Pages

Thursday, September 14, 2017

दर्द को आशियां मिला

दर्द को आशियां मिला,
मिरे घर का निशां मिला.

तू न मेरा नसीब था,
दर्द का साथ तो मिला.

रात भर जागते रहे,
सुबह खाली मकां मिला.

ज़िंदगी इस तरह रही,
हर किसी को रहा गिला.

चंद लम्हे खुशी मिली,
फिर अँधेरा घना मिला।

...©कैलाश शर्मा

18 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना आपकी।

    ReplyDelete
  2. आदरणीय कैलाश जी -- मर्मस्पर्शी भावों से सजी आपकी रचना की सभी पंक्तियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी | विशेष रूप से -----------
    तू न मेरा नसीब था,
    दर्द का साथ तो मिला.---- बहुत अच्छी लगी | सादर , सस्नेह शुभकामना आपको ---

    ReplyDelete
  3. जीवन के कुछ पल दर्द का एहसास और कुछ पल ख़ुशी के संग ... शायद यही जीवन है ...
    बहुत खूब लिखा है ...

    ReplyDelete
  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-09-2017) को
    "हिन्दी से है प्यार" (चर्चा अंक 2729)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

    ReplyDelete
  5. ज़िंदगी इस तरह रही,
    हर किसी को रहा गिला.
    खूबसूरत अलफ़ाज़ आदरणीय शर्मा जी !!

    ReplyDelete
  6. भावमय प्रस्तुति .....

    ReplyDelete
  7. सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  8. आपकी रचना बहुत ही सराहनीय है ,शुभकामनायें ,आभार

    ReplyDelete
  9. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/09/35.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  10. जीवन की तमाम परिस्थितियों को रेखांकित करते बेहद उम्दा शेर।
    एक बेहतरीन गज़ल जो नए रचनाकारों को बहुत कुछ सीखने का अवसर देती है।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

    ReplyDelete
  11. वाह !!!!
    लाजवाब प्रस्तुति....

    ReplyDelete
  12. धूप छाँव का जीवन हर दिन...

    ReplyDelete
  13. जीवन के सच का हृदयस्पर्शी चित्रण ।

    ReplyDelete