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Tuesday, January 19, 2016

किस किस का अहसास लिखूं मैं

मन की टूटी आस लिखूं मैं,
अंतस का विश्वास लिखूं मैं,
फूलों का खिलने से लेकर
मिटने का इतिहास लिखूं मैं।

रोटी को रोते बच्चों का,
तन के जीर्ण शीर्ण वस्त्रों का,
चौराहे बिकते यौवन का
या सपनों का ह्रास लिखूं मैं,
किस किस का इतिहास लिखूं मैं।

रिश्तों का अवसान है देखा,
बिखरा हुआ मकान है देखा,
वृद्धाश्रम कोनों से उठती
क्या ठंडी निश्वास लिखूं मैं,
क्या जीवन इतिहास लिखूं मैं।

आश्वासन होते न पूरे,
वादे रहते सदा अधूरे,
धवल वसन के पीछे काले
कर्मों का इतिहास लिखूं मैं,
टूटा किसका विश्वास लिखूं मैं।

टूट गए जब स्वप्न किसी के
मेहंदी रंग हुए जब फ़ीके,
पलकों पर ठहरे अश्क़ों की
न गिरने की आस लिखूं मैं,
किस किस का अहसास लिखूं मैं।

जीवन में अँधियारा गहरा
मौन गया आँगन में ठहरा,
कैसे अपने सूने मन की
फिर खुशियों की आस लिखूं मैं,
कैसे अपना इतिहास लिखूं मैं।

...©कैलाश शर्मा

27 comments:

  1. वाह ! बहुत ही उत्कृष्ट एवं मर्मस्पर्शी रचना ! अति सुन्दर !

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  2. वाह ! एक -एक पंक्ति लाजवाब।बेहतरीन कविता सर।

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  3. वाह ! एक -एक पंक्ति लाजवाब।बेहतरीन कविता सर।

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  4. कमाल की रचना।, हृदयस्पर्शी भाव

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  5. बहुत सुंदर भाव सुंदर रचना ।

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  6. कैलाश जी इस कविता ने जर्जर होते मानवीय रिश्‍तों और उसके परिणामस्‍वरूप उभरे एक नए सामाजिक परिवेश का बहुत मार्मिक, तार्किक और सुन्‍दर छन्‍दबद्ध वर्णन किया है।

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  7. उत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति, सुन्दर संयोजन।

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  8. सरल नहीं जिंदगी की अकथ कहानी लिखना, सुनाना, सुनना .....
    बहुत सुन्दर .....

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  9. वाह … आभार आपका !
    रोटी को रोते बच्चों का,
    तन के जीर्ण शीर्ण वस्त्रों का,
    चौराहे बिकते यौवन का
    या सपनों का ह्रास लिखूं मैं,
    किस किस का इतिहास लिखूं मैं

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  10. Bhavmay karti shabd rachna.....
    Sadar

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  11. बेहतरीन भाव भीनी रचना।

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  12. बहुत सुन्दर रचना

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  13. फिर खुशियों की आस लिखूं मैं,
    कैसे अपना इतिहास लिखूं मैं।
    ---------------------------------- भाव का सुंदर प्रवाह .

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  14. बहुत बहुत बढ़िया शब्द ताल और खूबसूरत शब्दों के साथ खूबसूरत अहसास !

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  15. बेहतरीन भाव और रचना

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  16. रिश्तों का अवसान है देखा,
    बिखरा हुआ मकान है देखा,
    वृद्धाश्रम कोनों से उठती
    क्या ठंडी निश्वास लिखूं मैं,
    क्या जीवन इतिहास लिखूं मैं।

    आश्वासन होते न पूरे,
    वादे रहते सदा अधूरे,
    धवल वसन के पीछे काले
    कर्मों का इतिहास लिखूं मैं,
    टूटा किसका विश्वास लिखूं मैं।
    विचारों को रवानगी देती सार्थक प्रस्तुति !!

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  17. बहुत अच्छी और भावों को स्पष्ट करती प्रवाहमयी रचना...
    साझा करने हेतु आभार...

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  18. बहुत गहरे और बेहद सुंदर भाव ।

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  19. बहुत ही गहरे भावों से सजी हुई रचना। दिल को छू गई। अच्‍छे लेखन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई और आभार।

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  20. बहुत ख़ूब। सुंदर और गहन भावाभिव्यक्ति

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  21. मर्म को स्पर्श करती, टीस को सहलाती-सी प्रभावी रचना ।

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  22. गहन भाव ... मन को छूते हुए छंद ...

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  23. बेहद मर्मस्पर्शी

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