Pages

Tuesday, March 31, 2015

क्षणिकाएं

ज़िंदगी के थपेड़े 
सुखा देते अहसास 
और मानवीय संवेदनाएं
बना देते पत्थर
और तराश देता समय 
एक बुत जीते जी।
क्या तुमने सुनी है
मौन चीत्कार उसकी
जिसे बना दिया बुत
ज़िंदगी के हालातों ने।
    ***
उखाड़ता हूँ जड़ से 
रोज़ सुबह एक पौधा यादों का,
फ़िर उग आता पौधा नया
हर शाम को ज़मीन से
और चुभने लगते कांटे रात भर।
न जाने छुपे हैं कितने 
बीज यादों के ज़मीन में
जो उग आते रोज़ शाम ढले।
    ***
जब भी पाया अकेला 
दिया तुमने साथ 
नहीं छोड़ा हाथ 
एक भी पल को।
मेरे दर्द,
न छोड़ना साथ
मेरे सपनों की तरह,
मुश्किल होगा जीना 
बिखर जायेगा अस्तित्व
तुम्हारे बिना।

...कैलाश शर्मा 

32 comments:

  1. वाह बहुत खूब पौधा यादों का....

    ReplyDelete
  2. ज़िन्दगी - याद, सपनें, दर्द और मोहब्बत के साथ चलनें वाली एक निरन्तर यात्रा है।
    मेरे दर्द,
    न छोड़ना साथ
    मेरे सपनों की तरह
    मुश्किल होगा जीना
    बिखर जायेगा अस्तित्व
    तुम्हारे बिना।
    बेहतरीन शर्मा जी। बहुत खूब।

    ReplyDelete
  3. ज़िन्दगी - याद, सपनें, दर्द और मोहब्बत के साथ चलनें वाली एक निरन्तर यात्रा है।
    मेरे दर्द,
    न छोड़ना साथ
    मेरे सपनों की तरह
    मुश्किल होगा जीना
    बिखर जायेगा अस्तित्व
    तुम्हारे बिना।
    बेहतरीन शर्मा जी। बहुत खूब।

    ReplyDelete
  4. ज़िंदगी के थपेड़े
    सुखा देते अहसास
    और मानवीय संवेदनाएं
    बना देते पत्थर
    और तराश देता समय
    एक बुत जीते जी।
    क्या तुमने सुनी है
    मौन चीत्कार उसकी
    जिसे बना दिया बुत
    ज़िंदगी के हालातों ने।
    बहुत बढ़िया , कभी इस से मिलता जुलता लिखा था अपने ब्लॉग पर।
    इतना चुप हो जाऊँ
    के बुत हो जाऊँ

    तराशे गये हैं अक्स भी
    मैं भी सो जाऊँ

    ReplyDelete
  5. पीड़ा की असीमता को जिसने अनुभव कर लिया वह उसके पार चला ही जायेगा..

    ReplyDelete
  6. अत्यंत गहन एवं जाने पहचाने से अहसास ! हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति ! बहुत ही सुन्दर सृजन कैलाश जी !

    ReplyDelete
  7. बेहद संवेदनशी रचना कैलाश जी , बधाई

    ReplyDelete
  8. दिल को छू लेने वाली पंक्तियां।
    बधाई सर जी।

    ReplyDelete
  9. आदरणीय शर्माजी आपने जीवन मूल्यों को कलमबद्व किया है, इस अभिव्यक्ति के लिये सादर बधाई

    ReplyDelete
  10. अन्तर्राष्ट्रीय नूर्ख दिवस की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (01-04-2015) को “मूर्खदिवस पर..चोर पुराण” (चर्चा अंक-1935 ) पर भी होगी!
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  11. आदरणीय ,तीनों क्षणिकाएं बहुत ही अर्थपूर्ण और गहरी हैं . सचमुच यादों का पौधा कभी निर्मूल नहीं होता .और दर्द ही है जो जगाए रखता है .जो जीवन की पहचान है .

    ReplyDelete
  12. आदरणीय ,तीनों क्षणिकाएं बहुत ही अर्थपूर्ण और गहरी हैं . सचमुच यादों का पौधा कभी निर्मूल नहीं होता .और दर्द ही है जो जगाए रखता है .जो जीवन की पहचान है .

    ReplyDelete
  13. मेरे दर्द,
    न छोड़ना साथ
    मेरे सपनों की तरह,
    मुश्किल होगा जीना
    बिखर जायेगा अस्तित्व
    तुम्हारे बिना।.....
    वाह बहुत सुन्दर क्षणिकाएं

    ReplyDelete
  14. Bahut hi sundar अभिव्यक्ति सर!!
    Gud mrng G:-)

    ReplyDelete
  15. दर्द कभी साथ नहीं छोडता मौत आने तक .. और यादें भी चिपकी रहती हैं जिस्म के साथ ..
    अच्छी हैं सभी क्षणिकाएं ...

    ReplyDelete
  16. फ़िर उग आता पौधा नया
    हर शाम को ज़मीन से
    और चुभने लगते कांटे रात भर।
    न जाने छुपे हैं कितने
    बीज यादों के ज़मीन में
    असीम दर्द और चुभन है भाई इस जीवन में ..जितना भुलाया हमने उतना ही याद आया .. सुन्दर भाव और अच्छी रचना ...जय श्री राधे
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  17. गहन भाव..सुंदर क्षणिकाएं ...

    ReplyDelete
  18. उखाड़ता हूँ जड़ से
    रोज़ सुबह एक पौधा यादों का,
    फ़िर उग आता पौधा नया
    हर शाम को ज़मीन से
    और चुभने लगते कांटे रात भर।
    न जाने छुपे हैं कितने
    बीज यादों के ज़मीन में
    जो उग आते रोज़ शाम ढले।
    सुन्दर भाव और सुन्दर शब्द आदरणीय श्री कैलाश शर्मा जी ! तीनों ही क्षणिकाएं अलग जोनऱ की हैं और एकदम सार्थक हैं !

    ReplyDelete
  19. गहन भाव. लिए अनुपम रचना...आभार

    ReplyDelete
  20. मुश्किल होगा जीना
    बिखर जायेगा अस्तित्व
    तुम्हारे बिना।
    बेहतरीन गहन भाव..सुंदर क्षणिकाएं ...शर्मा जी।

    ReplyDelete
  21. सुन्दर रचना .....

    ReplyDelete
  22. गहन विचार लिए सभी क्षणिकाएं पसंद आई। बहुत बढ़िया।

    ReplyDelete
  23. गहन विचार लिए सभी क्षणिकाएं पसंद आई। बहुत बढ़िया।

    ReplyDelete
  24. वाह, बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  25. भाव व्यंजनाएं अति -सुन्दर सशक्त अर्थ पूर्ण ज़िंदगी की झरबेरियों के चुभन लिए। आभार आपकी टिप्पणी के लिए मान्यवर।

    ReplyDelete
  26. भाव व्यंजनाएं अति -सुन्दर सशक्त अर्थ पूर्ण ज़िंदगी की झरबेरियों के चुभन लिए। आभार आपकी टिप्पणी के लिए मान्यवर।

    ReplyDelete
  27. बहुत ही शानदार अर्थपूर्णं रचना।

    ReplyDelete
  28. वाह भाई जी , आनंद आ गया !
    मंगलकामनाएं आपको !

    ReplyDelete
  29. यह दर्द सा‍थ हैं हमेशा। गहन भावों से युक्‍त कविता।

    ReplyDelete