Pages

Wednesday, June 05, 2019

जीवन ऐसे ही चलता है


कुछ घटता है, कुछ बढ़ता है,
जीवन ऐसे ही चलता है।

इक जैसा ज़ब रहता हर दिन,
नीरस कितना सब रहता है।

मन के अंदर है जब झांका,
तेरा ही चहरा दिखता है।

चलते चलते बहुत थका हूँ,
कांटों का ज़ंगल दिखता है।

आंसू से न प्यास बुझे है,
आगे भी मरुधर दिखता है।

...©कैलाश शर्मा