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Monday, December 29, 2014

एक वर्ष और गया


बीता सो बीत गया,
एक वर्ष और गया।

सपने सब धूल हुए
आश्वासन भूल गया,
शहर अज़नबी रहा
और गाँव भूल गया,
एक वर्ष और गया।

तन पर न कपड़े थे
पर अलाव जलता था,
तन तो न ढक पाये
पर अलाव छूट गया,
एक वर्ष और गया।

खुशियाँ बस स्वप्न रहीं
अश्क़ न घर छोड़ सके,
जब भी सपना जागा
जाने क्यों टूट गया,
एक वर्ष और गया।

आश्वासन घट भर पाये
निकले घट सब रीते,
कल कल की आशा में
जीवन है बीत गया,
एक वर्ष और गया।

फ़िर आश्वासन आयेंगे
सपने कुछ जग जायेंगे,
लेकिन कब ठहरा है
अश्क़ जो ढुलक गया,
एक वर्ष और गया।

जब अभाव ज़ीवन हो
वर्ष बदलते कब हैं,
गुज़र दिन एक गया
समझा एक वर्ष गया,
एक वर्ष और गया।

...कैलाश शर्मा 

19 comments:

  1. आशा , दिलासा और आश्वासन यही तो जीवन की कहानी है और यूँ ही सब बीत भी जाता है .

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  2. जब अभाव ज़ीवन हो
    वर्ष बदलते कब हैं,
    गुज़र दिन एक गया
    समझा एक वर्ष गया,
    एक वर्ष और गया।......bahut sahi kaha....aise hi baras beet jate hain
    nav varsh ki shubhkaanmaye

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  3. जब अभाव ज़ीवन हो
    वर्ष बदलते कब हैं,
    गुज़र दिन एक गया
    समझा एक वर्ष गया,
    एक वर्ष और गया।
    बिलकुल सच कहा आपने... अभाव में एक-एक दिन वर्ष से कम नहीं होता... .
    गंभीर चिंतन भरी रचना। ....
    सबका नव वर्ष मंगलमय हो यही कामना है।

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  4. सच है दुख और सुख के अनुभव लिए एक वर्ष और बीत गया सुन्दर रचना...

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  5. सुंदर भाव की सुंदर प्रस्तुति ...

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  6. सुंदर प्रस्तुति

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  7. मन को किसी न किसी तरह से आश्वासन, दिलासा चाहिए ... और मन खुद ही ढूंढ भी लेता है ...
    भावपूर्ण प्रस्तुति ... नव वर्ष की शुभकामनायें ...

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  8. मन को ढांढस देते रहना
    मन की ही तो एक कला है
    मन ही मन की भाषा समझे
    मन का मन तो मन में पला है।
    नव वर्ष मंगलमय हो।

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  9. खट्टी-मीठी यादों से भरे साल के गुजरने पर दुख तो होता है पर नया साल कई उमंग और उत्साह के साथ दस्तक देगा ऐसी उम्मीद है। नवर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

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  10. आदमी मुसाफिर है आता है जाता है और रास्ते में याडे छोड़ जाता है। ठीक इसी तरह वक्त भी अच्छा हो या बुरा आता जाता रहता है। एक उम्मीद टूटी तो दूसरी जग जाती है शायद जीवन इसी का नाम है। इस नए साल से भी कुछ ऐसी ही उम्मीदें हैं। इसी उम्मीद के साथ आपको एवं आपके समस्त परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

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  11. गंभीर चिंतन भरी रचना। ....
    सबका नव वर्ष मंगलमय हो यही कामना है।

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  12. फ़िर आश्वासन आयेंगे
    सपने कुछ जग जायेंगे,
    लेकिन कब ठहरा है
    अश्क़ जो ढुलक गया,
    एक वर्ष और गया।
    खूबसूरत शब्द ​आदरणीय कैलाश जी

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  13. नववर्ष कहने-मनाने की रीति को दर्पण दिखाकर आवश्‍यक संवेदना सामग्री को बिखराती हिलाती-कुछ महसूस कराती सुन्‍दर कविता।

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  14. Lajawaab rachna ek saal beet gya chalo iss varsh kuch nya kartein hain...nav vrsh ki dhero mangalkamnayein

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  15. सुंदर भावाभिव्यक्ति...नव वर्ष की मंगलकामनाएँ

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  16. समय किसकी ज़द में रहा है. बहरहाल नए साल की शुभकामनायें.

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