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Saturday, December 18, 2010

चौराहा

ज़िन्दगी के इस मोड़ पर 
जब पीछे मुड़कर देखता हूँ ,
दिखाई देते हैं
चौराहे,
कितने मोड़ 
जिन्हें मैंने लिया नहीं,
कितने बढे हुए हाथ
जिनको थामा नहीं,
या फिसल गए 
मेरी पकड़ से.


लेकिन किसने रोका मुझे
उन मोड़ों पर बढ़ने से,
उन हाथों को थामने से.
किसे दोष दूं 
इस सबका ?
मेरा कायरपन,
कर्मफल,
परिस्थितियाँ,
संयोग
या प्रारब्ध.
या यह प्रयास है मेरा
अपनी गलतियों का ठीकरा
दूसरों के सर फोड़ने का.


अब भी आते हैं
सपने में 
वे छोड़े हुए मोड़,
वे बढे हुए हाथ,
और उठाते हैं 
इतने सवाल 
जिनका ज़वाब देने का 
समय फिसल गया है
मेरे हाथों से.


अब तो मुझे 
हर चौराहे पर
कोई रास्ता चुनने में
लगता है बहुत डर,
शायद
यह मोड़ भी गलत न हो.

40 comments:

  1. आपने अपने भावों को बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति दी है....काबिले तारीफ

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  2. beete dino me..
    chhode huye mod jin par mude nahi..
    badhe huye haath jinhe thama nahi..
    dard kachot-ta hai..
    jeevan-anubhooti ki sunder rachna!

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  3. जिन्हें मैंने लिया नहीं,
    कितने बढे हुए हाथ
    जिनको थामा नहीं,
    या फिसल गए
    मेरी पकड़ से.


    Laazabab ! Sundar Bhaav Sharma ji

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  4. अब तो मुझे /हर चौराहे पर/कोई रास्ता चुनने में/लगता है बहुत डर,
    शायद
    यह मोड़ भी गलत न हो.//...
    गुजरे हुए पलों को बाँधने की कोसिस /
    बहुत ही सुंदर बड़े भाई //
    एक श्रींगार रस से भरी कविता के लिए मेरे ब्लॉग पर आये /

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  5. ज़िन्दगी के इस मोड़ पर
    जब पीछे मुड़कर देखता हूँ ,
    दिखाई देते हैं
    चौराहे,
    bahut khoobsurt
    mahnat safal hui
    yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.

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  6. छूट गए मोड़ और उनपर मन की उहापोह और चिंतन को दिशा देती रचना!
    सादर!

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  7. jo pal haatho se fisal gaya unhe vapas to nahi laya ja sakta .
    han!unhe yaado me samet kar bas sambhala ja sakta hai.

    अब तो मुझे
    हर चौराहे पर
    कोई रास्ता चुनने में
    लगता है बहुत डर,
    शायद
    यह मोड़ भी गलत न हो.
    sir,bahut hi prabhavshali abhivykti
    poonam

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  8. अनजाना स भय ...अंतर्द्वन्द्व को दर्शाती अच्छी प्रस्तुति

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  9. नमस्कार जी,
    बहुत ही अच्छी,सुंदर प्रस्तुति

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  10. हर चौराहे पर
    कोई रास्ता चुनने में
    लगता है बहुत डर,
    शायद
    यह मोड़ भी गलत न हो.
    सुंदर प्रस्तुति...

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  11. दिल के कशमकश को दिखाती एक सुन्दर रचना। आभार

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  12. कई बार ज़िन्दगी के चौराहों पर हम इसी तरह के सोच-विचार में पड़े रहते हैं जिसे आपने काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है। यही पर हमारे विवेक की सही परीक्षा होती है।

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  13. आपने अपने भावों को बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति दी है| आभार|

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  14. बेचैन मन की सफल अभिव्यक्ति।

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  15. अब तो मुझे
    हर चौराहे पर
    कोई रास्ता चुनने में
    लगता है बहुत डर,
    शायद
    यह मोड़ भी गलत न हो.
    ====
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
    मोड़ से तो सभी भयभीत हैं!

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  16. रास्ता चुनने मे जब भी आदमी चूक जाता है वहीं से जो ज़िन्दगी मोड लेती है वो उम्र भर उसे सालता है। कहीं प्रार्ब्ध, प्रयास परिस्थितियां, इन सब का आपस मे गहरा रिश्ता होत्रा है जो जीवन की शाजिशें रचता है। दिल को छू गयी आपकी रचना। बधाई।

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  17. जिन्‍दगी के कई मोड ऐसे होते हैं जब हम साहस दिखाते तो जन्‍मभर का पछतावा नहीं रहता। लेकिन पता नहीं कभी कभी साहस ही नहीं जुटा पाते हैं और वे बहुत छोटे से क्षण आकाश जितने बड़े बनकर हमेशा यादों में छाए रहते हैं। बहुत अच्‍छी अभिव्‍यक्ति।

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  18. bahut hi sundar avivyakti hai kailash ji

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  19. सच है, कभी - कभी परिस्थितियां उन राहो को चुनने के लिया बेबस कर देती हैं, जो हमारे लिए बनी ही नहीं होती..
    बहुत ही सारगर्भित रचना .........

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  20. मै तो बस इतना कहूँगा की" बीती ताहि बीसार दे आगे की सुधि लेही ". सुन्दर अभिव्यक्ति .

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  21. अब भी आते हैं
    सपने में
    वे छोड़े हुए मोड़
    वे बढे हुए हाथ
    और उठाते हैं
    इतने सवाल
    जिनका ज़वाब देने का
    समय फिसल गया है
    मेरे हाथों से।

    जीवन के एक पहलू विशेष के अंतर्द्वंद्व को अभिव्यक्त करती प्रेरक रचना।

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  22. अब तो मुझे
    हर चौराहे पर
    कोई रास्ता चुनने में
    लगता है बहुत डर,
    शायद
    यह मोड़ भी गलत न हो..........बेहतरीन रचना। बधाई।

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  23. ... bhaavpoorn rachanaa ... prasanshaneey !!!

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  24. ek umda rachna .. bahut badiya..

    mere blog par bhi kabhi aayiye..
    www.lyrics-mantra.blogspot.com

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  25. कभी न कभी जीवन मेंन ऐसा एहसास होता है की हम गलत रह पर आ गए ... पर वापस जाना आसान नहीं होता ... किसी न किसी को तो अपनाना ही होता है ... बहुत गहरी सूझ से उपजी रचना है ... ..

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  26. अंतर्मन के दुविधाओं का बखूबी वर्णन किया है आपने.

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  27. sunder rachna magar muskura dijiye aaj pe, thaam lijiye iska haath, yehi to hai aapke paas.... jo guzar gaya, vo guzur gaya :-) saadar

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  28. अब तो मुझे
    हर चौराहे पर
    कोई रास्ता चुनने में
    लगता है बहुत डर,
    शायद
    यह मोड़ भी गलत न हो

    वर्तमान हालातों में निर्णय लेना वाक़ई मुश्किल हो गया है

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  29. मैंने भी अपनी भावनाओं को समेट एक कविता लिखी थी, उसका शीर्षक भी "चौराहा" ही था...
    वो इतनी सुन्दर बन नहीं पाई... कभी प्रस्तुत करने की चेष्टा करूंगी...
    आपने तो ज़िंदगी, उसके सफ़र को इतने अच्छे से प्रस्तुत कर दिया... वाह...

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  30. शायद
    यह मोड़ भी गलत न हो.
    सुंदर प्रस्तुति... ..दुविधाओं का बखूबी वर्णन किया है आपने.

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  31. 200 फोलोवर ...सभी ब्लोगेर साथियों का तहे दिल से शुक्रिया ...संजय भास्कर
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
    धन्यवाद

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  32. बेहतरीन और बहुत सुंदर रचना

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  33. "समस हिंदी" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को एक दिन पहले
    "मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये !

    ()”"”() ,*
    ( ‘o’ ) ,***
    =(,,)=(”‘)<-***
    (”"),,,(”") “**

    Roses 4 u…
    MERRY CHRISTMAS to U

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है!

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  34. बहुत सुन्दर पर्स्तुती इस विषय पर मेरी कुछ पन्तिया

    जादातर वादे जो जिन्दगी मे टूटे ,
    वो सब मैंने ही खुद से किये थे ,
    जादातर नाकामी की वजह ,
    सिर्फ मेरी कमजोर कोशिश थी ,

    दिल को छु गयी आपकी रचना .........

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  35. zindgi modon se bhari hai... chaurahe digbhramit karte hain... sundar kavita...

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  36. बहुत ही सुंदर रचना।

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