Kashish - My Poetry
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Thursday, November 28, 2013
तलाश अस्तित्व की
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तलाश करो स्वयं अपने स्वयं का अस्तित्व अपने ही अन्दर न भागो अपने आप से, तुम्हारा अपना स्वत्व ही तुम्हारा मित्र या शत्रु, प्रज्वलित होती ...
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Saturday, November 23, 2013
क्षितिज
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भूल कर ज़मीन पैरों तले और सिर ऊपर आसमान , विस्मृत कर रिश्ते और संबंध बढ़ता गया आगे छूने की चाह में आकांक्षाओं का क्षितिज। जब ...
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Sunday, November 17, 2013
हाइकु/तांका
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(१) कौन है जिंदा शहर कब्रस्तान दफ़न ख़्वाब. (२) ख्वाबों की लाश कन्धों पर ढो रहा जिंदा है कैसे? (३) म...
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Friday, November 08, 2013
श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (५८वीं कड़ी)
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मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: पंद्रहवां ...
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Saturday, November 02, 2013
किसी देहरी आज अँधेरा न रहने दें
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किसी देहरी आज अँधेरा न रहने दें , आओ बस्ती झोपड़ियों में दीप जलाएं। अपनों के तो लिये सजाये कितने सपने , सोचा नहीं कभी उनका जिनके न...
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Tuesday, October 29, 2013
क्षणिकाएं
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सिरहाने खड़े ख्वाब करते रहे इंतज़ार आँखों में नींद का, पर न विस्मृत हुईं यादें और न थमे आंसू, इंतज़ार में थके ख़्वाब ...
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Tuesday, October 22, 2013
करवा चौथ
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चाहे हो बेटी, पत्नी या माँ क्यों आते औरत के ही हिस्से सभी व्रत और त्याग कभी बेटे और कभी पति के लिए अहोई अष्टमी या करवा चौथ। क्यूँ नहीं ...
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