Kashish - My Poetry
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Thursday, September 14, 2017
दर्द को आशियां मिला
दर्द को आशियां मिला
,
मिरे घर का निशां मिला.
तू न मेरा नसीब था
,
दर्द का साथ तो मिला.
रात भर जागते रहे
,
सुबह खाली मकां मिला.
ज़िंदगी इस तरह रही
,
हर किसी को रहा गिला.
चंद लम्हे खुशी मिली
,
फिर अँधेरा घना मिला।
...
©कैलाश शर्मा
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