ज़िंदगी के थपेड़े
सुखा देते अहसास
और मानवीय संवेदनाएं
बना देते पत्थर
और तराश देता समय
एक बुत जीते जी।
क्या तुमने सुनी है
मौन चीत्कार उसकी
जिसे बना दिया बुत
ज़िंदगी के हालातों ने।
सुखा देते अहसास
और मानवीय संवेदनाएं
बना देते पत्थर
और तराश देता समय
एक बुत जीते जी।
क्या तुमने सुनी है
मौन चीत्कार उसकी
जिसे बना दिया बुत
ज़िंदगी के हालातों ने।
***
उखाड़ता हूँ जड़ से
रोज़ सुबह एक पौधा
यादों का,
फ़िर उग आता पौधा नया
हर शाम को ज़मीन से
और चुभने लगते कांटे रात भर।
न जाने छुपे हैं कितने
बीज यादों के ज़मीन में
जो उग आते रोज़ शाम ढले।
फ़िर उग आता पौधा नया
हर शाम को ज़मीन से
और चुभने लगते कांटे रात भर।
न जाने छुपे हैं कितने
बीज यादों के ज़मीन में
जो उग आते रोज़ शाम ढले।
***
जब भी पाया अकेला
दिया तुमने साथ
नहीं छोड़ा हाथ
एक भी पल को।
मेरे दर्द,
न छोड़ना साथ
मेरे सपनों की तरह,
मुश्किल होगा जीना
बिखर जायेगा अस्तित्व
तुम्हारे बिना।
नहीं छोड़ा हाथ
एक भी पल को।
मेरे दर्द,
न छोड़ना साथ
मेरे सपनों की तरह,
मुश्किल होगा जीना
बिखर जायेगा अस्तित्व
तुम्हारे बिना।
...कैलाश शर्मा