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Saturday, October 04, 2014

अब मैंने जीना सीख लिया

कर बंद पिटारा सपनों का,
बहते अश्क़ों को रोक लिया.
अंतस को जितने घाव मिले
स्मित से उनको ढांक लिया.

विस्मृत कर अब सब रिश्तों को,
अब मैंने फ़िर जीना सीख लिया.

करतल पर खिंची लकीरों को
है ख़ुद मैंने आज खुरच डाला.
अब किस्मत की चाबी मुट्ठी में,
खोलूँगा सभी बेड़ियों का ताला.

नहीं चाह फूलों से आवृत राहें हों,
मैंने काँटों पर चलना सीख लिया.

हर घर में पड़ी खरोंचें हैं,
अहसासों की दीवारों पर.
हर सांसें आज घिसटती हैं,
अश्रु हैं रुके किनारों पर.          

अब पीछे मुड़ कर मैं क्यों देखूं,
सूनी राहों पर चलना सीख लिया.

क्यूँ करूँ तिरस्कृत अँधियारा,
मैं अब इंतज़ार में सूरज के.
है रहा साथ जो जीवन भर,
कैसे चल दूँ उसको तज के.

अब एकाकीपन नहीं सताता है,
आईने में अब साथी ढूंढ लिया.


....कैलाश शर्मा 

35 comments:

  1. अब एकाकीपन नहीं सताता है,
    आईने में अब साथी ढूंढ लिया.
    ...गहन चिंतन पर मजबूर करती मर्मस्पर्शी रचना ...

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  2. yahi achha hai ...vigat ko bhul kar hi nayee rah mil payegi....bahut sundar

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  3. अब एकाकीपन नहीं सताता है,
    आईने में अब साथी ढूंढ लिया.
    वाह... बहुत बढ़िया

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  4. आपके लिखे से बहुत कुछ सिखने को मिलता है
    सार्थक सुंदर लेखन

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  5. मर्मस्पर्शी ...प्रेरणादायी.....

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  6. बहुत ही सुंदर, प्रेरक, बधाई आदरणीय

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  7. सटीक और सुन्दर प्रस्तुति !

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  8. सारगर्भित सुंदर रचना !!

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  9. वाह ! क्या बात है ! हर पंक्ति कुछ प्रेरणा देती सी, हर शब्द कुछ सिखाता सा ! अपने हालात से दोस्ती करने की सार्थक शिक्षा देती उत्कृष्ट प्रस्तुति !

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  10. मन की सच्चाइयों को वर्णित करती ,सुन्दर कविता!

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  11. सुन्दर प्रस्तुति

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  12. waah.. kyaa baat hai... sir
    behtareen rachna

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  13. वाह क्या खुब कहा है आपने शर्मा जी। जिन्दगी का ऐसा सच जिससे हर कोई गुजरता है कभी ना कभी और कुछ तो अक्सर ही।

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  14. चारों ओर से मिली निराशा के बाद खुद ही अपनेआपको सम्हालना होता है यही जिन्दगी है । बहुत सुन्दर...।

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  15. हर घर में पड़ी खरोंचें हैं,
    अहसासों की दीवारों पर.
    हर सांसें आज घिसटती हैं,
    अश्रु हैं रुके किनारों पर.
    एकदम सुन्दर

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  16. सुंदर और प्रेरणादायी...

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  17. प्रेरणादायी और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति....

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  18. प्रभावशाली रचना , मंगलकामनाएं भाई जी !!

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  19. http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/10/2014-7.html

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  20. जीने के लिए जो संभव हो उसे करना ही पड़ता है ... फिर चाहे अंधियारे का साथ हो ... प्यार जिससे हो जाए कहाँ छोड़ा जाता है ...

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  21. एक नए अंदाज एवं शैली में प्रस्तुत आपकी पोस्ट अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।धन्यवाद।

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  22. अनुपम प्रस्तुति....आपको और समस्त ब्लॉगर मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
    नयी पोस्ट@बड़ी मुश्किल है बोलो क्या बताएं

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  23. सुंदर प्रस्तुति..

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  24. सुंदर प्रस्तुति...
    आभार।

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  25. सुंदर और प्रेरणादायी...प्रभावशाली रचना ,

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