चलो पथिक आगे बढ़ जाओ,
यहाँ किसी का साथ न होगा।
नियति है तेरी चलना तनहा,
यहाँ कोइ हमराह न होगा।
कुछ पल की रौनक है जीवन,
फिर आगे का सफ़र अकेला।
इक दिन अंत इसे है होना,
हर दिन कहाँ चले है मेला।
कच्चे धागे से सब रिश्ते,
कब तक साथ निभा पायेंगे।
बोझ बढाओ मत कंधों पर,
कितनी दूर उठा पायेंगे।
छांव मिलेगी नहीं राह में,
मरुथल से है तुम्हें गुज़रना|
अश्क़ रखो अपने संभाल के
अभी बहुत कुछ आगे सहना|
सक्षम करलो तुम पग अपने,
अभी राह में शूल बहुत हैं।
भ्रमित न हो खुशियों के पल में,
अभी तो मंजिल दूर बहुत है।
दुखित न हो पिछली भूलों से,
दे कर गयीं सबक जीवन का।
कौन सदा का साथ यहां है,
चलना यहां अकेला पड़ता।
...©कैलाश शर्मा
बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteआदरनीय कैलाश जी --- सुघड़ शैली में रची रचना मन को छू गयी | जीवन की अनंत यात्रा के अनेक सोपान और सबका अलग अनुभव | व्याकुल मन के भावों को उकेरती और खुद को ही समझती रचना बहुत ही बढ़िया बन पफी है | पढ़कर मन भावुक सा हो गया | आपको सादर शुभकामना आदरणीय |
ReplyDeleteAisa laga ki mere bhav aapke lekhni se nikal padi...Antas ko chhooti huyi...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रेरक रचना आपकी आदरणीय। विषम परिस्थितियों से जूझकर आगे बढ़ना ही जीवन है।
ReplyDeleteकर्तव्यों का बोध कराती हुई प्रेरणा दायक रचना।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-10-2017) को
ReplyDelete"सुनामी मतलब सुंदर नाम वाली" (चर्चा अंक 2772)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार....
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज के युवाओं से पर्यावरण हित में एक अनुरोध “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार...
Deleteपथ सबका अपना - साथ कैसे निभे !
ReplyDeleteइस जीवन में सब अकेले ही आते हैं और अकेले ही चलते हैं ...
ReplyDeleteचलते रहना ही कर्तव्य है ।
ReplyDeleteसुंदर प्रेरणास्पद रचना ।
कौन सदा का साथ यहाँ है ..... बहुत ही सही
ReplyDeleteअनुपम अभव्यक्ति
सक्षम कर लो, तुम पग अपने
ReplyDeleteअभी राह में शूल बहुत हैंं ।
भ्रमित न हो खुशियों के पल में
अभी तो मंजिल बहुत दूर है ।.....
लाजवाब प्रस्तुति, दार्शनिक भाव लिए.....
वाह!!!!!
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसक्षम करलो तुम पग अपने,
ReplyDeleteअभी राह में शूल बहुत हैं।
भ्रमित न हो खुशियों के पल में,
अभी तो मंजिल दूर बहुत है।
बेहतरीन और प्रेरणादायक शब्द !!
Bahut hii sundar
ReplyDeleteसुन्दर एवं सटीक प्रसतुति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें
jeevan ki sacchai yahi he.
ReplyDeleteHome Shifting Service in India | Packers and Movers for Home shifting
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteorder Birthday gifts Online
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