011

चाँद छुप जाओ बादलों में अभी


       चाँद छुप जाओ बादलों में अभी, 
    कहीं ज़माने की तुम्हें नज़र न लगे।

प्यार का अर्थ कहाँ समझा है इस दुनियाँ ने,
पाक़ दामन में भी है दाग लगा कर छोड़ा।
ज़िस्म के रिश्ते को ही बस प्यार समझते ये हैं,
रूह के रिश्तों को कभी प्यार से नहीं जोड़ा। 

     अभी न लाओ अधर पर दिल की बातें,
       कहीं ज़माने को यह न गुनाह लगे। 

जाति, मज़हब के लिए खून बहा सकते हैं,
प्यार के साथ को न हाथ बढ़ाता कोई।
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
दंगों में जली बस्ती न बनाता कोई। 

      चलो आज और नयी डगर ढूंढें,
   मंज़िलों का किसी को पता न लगे।

मूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
चलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो। 
क़दम न रोकें जहां ज़ंजीर झूठे रिश्तों की,
जहां न प्यार की किस्मत में बस नसीहत हो।

अभी छुपा लो सितारों को अपने दामन में,
सजाना जूड़े में जहां पर कोई नज़र न लगे। 

   

Friday, September 16, 2011

तलाश खुद की


कितना अच्छा लगता है
कभी खुद से खोकर
खुद को ढूँढना.

बीती हुई गलतियों पर
एक निर्पेक्ष दृष्टिपात;
गुजरे रास्तों से
फिर से गुजरना,
छोड़े हुए मोडों पर
जगती जिज्ञासा,
कहाँ ले जाते 
वे मोड़
अगर लिये होते.

खुशियों के कुछ मधुर पल 
जो आज भी अंकित हैं
स्मृतियों में,
और वे पल भी
जब कभी रोये थे 
बिना किसी कंधे के सहारे.

कितने साथी और रिश्ते
जो बने और बिछुड़ गये
और कुछ 
जो होकर भी साथ
बन गये अनजाने.

इतिहास के 
पीले पन्नों में
कुछ सूखे गुलाब,
आँखों से गिरे
अश्कों के कुछ फ़ीके धब्बे,
और उनके बीच झांकता 
एक धुंधला चेहरा,
कितना मुश्किल कर देता है
उन पन्नों में ढूँढना 
अपने आप को.

काश भूल पाता यह सब
और ढूंढ पाता
खुद को खुद से भूल कर 
वह मासूम 
और निश्छल चेहरा 
जो फंस गया है
जीवन के मकड़जाल में.

Friday, September 09, 2011

आकांक्षा


अन्तर्मन में तू रम जाये,
सांस सांस तेरा गुण गाये।
कण कण में तुझको मैं देखूँ,
नज़र पराया कोई न आये।

द्वेष न हो कोई भी मन में,
धर्मों  में अंतर  न  पायेँ।
यहां अज़ान आरती के स्वर,
आसमान में घुलमिल जायें।

इंसा को इंसान ही समझें,
धर्म जाति का भेद नहीं हो।
ईद मुबारक़  हिन्दू  बोलें,
मुस्लिम होलीरंग में तर हों।

भूखा कभी न सोए बचपन,
माँ तन  बेचे न  रोटी को। 
नहीं दिवाली जगमग होगी,
गर कुटिया तरसे दीपक को। 

बुद्धि दो, प्रभु सब पहचानें
अंश तेरा ही है कण कण में।
धरा स्वर्ग सम बन जाएगी,
भाव जगें ये गर जन जन में।