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Tuesday, December 18, 2012

भेड़िये

दिन में ही अब 
घूमते भेड़िये
तलाश में शिकार की 
और करते शिकार खुले आम,
भयभीत हैं सभी
लगाते गुहार मदद की 
पर जंगल का राजा शेर 
अपना पेट भरने के बाद 
सोया है गहरी नींद में, 
क्यूंकि वह है सुरक्षित 

अपनी मांद में
और नहीं है चिंता
मासूम प्रजा की.

बढाने होंगे खरगोश को ही
अब अपने नाखून और दांत
साहस और शक्ति
मुकाबला करने भेड़ियों से,
अब भेड़ियों को प्राप्त है
शेरों का संरक्षण.

© कैलाश शर्मा

26 comments:

  1. अ -सुरक्षित नारी को समर्पित बढ़िया पोस्ट .शेर नहीं वह रंगा सियार है ,जर खरीद गुलाम है ,चर्च की इतालवी भारतीय चाची का .

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  2. ...अब तो शर्म भी नहीं आती इन पर!

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  3. आज के हालात की सटीक तस्वीर पेश करी है आपने ....
    काश! कोई ख़रगोश को बचा ले ...उसे न बड़े करने पड़े अपने नाख़ून !!!
    शुभकामनायें!

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  4. आज यही तो हो रहा है .. प्रभावी रचना..

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  5. पता नहीं कब तक देगा शेर भेड़ियों को संरक्षण... सटीक अभिव्यक्ति... आभार

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  6. एक जुट होकर ऐसे भेड़ियों का खात्मा करना है इससे अधिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ

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  7. बहुत सुन्दर ...सटीक रचना,

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  8. न जाने कैसी बाजियाँ सज रही हैं।

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  9. बढाने होंगे खरगोश को ही
    अब अपने नाखून और दांत

    सच कहा आपने .... साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि खरगोश अपनी सुरक्षा के लिए ही बढ़ाये नाखून कहीं खुद भी भेड़ियों की जमात में शामिल न हो जाए

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  10. सर दिल्ली के शासन तंत्र का जोरदार काव्यात्मक चित्रण |सुन्दर कविता आभार |

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  11. बहुत ही सच्ची बात कहीं साथ ही आम जनता को हिम्मत का शंदेश और सत्ता पर तीक्षण कटाक्ष।
    उम्दा रचना।

    मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..

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  12. कितने ही पैने कर ले खरगोश अपने नाखून अगर भेड़ियों का झुंड हो उसके पीछे पड़ जाये तो क्या किया जाए ?

    फिर भी खुद की सुरक्षा के लिए सोचना तो होगा ही ....

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  13. शासन सीधा और सोनिया का जब चलता दिल्ली में

    शासन सीधा और सोनिया का चलता जब दिल्ली में ,

    सरे आम अब रैप से फटतीं ,अंतड़ियां अब दिल्ली में .

    चंद मज़हबी वोट मिलें ,आग लगे चाहे भारत में ,

    दागी नेता पुलिस के डंडे ,पिटते साधु दिल्ली में .

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  14. राष्ट्र सारा उद्वेलित है कैलाश शर्मा जी , क्या टिपण्णी करें .

    कभी लिखा गया था -

    बाप बेटा बेचता है ,बाप बेटा बेचता है ,

    भूख से बेहाल होकर राष्ट्र सारा देखता है .

    दुर्भिक्ष पर ये पंक्तियाँ लिखी गई थीं कभी आज वहशियों ने जो दिल्ली में किया है उसने भी वैसी ही छटपटाहट पैदा की है राष्ट्र में लेकिन मनमोहन जी की नींद तब खराब होती है जब ऑस्ट्रेलिया में संदिग्ध अवस्था में कोई मुसलमान पकड़ा जाता है यह है सेकुलर चरित्र इस सरकार का औए एक अदद राजकुमार का जो कलावती की दावत उड़ाने फट पहुंचता है लेकिन फिलवक्त इस कथित युवा को सांप सूंघ गया है .

    सोनिया जी जिनका भारत पे राज हैं खुद परेशान हैं क्या करूँ इस मंद बुद्धि का जो गत बरसों में वहीँ का वहीँ हैं ,इससे तो प्रियंका को लांच लरना था .

    बलात्कृत युवती से उनका क्या लेना देना .कल बीस तारीख है इनका गुजरात से सूपड़ा साफ़ हो जाएगा और एक अदद राजकुमार की नींद उड़ जायेगी .

    एक टिपण्णी ब्लॉग पोस्ट :

    TUESDAY, DECEMBER 18, 2012

    भेड़िये

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  15. ्सच कहा

    अपने इस दर्द के साथ यहाँ आकर उसे न्याय दिलाने मे सहायता कीजिये या कहिये हम खुद की सहायता करेंगे यदि ऐसा करेंगे इस लिंक पर जाकर

    इस अभियान मे शामिल होने के लिये सबको प्रेरित कीजिए
    http://www.change.org/petitions/union-home-ministry-delhi-government-set-up-fast-track-courts-to-hear-rape-gangrape-cases#

    कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं

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  16. आज के हालातों पर तीखा कटाक्ष..सचमुच आज स्वयं ही जगना होगा..

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  17. "बढाने होंगे खरगोश को ही
    अब अपने नाखून और दांत
    साहस और शक्ति
    मुकाबला करने भेड़ियों से,
    अब भेड़ियों को प्राप्त है
    शेरों का संरक्षण."

    सही कहा आपने....
    शायद अब कोई उपाय नहीं बचा...!

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  18. अनदेखा अनसुलझा दर्द ...

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  19. सच...दिल्ली जैसी घटनाएं हमें मजबूरन ये मानने पर मजबूर कर देती है कि हम इंसानों की दुनिया में तो नहीं रह रहे..सुंदर प्रस्तुति।।।

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