तैर रहे थे शब्द हवाओं में
प्रतीक्षा में संवरने को पंक्ति में,
भरा था लबालब अंतस भावों से
पाने को एक अभिव्यक्ति शब्दों में,
टिकी हुईं थी दो आँखें चहरे पर
इंतज़ार में सुनने को वो शब्द,
नहीं पकड़ पाये वे शब्द
नहीं गूंथ पाये उनको अभिव्यक्ति में
और खो गये मौन के जंगल में।
प्रतीक्षा में संवरने को पंक्ति में,
भरा था लबालब अंतस भावों से
पाने को एक अभिव्यक्ति शब्दों में,
टिकी हुईं थी दो आँखें चहरे पर
इंतज़ार में सुनने को वो शब्द,
नहीं पकड़ पाये वे शब्द
नहीं गूंथ पाये उनको अभिव्यक्ति में
और खो गये मौन के जंगल में।
आज जीवन के सूनेपन में
फ़िर ताकते हैं वे शब्द
शिकायत भरी नज़रों से,
पूछते हैं कारण उस मौन का
नहीं उत्तर जिसका मेरे पास।
फ़िर ताकते हैं वे शब्द
शिकायत भरी नज़रों से,
पूछते हैं कारण उस मौन का
नहीं उत्तर जिसका मेरे पास।
आज भी बेचैन हैं वे शब्द
अकेलेपन मैं मेरे मौन की तरह।
अकेलेपन मैं मेरे मौन की तरह।
....कैलाश शर्मा
शब्द बहुत दिन मौन नहीं रह पायेंगे
ReplyDeleteतीर की तरह लक्ष्य भेदने निकल ही आयेंगे ।
बहुत सुंदर ।
शब्दों की खूबसूरत माला जिसके भाव अंतर्मन को छूते
ReplyDeleteLovely poetry and beautiful way of expressing..:)
ReplyDeleteउन बेचैन शब्दों को मौन की कैद से आज़ाद कर दीजिए और उड़ जाने दीजिये भावना के आकाश में अभिव्यक्ति की तहरीरें हवाओं पर लिखने के लिये ! बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteवाह , हृदयस्पर्शी भाव
ReplyDeleteउन तैरते शब्दों को किसी ने तो करीने से लगाया होगा !
ReplyDeleteमौन के जंगल चले जाने से पहले किसी ने तो सीने से लगा वाक़या बनाया होगा !
उन बेचैन शब्दों को कभी किसी के अधरों से निकलते आपने क्या देखा नहीं ?
जो मौन ही रह जाते हैं वे शब्द बार-बार उमडते हैं .लेकिन फिर घुमड़ कर रह जाना ही उनकी नियति बन जाती है..
ReplyDeleteआज जीवन के सूनेपन में
ReplyDeleteफ़िर ताकते हैं वे शब्द
शिकायत भरी नज़रों से,
पूछते हैं कारण उस मौन का
नहीं उत्तर जिसका मेरे पास।
बहुत से शब्दों का , सवालों का कोई जवाब नहीं होता ! बहुत ही सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय शर्मा जी
सुन्दर, गहरे भावों से सजी कविता।
ReplyDeleteअति भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteकल 15/नवंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आभार...
Deleteवाकई बहुत मुश्किल होता है उन शब्दों को तलाशना.
ReplyDeleteबहुत गहरी रचना.
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeleteबहुत सुंदर , सर धन्यवाद !
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बहुत गहरी रचना ..... सार्थक अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteumda ..yado ke jangal me maun chikhte hai
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रेरक पंक्तियाँ, शुभकामनायें !
ReplyDeleteसुंदर शब्द, भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteहृदय स्पर्शी रचना कैलाश जी :)
ReplyDeleteजीवन में ऐसे कितने ही शब्द छूट जाते हैं जो किसी न किसी पल सामने खड़े हो जाते हैं जवाब मांगते ...
ReplyDeleteअर्थपूर्ण रचना है ...
बेहद भावपूर्ण... बधाई.
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों का संगम ....
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना ...
ReplyDeletebhaawpurn rachna....
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