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Friday, July 03, 2015

जीवन

कानों को फोड़ता
शोर सन्नाटे का,
चीत्कार दमित शब्दों की 
छुपी मौन अंतस में,
चुभता आँखों में
काला गहरा अंधियारा,
मांगता तनहाई से
कुछ पल साथ तनहा मन,
कितना अज़ीब फ़लसफ़ा
हर बाहर जाती श्वास
निर्भर वापिस आने को
मृत्यु के अहसान पर।

....कैलाश शर्मा 

29 comments:

  1. मार्मिक प्रस्तुति ....उम्दा
    हर बाहर जाती श्वास
    निर्भर वापिस आने को

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  2. काला गहरा अंधियारा,
    मांगता तनहाई से
    कुछ पल साथ तनहा मन,
    कितना अज़ीब फ़लसफ़ा
    हर बाहर जाती श्वास
    निर्भर वापिस आने को
    मृत्यु के अहसान पर।
    मन की भावनाओं को सुन्दर शब्दों में लिखा है आपने आदरणीय श्री कैलाश शर्मा जी ! सर दमित का क्या अर्थ होता है ? दमित शब्द ? कृपया बताइयेगा !!

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  3. कुछ पल साथ तनहा मन
    कितना अज़ीब फ़लसफ़ा
    हर बाहर जाती श्वास
    निर्भर वापिस आनें को
    मृत्यु के अहसान पर।
    बेहद खूबसूरत कविता शर्मा जी।अति सुन्दर।

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  4. हर बाहर जाती श्वास
    निर्भर वापिस आने को
    मृत्यु के अहसान पर।
    बहुत बड़ी सच्चाई है...बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना

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  5. "जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धा: कवीश्वरा: ।
    नास्ति येषां यशः काये जरामरणजं भयम् ॥"
    भर्तृहरि

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  6. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (04-07-2015) को "सङ्गीतसाहित्यकलाविहीना : साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीना : " (चर्चा अंक- 2026) " (चर्चा अंक- 2026) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  7. चंद शब्दों में गहन जीवन दर्शन की सशक्त अभिव्यक्ति !

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  8. सच बाहर को शोर सुना जाना आसान है लेकिन अंतर्मन के चीत्कार को कोई नहीं सुन पाता ..
    बहुत सुन्दर रचना .

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  9. ,और इन के बीच ही समाप्त हो जाता है जीवन, अच्छी भावपूर्ण अभिव्यक्ति कैलाश जी

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  10. सटीक और सुन्दर प्रस्तुति

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  11. श्वासों का गणित और जीवन की शाम.

    सुन्देर५ प्रस्तुती.

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  12. ये जीवन मृत्यु का एहसास ही तो है ... साँसों का आना जाना उकसे आने तक ही जारी है ...

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  13. सुन्दर प्रस्तुति!

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  14. सार्थक कविता के लिए आपका आभार। कविता बहुत अच्छी लगी।

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  15. बहुत गहन भावों को चंद शब्दों में समेट दिया है आपने..

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    1. गहरे भाव लिए कविता । साधुवाद

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  16. सचमुच अज़ीब फ़लसफ़ा है !
    जिसका अस्तित्व नहीं उसी की आस करना......!

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  17. हर बाहर जाती श्वास
    निर्भर वापिस आने को
    मृत्यु के अहसान पर।
    मन की भावनाओं को सुन्दर शब्दों में लिखा है

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