Pages

Thursday, August 27, 2015

शब्दों का मौन

अंतस का कोलाहल
रहा अव्यक्त शब्दों में,
कुनमुनाते रहे शब्द
उफ़नते रहे भाव
उबलता रहा आक्रोश
उठाने को ढक्कन 
शब्दों के मौन का।

बहुत आसान है 
फेंक देना शब्दों को 
दूसरों पर आक्रोश में,
हो जाते शब्द
शांत कुछ पल को 
हो जाती संतुष्टि अभिव्यक्ति की।

होने पर शांत तूफ़ान 
डूबने उतराने लगते शब्द
पश्चाताप के दलदल में,
हो जाता और भी कठिन 
निकलना इस दलदल से।


कब होता है शाश्वत
अस्तित्व तूफ़ान का,
बेहतर है सहलाना शब्दों को 
बहलाना रहने को मौन
तूफ़ान के गुज़र जाने तक।

....©कैलाश शर्मा

30 comments:

  1. सच में .......
    बेहतर है सहलाना शब्दों को
    बहलाना रहने को मौन
    तूफ़ान के गुज़र जाने तक।

    ReplyDelete
  2. सच कहा है शब्दों को इस्तेमाल सावधानी स करना चाहिए ... नहीं तो पछतावा रह जाता है ....
    गहरी अभिव्यक्ति ...

    ReplyDelete
  3. सुंदर और गहन अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  4. सही कहा है आपने एक बार जिव्हा से निकले वचन वापस नहीं होते, आक्रोश में कहे गए कटु वचन बाद में पछतावे के सिवा और कुछ नहीं देते … गहन भाव

    ReplyDelete
  5. शब्दों के बाण बहुत गहरा घाव दे जाते हैं जिस पर कोई मरहम काम नहीं करता ! ये बाण तरकश में ही सजे रहें वही उचित है ! बहुत ही सार्थक एवं सशक्त अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  6. होने पर शांत तूफ़ान
    डूबने उतराने लगते शब्द
    पश्चाताप के दलदल में, bahut khoob ...

    ReplyDelete
  7. होनें पर शांत तूफान
    डूबनें उतरानें लगते शब्द
    पाश्चाताप के दलदल में,
    हो जाता और भी कठिन
    निकलना इस दलदल से।

    बिल्कुल सच।खूबसूरत अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  8. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - ऋषिकेश मुखर्जी और मुकेश में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    ReplyDelete
  9. बहलाना रहने को मौन
    तूफान के गुजर जाने तक --मन को छू लेने वाले भाव!

    ReplyDelete
  10. बहलाना रहने को मौन
    तूफान के गुजर जाने तक --मन को छू लेने वाले भाव!

    ReplyDelete
  11. बहलाना रहने को मौन
    तूफान के गुजर जाने तक --मन को छू लेने वाले भाव!

    ReplyDelete
  12. बहुत सही कहा है आपने..शब्दों को सोच-समझ कर ही अपना हथियार बनाना चाहिए..मौन सर्वोत्तम उपाय है..

    ReplyDelete
  13. शब्द सबसे घातक हथियार हैं ब्रम्हास्त्र की तरह....सच कहा आपने।

    ReplyDelete
  14. बेहतरीन , बहुत खूब , बधाई अच्छी रचना के लिए
    कभी इधर भी पधारें

    ReplyDelete
  15. होने पर शांत तूफ़ान
    डूबने उतराने लगते शब्द
    पश्चाताप के दलदल में,
    हो जाता और भी कठिन
    निकलना इस दलदल से।

    बहुत सुंदर प्रस्तुति. रक्षाबंधन की शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  16. सुंदर कविता. शब्दों के प्रभाव से कौन बच पाया है.

    ReplyDelete

  17. बहुत सटीक और प्रभावी अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  18. बहुत आसान है
    फेंक देना शब्दों को
    दूसरों पर आक्रोश में,
    हो जाते शब्द
    शांत कुछ पल को
    हो जाती संतुष्टि अभिव्यक्ति की।
    बहुत सटीक और प्रभावी अभिव्यक्ति.आदरणीय कैलाश शर्मा जी !!

    ReplyDelete
  19. बहुत सही लिखा है आपने । बिना विचारे बोलना कभी -कभी बहुत महंगा पड़ जाता है ।

    ReplyDelete
  20. " भावो हि विद्यते देवो तस्मात् भावो हि कारणम् ।" भगवान भाव में बसते हैं और शब्द भावों के वाहक हैं इसलिए शब्द को भी " ब्रह्म" कहा जाता है ।
    आपकी लेखनी प्रणम्य है ।

    ReplyDelete
  21. अच्छी भावनात्मक रचना , सुखद लेखन कैलाश जी

    ReplyDelete
  22. bahut bahut hi sarthak abhivyakti----sir
    कब होता है शाश्वत
    अस्तित्व तूफ़ान का,
    बेहतर है सहलाना शब्दों को
    बहलाना रहने को मौन
    तूफ़ान के गुज़र जाने तक।
    bilkul axarshah ek-ek shabd sachchai liye hue hai---bahut bahut badhai

    ReplyDelete
  23. बहुत उद्विग्न करने वाली स्थिति होती है यह. सुन्दर रचना.

    ReplyDelete