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Tuesday, June 07, 2016

ज़िंदगी कुछ ख़फ़ा सी लगती है

ज़िंदगी कुछ ख़फ़ा सी लगती है,
रोज़ देती सजा सी लगती है।

रौनकें सुबह की हैं कुछ फीकी,
शाम भी बेमज़ा सी लगती है।

राह जिस पर चले थे हम अब तक,
आज वह बेवफ़ा सी लगती है।

संदली उस बदन की खुशबू भी,
आज मुझको कज़ा सी लगती है।

दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
यार तेरी रज़ा सी लगती है।

...© कैलाश शर्मा 

27 comments:

  1. राह जिस पर चले थे हम अब तक
    आज वह बेवफ़ा सी लगती है।
    वाह ! वाह ! क्या कहने हैं ! लाजवाब आदरणीय-----बहुत खूब।

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  2. "दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
    यार तेरी रज़ा सी लगती है"

    वाह वाह

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. जिंदगी जब सजा देने लगे तब ही तो जिंदगी देने वाले की याद आती है

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  5. संदली उस बदन की खुशबू भी,
    आज मुझको कज़ा सी लगती है ...
    बहुत खूब ... दिल में उतर जाता है ये शेर ... संदली का प्रयोग बहुत लाजवाब लगा ...

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  6. दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
    यार तेरी रज़ा सी लगती है।
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , कैलाशजी

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  7. बहुत ख़ूब। वाह।

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  8. दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
    यार तेरी रज़ा सी लगती है।

    सब उसकी ही रजा है, दर्द हो या मरहम। बहुत सुंदर गज़ल कैलाश जी।

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  9. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 10/06/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  10. दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
    यार तेरी रज़ा सी लगती है....बहुत सुन्दर

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  11. दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
    यार तेरी रज़ा सी लगती है।

    ..बहुत सुन्दर

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  12. दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
    यार तेरी रज़ा सी लगती है।
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , कैलाशजी

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  13. दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
    यार तेरी रज़ा सी लगती है।
    बहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको.....

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  14. ''‍जिंदगी कुछ खफा सी लगती हैै,रोज देती सजा सी लगती है'' बेहद मार्मिक भावों और सुंदर शब्‍दों से सजी हुई ग़जल की प्रस्‍तुति। बहुत पसंद आई।

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  15. सुन्दर ग़ज़ल

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  17. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 16 जून 2016 को में शामिल किया गया है।

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  18. दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
    यार तेरी रज़ा सी लगती है।

    अनमोल पंक्तियां,
    गहरे चिंतन के शांत गह्वर से ही ऐसी रचनाएं प्रस्फुटित होती है ।।

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  19. Sir ghazal bahut hi sunder likhi hai, apka email id send kr dy gaa kr sunataa hoo apko,

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  20. बहुत ही उम्दा .... Sundar lekh ... Thanks for sharing this nice article!! :) :)

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