Pages

Tuesday, February 26, 2013

ठहरा हुआ वक़्त


मिल जाता
चंद लम्हों का अहसास
तुम्हारे साथ होने का,
गुनगुनाता तुम्हारे गीत
मेरा आशियाँ आज भी.
******


ख्वाबों का आशियाँ
अब भी है बेताब
रात की तन्हाई में
सुनने को एक आहट
तुम्हारे कदमों की.
******

अश्क़ भी हैं भूल गए
नयनों से गिरना,
रह गयीं सूखी लक़ीरें
तप्त कपोलों पर
तुम्हारे इंतज़ार में.
******


क्यूँ दिखाए सपने
खुली आँखों से
ग़र तोड़ना ही था,
मेरी वफ़ा का बाँध
बहने भी नहीं देता
इन्हें अश्क़ों के साथ.
****** 


मिल जाते पंख 
भरने लगता उड़ान 
ठहरा हुआ वक़्त,
पाकर तुम्हारा साथ
कुछ पल को.


कैलाश शर्मा 

45 comments:

  1. मैं ही ठहरा सा,मैं ही आकाशगंगा में डुबकियां लेता ........ प्यार तो ब्रह्माण्ड है. है तो भी एक एहसास , टूटने में भी एक एहसास .......प्यार यही है

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति | प्यार सिर्फ एक एहसास ही तो है और कुछ नहीं | प्यार निराकार है | सच्चा प्यार सिर्फ महसूस करने से भी अपना एहसास छोड़ जाता है उसके लिए किसी दिखावे और आडम्बर की ज़रुरत नहीं होती | बहुत सार्थक रचना | सादर

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर , साथ तो साथ ही है चाहे वह दूर ही क्यूँ ना हो जिसे दिन -रात सोचा जाय वह दूर कहाँ ......

    ReplyDelete
  4. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  5. आभार रविकर जी...

    ReplyDelete
  6. ख्वाबों का आशियाँ
    अब भी है बेताब
    रात की तन्हाई में
    सुनने को एक आहट
    तुम्हारे कदमों की...

    बहुत खूब ... उस आहट को शायद मन के कानों से सुना जा सके ...
    प्रेम का एहसास ओर प्रतीक्षा का रंग लिए ...

    ReplyDelete
  7. कुछ ठहरा सा,
    कुछ गहरा सा

    ReplyDelete
  8. ्खूबसूरत भावाव्यक्ति

    ReplyDelete
  9. मिल जाते पंख
    भरने लगता उड़ान
    ठहरा हुआ वक़्त,
    पाकर तुम्हारा साथ
    कुछ पल को.
    अनुपम भाव
    सादर

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .........अश्क़ भी हैं भूल गए
    नयनों से गिरना,
    रह गयीं सूखी लक़ीरें
    तप्त कपोलों पर
    तुम्हारे इंतज़ार में.

    ReplyDelete
  11. गहन बहुत सुंदर रचना .....
    आभार ।

    ReplyDelete
  12. प्यार का सिर्फ अहसास किया जा सकता,,,
    वाह!!!बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति,बधाई कैलाश जी,,,


    Recent Post: कुछ तरस खाइये

    ReplyDelete
  13. प्यार एक एहसास ही तो है, सुंदर रचना ........

    ReplyDelete
  14. मिल जाते पंख
    भरने लगता उड़ान
    ठहरा हुआ वक़्त,
    पाकर तुम्हारा साथ
    कुछ पल को.

    प्यार और उससे जुड़े अनगिनत अहसास. सुंदर भाव लिये खूबसूरत कविता.

    ReplyDelete
  15. प्यार के अहसास का बहुत ही सुन्दर वर्णन....
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
    :-)

    ReplyDelete
  16. गहरे उतरता शाब्दिक वर्णन....

    ReplyDelete
  17. बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . आभार .अरे भई मेरा पीछा छोडो आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

    ReplyDelete
  18. बहुत सुन्दर ......

    ReplyDelete
  19. सार्थक रचना,गहन भाव, सादर

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!

    ReplyDelete
  21. गहन भाव सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  22. सभी बहुत सुन्दर.......आखिरी वाला सबसे अच्छा।

    ReplyDelete
  23. मिल जाते पंख
    भरने लगता उड़ान
    ठहरा हुआ वक़्त,
    पाकर तुम्हारा साथ
    कुछ पल को...................अत्‍यन्‍त प्रेममय।

    ReplyDelete
  24. वा ह..
    कुछ अलग सी

    ReplyDelete
  25. बहुत ही खूबसूरत एहसास !
    कोमलता से परिपूर्ण....प्यार की अति-सुंदर परिभाषा...
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  26. मन के कोमलतम भावों की सुन्दरतम अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  27. अनुभूति के स्तर पर भाव और अर्थ दोनों को पंख लग गए हैं .गहन गुरु गंभीर भाव की सघन अभिव्यक्ति .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का भाईजान .

    ReplyDelete
  28. एहसासों से भरी सुन्दर रचना ...

    ReplyDelete
  29. ख्वाबों का आशियाँ
    अब भी है बेताब
    रात की तन्हाई में
    सुनने को एक आहट
    तुम्हारे कदमों की.

    सुन्दर भाव चित्र .

    ReplyDelete
  30. सुन्दर एहसासों का सुन्दर आशियाँना

    ReplyDelete
  31. thahara hua waqt , .bahut kuch maun shabdo me abhivyakti deta hai , chupe huye eahsaas ,bayan nahi ho sakte , thahare huye waqt dubaara nahi aata . .....

    ReplyDelete
  32. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  33. वो जो तसव्वुर में चले आते हैं ,

    उम्र सारी यूं ही तड़पाते हैं .

    बिना पद चाप की आहट लिए ,

    गाहे बगाहे खाब में चले आते है .

    शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

    ReplyDelete
  34. गहन अनुभूति... ठहरा हुआ वक़्त. बहुत शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  35. अश्क़ भी हैं भूल गए
    नयनों से गिरना,
    रह गयीं सूखी लक़ीरें
    तप्त कपोलों पर
    तुम्हारे इंतज़ार में-----bahut sunder

    ReplyDelete
  36. शुक्रिया कैलाश जी . मेरी कविता को पसंद करने के लिए
    आपकी ये कविता पढ़ी . बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करिए
    प्रेम के कई dimensions को आपने शब्दों के द्वारा बहुत अच्छी तरह व्यक्त किया है .

    विजय
    www.poemsofvijay.blogspot.in

    ReplyDelete
  37. उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

    ReplyDelete
  38. वो है ...वो नही फिर भी रहता है साथ .......यही है एहसास .....

    ReplyDelete
  39. चाहत भरे भाव....कोमल से...

    ReplyDelete