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Tuesday, December 09, 2014

घर

घर नहीं होता बेज़ानदार
छत से घिरी चार दीवारों का,
घर के एक एक कोने में 
छुपा इतिहास जीवन का।

खरोंचें संघर्ष की
जीवन के हर मोड़ की,
सीलन दीवारों पर 
बहे हुए अश्क़ों की,
यादें उन अपनों की 
जो रह गये बन के
एक तस्वीर दीवार की,
गूंजती खिलखिलाहट 
अब भी इस सूने घर में
भूले बिसरे रिश्तों व पल की,
साथ उन टूटे ख़्वाबों का 
जो संजोये थे कभी
बिखरे अभी भी हर कोने में।


अकेलापन तन का
पर नहीं सूनापन मन का 
इस घर की चार दीवारों में,
एक एक ईंट और गारे में
समाहित सम्पूर्ण जीवन इतिहास
देता है सुकून व संतुष्टि,
नहीं महसूस होता अकेलापन
इस सुनसान घर की 
चार दीवारों के बीच,
नहीं खलता मौन 
बातें करते यादों से 
इस जीवन संध्या में।

...कैलाश शर्मा 

21 comments:

  1. क्या मालूम फिर कहीं
    निकले सूरज सुबह का
    रोशनी के साथ
    जीवन संध्या के बाद भी :)

    बहुत सुंदर रचना ।

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  2. बहुत गहन विचार लिए कविता |

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  3. इस सुनसान घर की
    चार दीवारों के बीच,
    नहीं खलता मौन
    बातें करते यादों से
    इस जीवन संध्या में।
    बहुत सुन्दर .
    नई पोस्ट : इच्छा मृत्यु बनाम संभावित मृत्यु की जानकारी

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  4. यही तो होता है जुड़ाव - एक घर ,कितने संबंधों का लेखा समेटे रहता है.

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  5. जीवन की अनुभूति का सार्थक अभिव्यक्ति !
    विस्मित हूँ !

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  6. बेहद गहन भाव लिये सुंदर प्रस्तुति

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  7. सच तो यही है इंसान कभी अकेला होता ही नहीं ...कई यादें..बातें .. मन में उमड़ घुमड़ साथ साथ जो रहती हैं ..
    चिंतन युक्त प्रस्तुति

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  8. यादों की ओट से संवेदनाएं प्रकट हो गई जैसे..............

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  9. दुनिया में जब जब कोई नहीं पहचानता कम से कम ये चारदीवारी जानी पह्चानी तो लगती है ...
    संवेदनशील रचना ...

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  10. बहुत गहरे शब्द।

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  11. bahut gahre bhaaw..umda rachna....

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  12. ह्रदय को स्पर्श करती रचना के लिए आभार..

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  13. अकेलापन तन का
    पर नहीं सूनापन मन का
    इस घर की चार दीवारों में,
    एक एक ईंट और गारे में
    समाहित सम्पूर्ण जीवन इतिहास......जीवन की सांध्‍य बेला के एकाकीपन को दर्शाती भावपूर्ण कवि‍ता

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  14. ह्रदय को स्पर्श करती गहन भाव लिए बहुत ही भावपूर्ण रचना...

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  15. अकेलापन तन का
    पर नहीं सूनापन मन का
    इस घर की चार दीवारों में ,
    एक एक ईंट और गारे में
    समाहित सम्पूर्ण जीवन इतिहास
    देता है सुकून व संतुष्टि ,
    नहीं महसूस होता अकेलापन..सजीव पंक्तिया

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  16. उम्दा प्रस्तुति।

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  17. @ नहीं खलता मौन, बातें करते यादों से, इस जीवन संध्या में।
    - बच के चलते हैं सभी खस्ता दरो दीवार से
    दोस्तों की बेवफ़ाई का गीला पीरी में क्या?

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  18. नहीं महसूस होता अकेलापन
    इस सुनसान घर की
    चार दीवारों के बीच,
    bahut achchha
    मेरी सोच मेरी मंजिल

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