खून अपना सफ़ेद जब होता,
दर्द दिल में असीम तब होता।
दर्द दिल में असीम तब होता।
दर्द अपने सदा दिया करते,
गैर के पास वक़्त कब होता।
गैर के पास वक़्त कब होता।
रात गहरी सियाह जब होती,
कोइ अपना क़रीब कब होता।
कोइ अपना क़रीब कब होता।
चोट लगती ज़ुबान से ज़ब है,
घाव गहरा किसे नज़र होता।
घाव गहरा किसे नज़र होता।
बात को दफ्न आज रहने दो,
ग़र कुरेदा तो दर्द फ़िर होता।
बात कह जब
पलट गया कोई,
मौन रहना नसीब बस होता।
~©कैलाश शर्मा