(१)
देख चुके जीवन में
रंग सभी मौसम के,
इंतज़ार है
पतझड़ का,
जो उड़ा कर ले जाये
सूखे पीले पत्तों को
कहीं दूर
किसी अनज़ान सफ़र पर.
(२)
कब तक लडेगा चाँद
अंधियारे से,
आखिर धीरे धीरे
छुप जाता है
उसका अस्तित्व भी,
अमावस के आगोश में.
(३)
क़ैद कर दो
ख़्वाबों को
किसी अँधेरे खँडहर में,
बहुत दुख देते हैं
टूट जाने पर.
(४)
कुछ रिश्ते
बन जाते हैं बोझ इतना
कन्धों पर,
कि उनको ढ़ोते ढ़ोते
ज़िंदगी की आँखें भी
पथराने लगती हैं
मौत के इंतज़ार में.