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Thursday, January 17, 2019

क्षणिकाएं

मत बांटो ज़िंदगी
दिन, महीनों व सालों में,
पास है केवल यह पल
जियो यह लम्हा
एक उम्र की तरह।
****

रिस गयी अश्क़ों में
रिश्तों की हरारत,
ढो रहे हैं कंधों पर
बोझ बेज़ान रिश्तों का।
****

एक मौन
एक अनिर्णय
एक गलत मोड़
कर देता सृजित
एक श्रंखला
अवांछित परिणामों की,
भोगते जिन्हें अनचाहे
जीवन पर्यंत।

...©कैलाश शर्मा

12 comments:

  1. सुंदर क्षणिकाओं हेतू..शुभकामनाएं ।

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  2. बहुत खूब आदरणीय सर !!!!! गागर में सागर सरीखी क्षणिकाएं !! पहली सबसे ज्यादा अच्छी लग रही हैं | सादर शुभकामनायें और बधाई |

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  3. गहरा सच ... एक ग़लत निर्णय सच में अनचाहे परिणाम के जार आता है ... जीवन सार हैं ...

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  4. बेहतरीन क्षणिकाएं

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  5. एक पल में अनंत छुपा है..जिसे यह देखना आ गया वह मुक्त है..मुक्त है हर भार से और हर परिणाम से...

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  6. बहुत सुंदर क्षणिकाएं...

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