मत बांटो ज़िंदगी
दिन, महीनों व सालों में,
पास है केवल यह पल
जियो यह लम्हा
एक उम्र की तरह।
पास है केवल यह पल
जियो यह लम्हा
एक उम्र की तरह।
****
रिस गयी अश्क़ों में
रिश्तों की हरारत,
ढो रहे हैं कंधों पर
बोझ बेज़ान रिश्तों का।
रिश्तों की हरारत,
ढो रहे हैं कंधों पर
बोझ बेज़ान रिश्तों का।
****
एक मौन
एक अनिर्णय
एक गलत मोड़
कर देता सृजित
एक श्रंखला
अवांछित परिणामों की,
भोगते जिन्हें अनचाहे
जीवन पर्यंत।
एक अनिर्णय
एक गलत मोड़
कर देता सृजित
एक श्रंखला
अवांछित परिणामों की,
भोगते जिन्हें अनचाहे
जीवन पर्यंत।
...©कैलाश शर्मा
सुंदर क्षणिकाओं हेतू..शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत खूब आदरणीय सर !!!!! गागर में सागर सरीखी क्षणिकाएं !! पहली सबसे ज्यादा अच्छी लग रही हैं | सादर शुभकामनायें और बधाई |
ReplyDeleteगहरा सच ... एक ग़लत निर्णय सच में अनचाहे परिणाम के जार आता है ... जीवन सार हैं ...
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकाएं
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeleteएक पल में अनंत छुपा है..जिसे यह देखना आ गया वह मुक्त है..मुक्त है हर भार से और हर परिणाम से...
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिकाएं...
ReplyDeleteआवश्यक सूचना :
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खूबसूरत पंक्तियाँ. मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
ReplyDeletehttps://iwillrocknow.blogspot.com/
बहुत सुंदर
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