बहुत दिनों बाद देखा
कुछ हमउम्र चेहरों को
और चौंक गया.
वक़्त का तूफ़ान
कुछ हमउम्र चेहरों को
और चौंक गया.
वक़्त का तूफ़ान
छोड़ गया कितने निशान
जो उभर आये चेहरों पर
झुर्रियां बन कर,
और हर पंक्ति
समाये एक इतिहास
अपने आप में.
भर गया मन अवसाद से
देख कर अपना अक्श
उनकी आँखों में,
लेकिन मेरा आईना
जिससे मैं रोज़ मिलता हूँ
मुझे कुछ और ही कहता रहा.
आज मुझे लगा
कि शायद
मेरा आईना
मुझसे झूठ बोलता है.