हर वक़्त है तुम्हारा,
बहने लगते अनवरत
निभाते हैं साथ
दुखों के पल में,
नहीं जाते दूर
छलक जाते हैं
खुशियों के पल में।
छलके थे आँखों से
देखा ज़ब अचानक
देहरी पर तुमको
और छुप गए
तुम्हारी बाहों में,
बरसे हैं फ़िर से ये
सावन के बादल से
देख तुम्हें जाते
आज उसी देहरी से।
बहने लगते अनवरत
निभाते हैं साथ
दुखों के पल में,
नहीं जाते दूर
छलक जाते हैं
खुशियों के पल में।
छलके थे आँखों से
देखा ज़ब अचानक
देहरी पर तुमको
और छुप गए
तुम्हारी बाहों में,
बरसे हैं फ़िर से ये
सावन के बादल से
देख तुम्हें जाते
आज उसी देहरी से।
जन्म से मृत्यु तक
निरंतर साथ अश्रु का,
आ जाते खुशियों के साथ
निरंतर साथ अश्रु का,
आ जाते खुशियों के साथ
माँ की आँखों में
देख मासूम सूरत
देख मासूम सूरत
पहली बार गोद में
अपने बच्चे की,
बरसे थे आँखों से
छोड़ गया था जब वह
वृद्धाश्रम दरवाज़े पर,
बरसे थे आँखों से
छोड़ गया था जब वह
वृद्धाश्रम दरवाज़े पर,
और शायद लगें बहने
किसी के इंतज़ार में
अंतिम यात्रा के प्रयाण में।
किसी के इंतज़ार में
अंतिम यात्रा के प्रयाण में।
...© कैलाश
शर्मा