एकदम बढ़िया ! सुन्दर प्रस्तुति श्री कैलाश शर्मा जी
जीवन के हर पड़ाव पर मायने बदल जाते...बातों के , चीज़ों को....
कौन जाने बादल का टुकड़ा तो उसी तरह से आता हो लेकिन मन की असम्पृक्तता उसे पहचान ही न पाती हो ! बहुत सुंदर रचना !
वो बादल जरूर आएगा लौट कर ... अंतर्मन को तृप्त करेगा ...
लौट आओ ओ बादल के छोटे टुकड़े।बेहतरीन।
बादल ऐसे बरसे की मन तृष्णा बुझ जाये बेहतरीन रचना ....
bahut sundar ....mn ka chitrakan ---
खूबसूरत अभिव्यक्ति.... ऐसे बादलों की तलाश हर किसी को है जो अंतर्मन को तृप्त कर दे. कहाँ गये वो निराले बादल.
सुन्दर लेखन व रचना , कैलाश सर धन्यवाद ! I.A.S.I.H - ब्लाँग ( हिन्दी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बादल के उस एक टुकड़े की तलाश या आस शायद हर मन को रहा करती है ...बहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
बादल तो हर बरस आते हैं...पर चातक को तो स्वाति नक्षत्र की प्रतीक्षा रहती है
भावमय करते शब्द ..... अनुपम प्रस्तुति
बहुत सुन्दर...
बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...नयी पोस्ट@दर्द दिलों केनयी पोस्ट@बड़ी दूर से आये हैं
बरसते हैं बादल आज भीभिगो कर गुज़र जाते आँगन भीपर प्यासा ही रह जाता अंतर्मन.bhavpoorn abhivyakti ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति |शानदार रचना |
सुंदर अभिव्यक्ति ।
एक बादल एक बार ही बरसता है पर मन उसे फिर-फिर बरसाने को लालायित है.....सुन्दर भाव |
सुन्दर प्रस्तुति...
बहुत सुंदर
सुन्दर प्रस्तुति
वाह... बहुत सुन्दर लिखा है आपने http://kaynatanusha.blogspot.in/
वो बादल का टुकड़ा, जो संतृप्ति देता है, बड़े भाग्य से बरसता है! आशा है फिर से आपके मन-आँगन में बरसेगा! सादर मधुरेश
प्यास ऐसी केवल प्रेम की ही हो सकती है।
सुंदर प्रस्तुति
कल 08/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर धन्यवाद !
आभार...
Sarthak hraday ko chuti rachna..... Badhayi dhero shubhkannaayein Kailash Sharma ji......
एकदम बढ़िया ! सुन्दर प्रस्तुति श्री कैलाश शर्मा जी
ReplyDeleteजीवन के हर पड़ाव पर मायने बदल जाते...बातों के , चीज़ों को....
ReplyDeleteकौन जाने बादल का टुकड़ा तो उसी तरह से आता हो लेकिन मन की असम्पृक्तता उसे पहचान ही न पाती हो ! बहुत सुंदर रचना !
ReplyDeleteवो बादल जरूर आएगा लौट कर ... अंतर्मन को तृप्त करेगा ...
ReplyDeleteलौट आओ ओ बादल के छोटे टुकड़े।
ReplyDeleteबेहतरीन।
बादल ऐसे बरसे की मन तृष्णा बुझ जाये बेहतरीन रचना ....
ReplyDeletebahut sundar ....mn ka chitrakan ---
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति.... ऐसे बादलों की तलाश हर किसी को है जो अंतर्मन को तृप्त कर दे. कहाँ गये वो निराले बादल.
ReplyDeleteसुन्दर लेखन व रचना , कैलाश सर धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लाँग ( हिन्दी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बादल के उस एक टुकड़े की तलाश या आस शायद हर मन को रहा करती है ...बहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबादल तो हर बरस आते हैं...पर चातक को तो स्वाति नक्षत्र की प्रतीक्षा रहती है
ReplyDeleteभावमय करते शब्द ..... अनुपम प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@दर्द दिलों के
नयी पोस्ट@बड़ी दूर से आये हैं
बरसते हैं बादल आज भी
ReplyDeleteभिगो कर गुज़र जाते आँगन भी
पर प्यासा ही रह जाता अंतर्मन.
bhavpoorn abhivyakti ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति |शानदार रचना |
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteएक बादल एक बार ही बरसता है पर मन उसे फिर-फिर बरसाने को लालायित है.....सुन्दर भाव |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह... बहुत सुन्दर लिखा है आपने
ReplyDeletehttp://kaynatanusha.blogspot.in/
वो बादल का टुकड़ा, जो संतृप्ति देता है, बड़े भाग्य से बरसता है! आशा है फिर से आपके मन-आँगन में बरसेगा!
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
प्यास ऐसी केवल प्रेम की ही हो सकती है।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteकल 08/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आभार...
ReplyDeleteSarthak hraday ko chuti rachna..... Badhayi dhero shubhkannaayein Kailash Sharma ji......
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